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सम्पादकीय
बिजय कुमार जैन
वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक
हिंदी सेवी-पर्यावरण प्रेमी
भारत को भारत कहा जाए का आव्हान करने वाला एक भारतीय
सम्पादकीय
आखिरकार अयोध्या में राम मंदिर का
निर्माण व दर्शन हम भारतीयों को मिल ही गया
हम भारतीयों की वर्षों पुरानी तपस्या, प्रतीक्षा, कुर्बानियां आदि सफल हो ही गई, जब २२ जनवरी २०२४ को भारत के इतिहास में एक नया पन्ना लिखा गया।
५०० साल पहले मुगलों के द्वारा राम मंदिर को ज़मींदोज़ कर मस्जिद का निर्माण करवाया गया, मनमानी की गई, हम भारतीयों को गुलामी के समय विभिन्न प्रकार के अत्याचारों को सहन करना पड़ा, यह गुलामी मुगल शासन के बाद, ब्रिटिश शासन के द्वारा भी हमने सहे और तड़पते रहे, मन में प्रातः वंदनीय श्री रामजी के प्रति श्रद्धा बनी रही, पर वह मन ही मन में ही रही, वैसे तो हमारे ‘भारत’ को स्वतंत्रता मिले आज ७७ साल हो रहे हैं, इन ७७ सालों में हम विभिन्न रूप से श्रम व आंदोलन करते रहे की हमारे राम जी का मंदिर वहीं स्थापित हो, जहां पूर्व में राम जी का मंदिर था, क्योंकि राम जी का जन्म स्थल अयोध्या ही तो है।
भारत की स्वतंत्रता के वर्षों बाद हमें माननीय वरिष्ठ अदालत से न्याय मिला, सभी साक्ष्यों की जांच करते हुए की राम मंदिर जहां था, उसी स्थान पर निर्माण किया जा सकता है, सच कहता हूं वह दिन और २२ जनवरी २०२४ के बीच के दिन ऐसे लगते थे, यानी हर दिन महीने की तरह लगता था।
भारत के पंतप्रधान नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच व १०० करोड़ भारतीयों की एक-एक ईंट की निधि से राम मंदिर का निर्माण हुआ, जिसके दर्शन करने भारत से ही नहीं विदेशों से भी भारतीय आए और चर्चा पूरे विश्व में हुई।
भारतीय शास्त्रों के अध्ययन से यह भी जानकारी मिलती है कि अयोध्या के शिल्प निर्माण में ब्रह्मा जी के निर्देशानुसार भगवान श्री विश्वकर्मा जी की भी सोच व श्रम लगा है, जिसके लिए हम भारतीयों के पूजनीय विश्वकर्मा जी के चरणों में मेरा कोटीश: नमन, वंदन….
२२ फरवरी २०२४ को हम सभी भारतीय मिलकर विश्वकर्माजी की जयंती धूमधाम से मनाएं, ऐसी विनंती, साथ ही निवेदन यह भी है कि ‘भारत को केवल ‘भारत’ ही बोलें’ इंडिया नहीं, क्योंकि इंडिया नाम हमें अंग्रेजों की गुलामी की याद दिलाता है।
जय श्री राम!
जय जय राजस्थान!