नवम्बर समीक्षा

हेलो! मेरा राजस्थान
राजेश भादुपोता

व्यवसायी व समाजसेवी
डुंडलोद निवासी-जयपुर प्रवासी
भ्रमनध्वनि: ९८२९०३५४७७

पावन पर्व दिवाली के संदर्भ में राजेश जी का कहना है कि पहले के त्योहारों की बात ही अलग थी, त्यौहारों में अपनत्व की भावना होती थी, लोग एक दूसरे के घर जाकर बधाईयां देते व मिठाई खातेखिलाते थे, बड़े को चरण स्पर्श व छोटे को आशीर्वाद दिया जाता है, पर अब ये सब कहीं खो सा गया है, हमारी युवा पिढ़ी आधुनिकता व बाहर की 

चमक-धमक के बीच कर अपनी संस्कृति से दूर हो रही है, अपने त्यौहार के महत्व को खोती जा रही है, आतिशबाजी शोर-शराबा अधिक होता जा रहा है,  पहले लोग एक दूसरे को पत्र भेजकर शुभकामनाएं देते थे, जिसमें अपनत्व झलकता था, पर आज लोग मोबाइल व वाट्सप पर संदेश भेज कर मुक्त हो जाते हैं, परिवारों में भी त्यौहारों का महत्व समाप्त होता जा रहा है, जबकि त्यौहार हमारे नीरस जीवन को आनंद व हर्षोल्लास से भर देते हैं, जिससे एक नई ऊर्जा का संचार होता है, अत: इसे संजोये रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है। राजेश जी मूलत: राजस्थान के डुंडलोद के निवासी हैं, आपका जन्म व शिक्षा यहीं सम्पन्न हुई है, व्यवसाय के निमित्त आपका मुंबई आना हुआ, जहां आप १९८० से १९९८ तक नौकरी भी की फिर टेक्टर के कारोबार से जुड़े, तत्पश्चात आप जयपुर के प्रवासी हुए, यहां आपने अपनी मेहनत व कड़े संघर्ष के साथ स्वयं का रबड़ का कारखाना स्थापित किया, तभी से आप एक सफल व्यवसायी के रूप में कार्यरत हैं, आप कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़े हैं। गौड़ ब्राम्हण महासभा में आप अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं, आप डुंडलोद व जयपुर स्थित गौशालाओं में भी अपनी सेवाएँ दे रहे हैं, आप सेवा धर्म को ही अपना सबसे बड़ा धर्म मानते हैं। ‘मेरा राजस्थान’ बहुत ही अच्छी पत्रिका है जिसमें राजस्थान के विभिन्न गांवों की जानकारी उपलब्ध होती है, प्रत्येक माह जब ये पत्रिका मेरे पास आती है तो लगभग ३-४ घंटे इस पत्रिका को देता हूँ, पत्रिका के माध्यम से राजस्थान के इतिहास को उजागर करने का जो कार्य सम्पादक बिजय कुमार जैन जी कर रहे हैं, उसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं। भारत में सभी की अपनी बोली-भाषा है, इसे सभी को आपस में जोड़ने का कार्य ‘हिंदी’ ही करती है अत: ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक सम्मान अवश्य प्राप्त होना चाहिए।

वर्तमान समय में हमारी युवा पिढ़ि अपनी संस्कृति व धर्म से दूर होती जा रही है, उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़े रखने का कार्य ये त्यौहार करते हैं, इन त्यौहारों का राजा कहे जाने वाले दीपों का पर्व दीपावली वास्तव में हमारे जीवन में उजाला लाती है। मेरा जन्म २८ फरवरी १९६५ को राजस्थान की शिक्षा नगरी कही जाने वाली पिलानी में हुआ, स्कुली शिक्षा बिरला स्कुल व स्नातक-स्नातकोत्तर की शिक्षा एम.के. साबू पी.जी. कॉलेज से ग्रहण की, वर्तमान में कपड़े के कारोबार, म्युचल पंड, शेयर व एल.आय.सी. से जुड़ा हूँ। सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं में सक्रिय सदस्य के रूप में कार्यरत हूँ। पिलानी स्थित शिवगंगा हनुमान मंदिर में अध्यक्ष, एम.के. साबू पि.जी. कॉलेज में भूतपूर्व छात्र संघटन के सचिव, पिलानी के रामलीला मंचन में कार्यकारिणी सदस्य, पिलानी विकास मंच के अध्यक्ष, सोमर सैट क्रिकेट क्लब के संस्थापक ट्रस्टी के साथ अन्य कई संस्थाओं में विशेष पदों पर कार्यरत हूँ, अब तक २५ से अधिक बार रक्तदान कर चुका हूँ। ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका बहुत ही ज्ञानवर्धक पत्रिका है, पत्रिका के माध्यम से राजस्थान के गांव विशेष, वहाँ की संस्कृति व अन्य संबंधित जानकारी के साथ पत्रिका में प्रकाशित लेख बहुत ही रूची कर होते हैं।  बोलने से काम नहीं होगा ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सर्वप्रथम हमारे राजनीतिज्ञों को इस विषय पर ठोस कदम उठाना होगा तभी ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा बनाना संभव हो सकेगा।

अजय डाडा

व्यवसायी व समाजसेवी
पिलानी निवासी
भ्रमणध्वनि: ९८२९२२७७६०

त्यौहार मानव जीवन का अभिन्न अंग है त्यौहारों के आगमन से मानव जीवन में हर्षोल्लास व उमंग से भर जाते हैं। वर्तमान में हमारे भागदौड़ भरे जीवन को रंगों से भर देता है, ये त्यौहार हमें आपनी संस्कृति व धर्म से जोड़ते हैं,  

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अमरनाथ रूंगटा

व्यवसायी व समाजसेवी
बगड़ निवासी-खलीलाबाद प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९४१५०३७६०६

१३ सितंबर १९५९ को उत्तरप्रदेश के खलीलाबाद में अमरनाथ जी का जन्म हुआ, आपकी शिक्षा रामनिवास इंटर कॉलेज में हुई है जो आपके दादाजी के नाम से बना हुआ है। लगभग १५० वर्ष पूर्व आपका परिवार राजस्थान के बगड़ से उत्तर प्रदेश में आकर बस गया। व्यापार के साथ आपके परिवार ने सामाजिक व धार्मिक सेवाओं में भी अग्रणी भूमिका निभाई है, आपका यहां पैट्रोलियम का कारोबार है।

 रामनिवास इंटर कॉलेज, डिग्री कॉलेज, शिशु विद्यालय आदि संस्थाओं में आप प्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं,   ये सभी संस्थाएं आपके दादाजी रामनिवास रूंगटा की स्मृति में आपके पिता रामकृपाल रूंगटा जी के द्वारा बनाए गए हैं। उक्त संस्थाओं में लगभग दस हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। रामकृपाल जी के पांच पुत्रों में से आप दूसरे स्थान पर है। आपके परिवार द्वारा संस्कृति व शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया, आपके दादाजी ने सर्वप्रथम यहां सांगवेद आदर्श संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की। सन् २००० में स्थापित श्री समय जी महारानी सेवा ट्रस्ट में आप अध्यक्ष के पद पर सेवारत हैं, इसके साथ ही आप अन्य कई सामाजिक व धार्मिक सेवाओं व संस्थाओं से जुड़े हैं। दीपावली के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि वर्तमान में दिवाली का वास्तविक महत्व समाप्त होता नजर आ रहा है। दिवाली मात्र शोर-शराबा व आतिशबाजी तक ही सीमित रह गई है, पूर्व में जहां दीपावली दिये में तेल-बाती जलाकर व घर-आंगन को रोशन कर किया जाता है, जिससे वातावरण में अशुद्धियां नष्ट हो जाती थी, अत: सभी को दिवाली सुख व समृद्धिता के साथ शांति पूर्ण रूप से मनाया जाना चाहिए, हमें प्रकृति व अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मिट्टी के ही दीपक जलाने चाहिए। ‘मेरा राजस्थान’ एक उत्तम पत्रिका है, राजस्थान प्रदेश व राजस्थान की संस्कृतियों के बारे में विशेष जानकारी व समाज की जानकारी उपलब्ध होती है। हिंदी व संस्कृति का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार होना चाहिए, ‘हिंदी’ हमारे देश की पहचान है, भारतीय भाषायों के जरिए ही हमारी संस्कृति सुरक्षित रह सकती है अत: ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक सम्मान अवश्य मिलना चाहिए।

जिसे लोग पूरी श्रद्धा व उत्साह से मनाते हैं पर युवा पिढ़ी में त्योहार का महत्त्व थोड़ा कम होता नजर आ रहा है अत: परिवार का कर्तव्य है कि व अपने बच्चों को इनसे जोड़े रखें, जिससे उन्हें त्योहारों का महत्त्व व संस्कृति समझ आ सके। हम मूलत: राजस्थान के जोधपुर स्थित फलोदी के निवासी हैं   जहां से हमारे पूर्वज लगभग १०० वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के खामगांव में आकर बस गये, फिर वहां से यवतमाल के अमरखेड प्रवासी हुए, पिछले २५ वर्षों से मेरा पूरा परिवार नांदेड का प्रवासी है, यहां व्यवसाय व बच्चों की शिक्षा हेतू आना हुआ, हमारा ६ भाईयों का संयुक्त परिवार है, सभी उच्च शिक्षित व अपने-अपने क्षेत्र कार्यों में व्यस्त है। मेरे दो पुत्र हैं, नांदेड में मेरा ‘नमस्कार’ नामक दुग्ध वस्तुओं के निर्माण का कारोबार है, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं में कार्यरत हूँ। नांदेड जिला माहेश्वरी सभा में विभिन्न उच्च पदों पर कार्यरत रहा, अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप कार्यरत हूँ, माहेश्वरी के महाराष्ट्र प्रदेश कार्यकरिणी में भी सदस्य के रूप में सेवारत हूँ। ‘मेरा राजस्थान’ उत्तम पत्रिका है, पत्रिका के माध्यम से राजस्थानी समाज के उत्थान का उत्तम प्रयास किया जा रहा है, यह पत्रिका उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर बढ़े यही कामना करता हूँ। ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सम्पादक बिजय कुमार जी उत्तम प्रयास कर रहे है, ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक अधिकार अवश्य मिलना चाहिए, ‘हिंदी’ ही सभी भाषाओं को आपस में जोड़ती है।

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हरिदास भट्टड़

व्यवसायी व समाजसेवी
फलोदी निवासी- नांदेड़ प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९४२२१८९१६९

भारत में त्योहारों का विशेष महत्त्व है, यहां प्रत्येक जाति धर्म व सम्प्रदाय के अपने-अपने त्योेहार हैं, विशेषकर इन चार महिनों में त्योहार की अधिकता रहती है इन त्योहारों में विशेष त्योहार है ‘दिवाली’ आज भी सभी त्योहारों की महत्वता बनी हुई है, 

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राजेन्द्र माथुर

वरिष्ट अ‍ॅडवोकेट व समाजसेवी
डिडवाना निवासी
भ्रमणध्वनि: ९८२९३७३५९९

दिवाली हम हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है, इसी दिन भगवान राम का राज्याभिषेक सम्पन्न हुआ था, जिसकी खुशी में दीपावली पर्व मनाया जाता है। दिवाली के आगमन के पूर्व इसकी तैयारी शुरू कर दी जाती है, लोग अपने 

घरों की सफाई में लग जाते हैं जिससे वातावरण में गंदगी नष्ट हो जाती है व नई उर्जा का संचार होता है जो हमें व सम्पूर्ण वातावरण को तरोताजा कर देता है। दीपावली के दिन दिपक जलाए जाते हैं   जो प्रकाश तो देते हैं साथ ही वातावरण में  हुए किटाणु व अन्य विषैली चीजें नष्ट करते हैं। हमारी आने वाली पिढ़ी को भी अपनी संस्कृति व त्यौहार-धर्म से जुड़े रहना चाहिए अन्यथा हमारी हिंदु व भारतीय संस्कृति के लिए खतरा हो सकता है। हम राजस्थान के डिडवाना के निवासी है, मेरा जन्म व स्नातक की शिक्षा डिडवाना में ही सम्पन्न हुई है, तत्पश्चात स्नातकोत्तर व एल.एल.बी. की शिक्षा जयपुर विश्वविद्यालय में ग्रहण की। सन १९८१ से वकालत के पेशे से वरिष्ठ वकील के रूप में जुड़ा हूँ। डिडवाना स्थित कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं में २६-२७ वर्षों से विभिन्न पदों पर सेवारत रहा, वर्तमान में भी कई संस्थाओं से जुड़ा हूँ। ‘मेरा राजस्थान’ उत्तम पत्रिका है, पत्रिका के माध्यम से राजस्थान की धरोहर, संस्कृति व गांवों की विशेष जानकारी उपलब्ध होती है जो हम सभी के लिए रोचक व ज्ञानवर्धक रहती है। ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक सम्मान अवश्य मिलना चाहिए, इसके लिए वरिष्ठ सम्पादक बिजय कुमार जैन द्वारा किया जा रहा प्रयास सराहनीय है।

सत्य, कर्म और सद्भावना का संदेश देती है, हम व्यापारियों के लिए ‘दिवाली’ का व्यापार की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, इस बार सूरत टेक्सटाइल बाजार बहुत ही उठान पर है, यहां देश-विदेश से कपड़ों की बड़ी मांग बढ़ रही है,   विशेषकर लहंगा चोली की मांग बड़े पैमाने पर हो रही है ये कहना है राजेश कोठारी जी का। आप सूरत के टेक्सटाइल बाजार के मुख्य व्यापारी के रूप में जाने जाते हैं, आपने अपनी मेहनत व लगन से व्यापार के क्षेत्र में अहम स्थान प्राप्त किया है जीवन की शुरूवात मात्र आपने १२ वर्ष की उम्र में ही बरेली में नौकरी से प्रारंभ की, तत्पश्चात आप मुरादाबाद, फिर दिल्ली में रहकर अपना कारोबार प्रारंभ किया, व्यापार के क्षेत्र में आप ३२ वर्षों से लगे हैं। वर्तमान में आपके भारतभर में ७ कार्यालय हैं, जिसका संचालन बड़ी सूझ-बुझ व लगन के साथ आप कर रहे हैं, पिछले २२ वर्षों से आप सहपरिवार सूरत के प्रवासी हैं, मूलत: आप राजस्थान स्थित पाली के निवासी हैं। आप सामाजिक व धार्मिक क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाते हैं। अखिल भारतीय सेवा सदन में सूरत से विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में कार्यरत हैं, इसके साथ ही अन्य कई संस्थाओं में पद पर सेवारत हैं। ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का सम्मान अवश्य प्राप्त होना चाहिए, ‘हिंदी’ हमारी संस्कृति की पहचान है, भारत का प्रत्येक नागरिक ‘हिंदी’ जानता व समझता है।

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राजेश कोठारी

पाली निवासी-सूरत प्रवासी
व्यवसायी व समाजसेवी
भ्रमणध्वनि: ९३७४७१६१२६

उमंग, उल्लास और ऊर्जा को भारत के कोने-कोने में पहुंचाने में भारतीय त्यौहारों का अहम स्थान है, ऐसे कई त्यौहार हैं जो एकता के परिचायक हैं, इनमें दिवाली सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है। ‘दिवाली’ असत्य पर सत्य की और अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है। दिवाली मर्यादा, 

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कृष्ण कुमार रूंगटा

व्यवसायी व समाजसेवी
बगड़ निवासी-दुर्ग छत्तीसगढ़ प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९३२९००३२२४

हम मूलत: राजस्थान के बगड़ के निवासी हैं, जहां से हमारे दादाजी-पिताजी दुर्ग में व्यवसाय के उद्देश्य से आकर बस गए, मेरा जन्म व मेरी शिक्षा यहीं सम्पन्न हुई है, 

यहां हमारा कमिशन एजेंट, ट्रेडिंग व पशु आहार का कारोबार है।  छत्तीसगढ़ का अग्रवाल समाज, चेम्बर आफ कामर्स, राम सिता मंदिर आदि कई संस्थाओं में आजीवन सदस्य के रूप जुड़ा हूँ, साथ ही बगड़ स्थित चावो वीरो देवी मंदिर ट्रस्ट के साथ अन्य कई संस्थाओं से जुड़ा हूँ। भारतीय व्रत एवं त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, सभी त्यौहार पौराणिक पृष्ठभूमि से जुड़े है, इनका अपना वैज्ञानिक पक्ष भी है। त्यौहार या उत्सव हमारे जीवन में सुख व हर्षोल्लास भर देते हैं, पर वर्तमान में त्यौहार सिर्पâ पैसों पर निर्भर है, जिनके पास धन है उनके लिए हर दिन त्यौहार है, आज त्यौहार का वास्तविक महत्त्व कहीं खो सा गया है। ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका देश भर में रास्थानियों को जोड़ने का काम कर रही है, पत्रिका के माध्यम से हम प्रवासीयों को अपनी धरती-अपनी मातृभूमि से जुड़ने का योग मिलता है, जिसके लिए पत्रिका परिवार को ढेरों शुभकामनाएं देता हूँ। ‘हिंदी’ हमारी भाषा है जो सभी भारतीयों को आपस को आपस में जोड़ती है, यह आम जनता की भाषा है, अत: ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का सम्मान अवश्य मिलना चाहिए।

इस दिन को हम बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाते हैं,  पांच दिनों का यह पर्व, हर दिन किसी खास परंपरा और मान्यता से जुड़ा है, इन दिनों लोग खास तौर से बच्चे उपहार, पठाके, मिठाईयां और नए कपड़े खरीदते हैं त्यौहार का दूसरा नाम ही आपसी मेल-मिलाप व सौहार्द को बढ़ावा देना। उत्तराखंड की पावन भूमि हरिद्वार में लगभग २००४ से प्रवासी हूँ, झारखंड का गिरीडीह गांव मेरा जन्म स्थान है, यहीं मेरी शिक्षा सम्पन्न हुई, व्यवसाय के उद्देश्य से हरिद्वार आना हुआ, यहां हमारा मिक्सर ग्राइंडर के पार्ट निर्माण का कारोबार है, मूलत: हम राजस्थान के झुंझुनुं के निवासी हैं, जहां से कई वर्ष पूर्व गिरीडिह आकर बस गए। व्यवसाय के साथ सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से संलग्न हूँ, यहां स्थित उत्तराखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन में कोषाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हूँ। ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका राजस्थान की गतिविधियों, संस्कृति व कला की उत्तम जानकारी उपलब्ध कराती है, जिसके लिए ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका परिवार धन्यवाद के पात्र हैं। अपनी मातृभाषा व राष्ट्रभाषा से सभी को लगाव होता है, बस इसे अधिक से अधिक बढ़ावा देने की आवश्यकता है। ‘हिंदी’ सभी को आपस में जोड़ती है, अत: हिंदी को राष्ट्रभाषा का सम्मान अवश्य मिलना चाहिए।

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संतोष खेतान

व्यवसायी व समाजसेवी
झुंझुनुं निवासी- हरिद्वार प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९३१९०४११९४

दिवाली भारत का सबसे बड़ा पर्व है और इसकी खाशियत यह है  कि इस त्यौहार को लगभग सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग देश से लेकर विदेशों तक धूम-धाम से मनाते हैं, 

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सीताराम बिहानी

व्यवसायी व समाजसेवी
श्री डुंगरगढ़ निवासी-गुवाहाटी प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९४३५०४७२६७

सामाजिक संस्थाओं में अग्रणी भूमिका निभाने वाले सीताराम जी मूलत: राजस्थान स्थित श्री डुंगरगढ़ के निवासी हैं, लगभग ३३ वर्षों से आप असम गुवाहाटी के सह परिवार प्रवासी हैं, 

यहां आपका चीनी का कारोबार है, मारवाड़ी सम्मेलन में ६ सालों तक, आसाम मैत्री सेवा ट्रस्ट में तीन वर्षों तक व कामरूप चेम्बर ऑफ कॉमर्स में पिछले १५ वर्षों से कोषाध्यक्ष के पद पर सेवारत हैं,  ऑल इण्डिया माहेश्वरी सभा के कार्यकारिणी मंडल में सदस्य के रूप सेवारत हैं इसके साथ आप अन्य कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से भी जुड़े हैं। दिवाली के संदर्भ में आप का कहना है कि दीपावली का पर्व पुरूषार्थ का पर्व है, यह आत्म साक्षात्कार का पर्व है, यह अपने भीतर सुतुप्त चेतना को जगाने का अनुपम पर्व है, यह पर्व प्रकृति को विशुद्ध और पर्यावरण की स्वच्छता के प्रति जागरूकता का संदेश देने का पर्व है, साथ ही यह अपने अंदर की बुराईयों को खत्म कर उसमें सच्चाई व नई ऊर्जा का संचार करने का पर्व है। ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका नाम के अनुरूप सार्थक है। पत्रिका के माध्यम से राजस्थान वासियों की विभिन्न गतिविधियों के साथ राजस्थान की कला-संस्कृति व गांवों की उत्तम जानकारी उपलब्ध कराती है, जो हम प्रवासी राजस्थानियों को राजस्थान से जोड़े रखती है। सम्पादक बिजय कुमार जैन का ‘हिंदी बने राष्ट्रभाषा’ अभियान देश हित में है यह अभियान अवश्य सफल होगा, यह कामना करता हूँ जो कि जरूरी भी है। ‘हिंदी’ हम सभी की अपनी भाषा है, जो सम्पूर्ण भारत को एकसूत्र में बांधती है, अत: ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक सम्मान अवश्य प्राप्त होना चाहिए

जो असमर्थ व गरिब तबके के लोगों के घरों में दिवाली मनायी जाए, इसके लिए सर्वप्रथम दिवाली के समय व्यर्थ के होने वाले खर्चों   पर रोक लगाना होगा। गरिब की कुटियों में भी दीप जले, महलों व कुटियों का समन्वय स्थापित हो तभी सही अर्थों में दिवाली का त्यौहार सार्थक होगा, मेरी तरफ से समाज के सभी बंधुओं को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। संतोष जी का जन्म उत्तरप्रदेश के बहराईच में हुआ व आपकी प्रारंभिक शिक्षा बहराईच में ही सम्पन्न हुई, तत्पश्चात उच्च शिक्षा हेतु कोलकाता आना हुआ तभी से आप कोलकाता के प्रवासी हैं। कोलकाता में आपका रोड ट्रांसपोर्ट व वेयर हाऊस का व्यवसाय है, मूलत: आपका परिवार राजस्थान के सीकर का निवासी है। वर्तमान में आप अखिल भारतवर्षिय मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं। पूर्व में मर्चेंट चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पद पर भी रहे हैं। हिंदुस्तान क्लब के भी अध्यक्ष रहे, इसके अलावा आप अन्य कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़े हैं। ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका के आप कई वर्षों से पाठक है, आपका कहना है कि ‘मेरा राजस्थान’ बहुत ही उत्तम पत्रिका है, पत्रिका के माध्यम से राजस्थान के विभिन्न गांवों, महान विभूतियों आदि के बारे में ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त होती है, जो हम प्रवासियों के लिए उत्तम है। सम्पादक बिजय कुमार जैन द्वारा ‘हिंदी बने राष्ट्रभाषा’ अभियान देश हित में है, यह अवश्य सफल हो यही कामना करता हूँ।

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व्यवसायी व समाजसेवी

व्यवसायी व समाजसेवी
श्री डुंगरगढ़ निवासी-गुवाहाटी प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९४३५०४७२६७

दिवाली के संदर्भ में संतोष सराफ जी का कहना है दिवाली के दिन हम धन की देवी माँ लक्ष्मी की आराधना करते हैं व शुभ-लाभ लिखते हैं, यह समृद्ध व धन की प्राप्ति के लिए करते हैं, हमें यह भी प्रयत्न करना चाहिए कि समाज के 

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महेश लढ्ढा

व्यवसायी व समाजसेवी
अजमेर निवासी-अहमदाबाद प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९९०९९८३८००

हमारा परिवार मूलत: राजस्थान के अजमेर का निवासी है, मेरा जन्म व शिक्षा अजमेर में ही संपन्न हुई। शिक्षा प्राप्ती के बाद गुजरात अहमदाबाद व्यवसाय के निमित्त आना हुआ, जहां ५ वर्ष कार्य किया, करीब १९७० से

हम बड़ोदा गुजरात के निवासी हैं, यहां हमारा पेपर एक्सपोर्ट का कारोबार है। आई.टी.सी. व अन्य पेपर मीलों के एजेंट है। मेरे दो पुत्र हैं दोनो भी इस कारोबार में सहयोग करते हैं। बड़ा बेटा सूरत व छोटा बेटा अहमदाबाद में कारोबार संभाल रहा है। बड़ोदा स्थित कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ा हूँ। अखिल भारतीय माहेश्वरी समाज में सदस्य के रूप जुड़ा हूँ व व्यक्तिगत रूप से भी कमजोर परिवारों की यथासंभव सहायता करता रहता हूँ। दीपावली दीपों का पर्व है, जिसकी रोशनी से अपनी जीवन में अंधकार व निराशा को उमंग व उत्साह की रौशनी से मिटा देते हैं, यह आपसी मिलन-मिलाप व खुशियां बांटने का त्योहार है, यह पर्व असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है। त्यौहार के आगमन के पूर्व घरों व मोहल्लों की सफाई प्रारंभ हो जाती है जिससे वातावरण में सुरक्षा का संचार होता है, अत: यह पर्व सभी के जीवन में खुशियां लाए यही शुभकामनाएं देता हूँ। ‘मेरा राजस्थान’ एक अच्छी पत्रिका है जो समस्त राजस्थानी समाज को आपस में जोड़ती है, पत्रिका के माध्यम से राजस्थानी समाज व लोगों की उत्तम जानकारी प्राप्त होती है, जिसके लिए पत्रिका परिवार धन्यवाद का पात्र है। ‘हिंदी बने राष्ट्रभाषा’ अभियान के लिए बिजय कुमार जैन द्वारा किया जा रहा प्रयास सराहनीय है, हिंदी राष्ट्रभाषा बने यह हर कोई चाहता है पर कुछ कारणों के कारण आज तक ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा सम्मान नहीं मिल पाया है।

‘सुपरमैन कुरियर सर्विस’ नामक कारोबार था जो आपके पुत्रों द्वारा ‘एयर पार्सल सर्विस’ नाम से चलाया जा रहा है,  आपने कारोबार से पूर्णत: निवृत्ति ले ली है, अब आप पूर्णत: सामाजिक व धार्मिक कार्यों में लगे रहते हैं। सूरजगढ़ स्थित गौशाला से जुड़े हैं, आप मूलत: राजस्थान के सुरजगढ़ के निवासी हैं, जहां आपका जन्म व शिक्षा सम्पन्न हुई है, सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़ कर सहभागी होते हैं। दिवाली पर्व के बारे में कहते हैं कि यह ज्योति पर्व प्रेरणा का स्त्रोत है। अंधेरा कितना भी गहरा हो एक दीया अपने हौसले से उजाला कर देता है, हमें दीपावली पर्व पर मिट्टी के दीये से रोशनी पर्व मनाना चाहिए और प्रकृति को प्रदुषणमुक्त रखने का प्रयास करना चाहिए, यह पर्व हमारे अंदर की सुप्त चेतना को जागृत करता है, आपसी मिलन व शुभकामनाएं देने का पर्व है, इस पर्व पर सभी को शुभकामनाएं देता हूँ। ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका राजस्थान की गतिविधियों व संस्कृति व समाज की विशेष जानकारी उपलब्ध कराती है जो बहुत ही रोचक व ज्ञानवर्धक होती है, जिसके लिए सम्पादक बिजय कुमार जैन धन्यवाद के पात्र है। ‘हिंदी’ राष्ट्रभाषा बनें यह हम सभी चाहते हैं, हमारे लिए तो हमारी राष्ट्रभाषा ‘हिंदी’ ही है हिंदी को संवैधानिक रूप से राष्ट्रभाषा का सम्मान अवश्य मिलना चाहिए।

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नंद किशोर डिडवानिया

व्यवसायी व समाजसेवी
सूरजगढ़ निवासी-मुंबई प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९८७०३२७५९१

१९७२ से मुंबई महाराष्ट्र के प्रवासी नंद किशोर जी ने अपनी लगन व मेहनत के बल पर व्यवसाय के क्षेत्र में उच्च मुकाम बनाया है, यहां आपका 

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जय प्रकाश खेतान

सीकर निवासी-गुवाहाटी प्रवासी
व्यवसायी व समाजसेवी
भ्रमणध्वनि: ९४३५०४०५८१

हमारा परिवार मूलत: राजस्थान के सीकर जिले का निवासी है, जहां से कई वर्ष पूर्व मेरे पिताजी श्री मुरलीधर खेतान जोरहाट में आकर बस गए। मेरा जन्म व सम्पूर्ण शिक्षा जोरहाट में ही सम्पन्न हुई है, 

मेरा पूरा परिवार जोरहाट में निवासित है पर मैं कई वर्षों से असम के गुवाहाटी का प्रवासी हूँ। यहां मेरा ईपीसी इलेक्ट्रीक से जुड़ा करोबार है। जोरहाट व गुवाहाटी स्थित कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़ा हुआ हूँ, मुख्यत: मेरे पिताजी सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं में सक्रिय रूप से संलग्न हैं, वर्तमान में उनकी आयु ८७ वर्ष है फिर भी वे हर क्षेत्र में कार्यरत हैं। जोरहाट में हमारे परिवार का ‘काजीरंगा विश्वविद्यालय’ है जिसमें प्रबंधक निर्देशक रूप में कार्यरत हूँ। दिवाली पर्व हमारे जीवन में उत्साह व उमंग लाता है। दिवाली ही क्यों हिंदु संस्कृति के सारे त्यौहारों की अपनी विशेषता व महत्ता है, जो हमारे जीवन को नई ऊर्जा प्रदान करता है पर मुख्य रूप से दिवाली इसलिए मनायी जाती है, क्योंकि यह असत्य पर सत्य की विजय का त्यौहार है, जिसका अर्थ है अपने अंदर की बुराईयों को समाप्त कर अच्छाईयों को लाना। दिवाली के समय घर-द्वार की सफाई से वातावरण में शुद्धता आती है जो सम्पूर्ण वातावरण में भी नई चेतना का निर्माण करती है, इसीलिए हम सभी के लिए त्यौहार का विशेष महत्व होता है। ‘मेरा राजस्थान’ के पाठकों व समाज के सभी को मेरी ओर से दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं। ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका हमें हमारी पैतृक भूमि से जुड़े रहने का अहसास दिलाती है, पत्रिका में प्रकाशित लेख जानकारी बहुत ही रोचक व ज्ञानवर्धक होते हैं। सम्पादक बिजय कुमार जैन द्वारा ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा बनाने का प्रयास उत्तम है, ‘हिंदी बने राष्ट्रभाषा’ अभियान सफल हो यही कामना करता हूँ। मे.रा.