भादरा : क्रांतिकारियों की धरती (Bhadra: Land of Revolutionaries)
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भादरा : क्रांतिकारियों की धरती (Bhadra: Land of Revolutionaries)
‘भादरा’ राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में एक ऐतिहासिक कस्बा है। इसका इतिहास वैदिक से लेकर महाभारत
काल और मुगलिया सल्तनत से लेकर राजे-रजवाड़ों के दौर तक फैला रहा।
अनेक इतिहासकारों ने बार-बार लिखा है कि जांगल प्रदेश के उत्तरी छोर पर बसा ‘भादरा’, भादरा व नोहर का यह
इलाका वैदिक काल में सप्तसैंधव क्षेत्र का हिस्सा था, जिसे हिरण्यवती, दृाद्वती, कौािकी, रोहित व सरस्वती
जैसी सात नदियां सींचती थीं, इस इलाके में मिलने वाले शंख, सीपियां,करियां व नर कंकाल इस बात का प्रमाण हैं
कि किसी समय यहां मानव सभ्यता फली-फूली थी। ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब दृाद्वती नदी हिसार, भादरा,
नोहर, रावतसर होते हुए सूरतगढ के पास सरस्वती नदी में जा मिलती थी। सार यही है कि वैदिक युग में इस
इलाके में एक उच्च कोटि की सभ्यता फली-फूली थी जिसे सात अलग-अलग नदियों का पानी सींचता था।
किवदंती है कि महाभारतकाल में यह इलाका कुरू प्रदेश में आता था और अपने बनवास काल में पांडव नोहर के
पास पांडूसर गांव में रहे थे। हालांकि इसका कोई प्रमाण नहीं है लेकिन नोहर के करोती व सोती के थेहड़ों में मिले
गेरुए रंग के मृदभांड महाभारतकालीन माने जाते हैं।
‘भादरा’ का मौजूदा नाम भी कहीं न कहीं महाभारत काल से ही निकला है। इतिहास की किताबों के अनुसार
महाभारत काल में भद्रक जनपद था, इस जनपद की पहचान अपर भद्रक व पूर्व भद्रक, दो अलग-अलग राज्यों के
रूप में थी, इनमें से पूर्व भद्रक की भद्र नामक नगरी थी। ‘भादरा’ शब्द संभवत वहीं से निकला है, यह भी कहा
जाता है कि ‘भादरा’ नाम भद्रा, भद्र या परिभद्र से आया। जाट इतिहास में भद्रकों को ‘भादरा’ का निवासी लिखा
गया है, हालांकि आधिकारिक रूप से कोई तथ्य इस बारे में नहीं है। १२०० ईस्वी के बाद दइया जाति के शासकों के
समय ‘भादरा’ का नाम रताखेड़ा था। पाणिनी अटाध्यायी के अनुसार पांचालों के पड़ोसी जनपदों में एक भद्रक
जनपद था। यह दो भागों में बंटा था और इसकी एक राजधानी इरावती या घग्गर के ‘भद्र’ नामक नगरी थी जो
आज ‘भादरा’ कहलाती है।
वैदिक काल में सप्त सैंधव का भाग रहा यह इलाका बेनीवाल जाटों और कांधलवंशी राौड़ों के अधीन रहा। यह
क्रांतिकारी खूबराम, सत्यनारायण सराफ व सोशलिस्ट बालकृण गुप्ता की जन्मभूमि है। चौधरी हरदत्त सिंह की
कर्मभूमि व बाबा खेताराम की तपोभूमि है।
भादरा एक शहर The City of Grace
भादरा’ एक शहर और एक है नगर पालिका में हनुमानगढ़ जिले के राज्य में राजस्थान, भारत की बोलचाल
मारवाड़ी (हिंदी की एक बोली) में भद्र का अर्थ है ‘द सिटी ऑफ ग्रेस'। यह नाम रसलाना विथ्रिका भद्रा नदी से आया
है। भद्रक की स्थापना भद्रक समुदाय द्वारा र्वाावती और स्वर्णभद्र नदियों के संगम पर की गई थी, जो एक
जनपदतंत्र था। भद्रा के इतिहास का पता महाभारत के समय से लगाया जा सकता है जहां यह उल्लेख किया गया
था कि भद्रा कुरुप्रदेश में है। वर्ष १०२७ में मोहम्मद गजनी से पराजित होने के बाद जाट जंगल प्रदेश आए और
भादरा का पुनर्निर्माण किया।
यह शहर श्री गंगानगर-सादुलपुर (राजगढ़)-जयपुर लाइन पर रेलमार्ग के माध्यम से और पड़ोसी राज्य हरियाणा
में हिसार और सिरसा के लिए राज्य राजमार्गों के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, लंबे समय से इस शहर
की सड़कें बहुत अच्छी हैं। ‘भादरा’ तहसील के अंतर्गत १५ गांव हैं।
राजस्थानी भााा की एक बोली बागरी, बहुसंख्यक आबादी द्वारा बोली जाती है। हरियाणा से शहर की निकटता के
कारण हरियाणवी भााा का थोड़ा प्रभाव देखा जा सकता है।
रुचि के स्थान
भद्रा मार्वेâट हरियाणा से आयातित कपड़ों और टेक्सटाइल के लिए मशहूर है। मुख्य बाजार मूर्ति चौक पर बापू
वालों की धर्मशाला के पास स्थित है।
गोगामेड़ी भारत के राजस्थान राज्य के हनुमानगढ़ जिले में धार्मिक महत्व का एक गाँव है, जो जयपुर से ३५०
किमी दूर है। गोगाजी (चुरू जिले के दादरेवा गांव के एक चौहान राजपूत) की याद में अगस्त में गोगामेड़ी में एक
भव्य मेला आयोजित किया जाता है जो हर साल सावन की पूर्णिमा से भाद्रपद की पूर्णिमा तक एक महीने तक
चलता है। चंडीगढ़ से एनएच ६५ पर गोगामेड़ी पहुंचा जा सकता है।
खेल
सरकार कॉलेज ग्राउंड क्रिकेट स्टेडियम में बैने की क्षमता ३,१८५ है और इसने राज्य और जिला क्रिकेट या फुटबॉल मैचों की मेजबानी की है। इंडोर स्टेडियम और रेलवे क्रिकेट ग्राउंड शहर के अन्य खेल क्षेत्र हैं।
सड़क
‘भादरा’ दिल्ली और जयपुर को जोड़ने वाले राट्रीय राजमार्ग संख्या ८ पर स्थित है। ३७ जयपुर को कोटा से और राट्रीय राजमार्ग ८ को बीकानेर से जोड़ता है। राजस्थान, नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराट्र, पंजाब और गुजरात के प्रमुख शहरों के लिए बस सेवा चल रही है। यह सेवा ४०० से अधिक नियमित और लो- फ्लोर बसों का संचालन करती है। प्रमुख बस डिपो मुख्य बस स्टैंड, अम्बेडकर चौक (केवल रात की बसें) और सहवा बस स्टैंड पर स्थित हैं।
रेल
तहसील ‘भादरा’ रेलवे स्टेशन (उत्तर पश्चिम रेलवे जोन, बीकानेर डिवीजन) बीकानेर, सूरतगढ़, बंिडा, चंडीगढ़,
जयपुर, सीकर, रामगढ़ शेखावाटी, सादुलपुर, चुरू, गोगामेढी, नोहर, भादरा, हनुमानगढ़ जैसे प्रमुख शहरों और कस्बों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ
शिक्षा
हाई स्कूल शिक्षा के लिए कई सरकारी और निजी स्कूल हैं जो सीबीएसई के साथ-साथ बीएसईआर से संबद्ध
कला, विज्ञान और वाणिज्य जैसे सभी धाराओं में शिक्षा प्रदान करते हैं।
श्री श्याम पाशाला शिक्षा क्षेत्र अग्रणीय नाम
आज से ५९ र्वा पूर्व शिक्षा के पिछड़ेपन को दूर करने तथा समाज के प्रत्येक वर्ग को शिक्षा से जोड़ने के उद्देश्य से
स्व. श्री धनराज शर्मा ने र्वा १९६३ में श्री श्याम पाशाला की स्थापना की, जिसके पिछे यही उद्देश्य था कि ‘भादरा’
क्षेत्र के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को शिक्षा से जोड़ा जाये, ताकि क्षेत्र का पिछड़ापन दूर
हो तथा प्रत्येक बच्चा शिक्षित होकर देश का नाम शिक्षा व अन्य क्षेत्र में रोशन करें।
श्री धनराज शर्मा द्वारा ५९ र्वा पूर्व (प्राथमिक शिक्षा) रोपित पौधा आज विशाल वट वृक्ष बनकर श्री श्याम
सीनियर सेकण्डरी स्कूल, भादरा (कला, विज्ञान, वाणिज्य एवं कृषि) स्तर महिला शिक्षा हेतु स्नातकोतर स्तर,
शिक्षा स्नातक (BED)
तथा कृषि संकाय की शिक्षा उपलब्ध कराकर उपरोक्त उदेश्यों की क्रियान्विति में सफल व सार्थक प्रयास कर
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु संकल्पित है। उच्च माध्यमिक स्तर तक हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम में
शिक्षा प्रदान की जा रही है।
श्री श्याम पाशाला १९६३ से प्राथमिक स्तर से शिक्षा उपलब्ध कराने के उपरान्त १९८० से उच्च प्राथमिक तक
१९९९ से माध्यमिक स्तर तक तथा र्वा २००२ से सीनियर सैकण्डरी (कला, विज्ञान, वाणिज्य व कृषि) संकाय की
शिक्षा देने हेतु शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति के पथ पर अग्रसर है। र्वा २००७ से श्री श्याम शिक्षक प्रशिक्षण
महाविद्यालय (B.ED.) व श्री श्याम शिक्षाक विद्यालय (S.T.C.) श्री श्याम शिक्षा शास्त्री महाविद्यालय एवं
लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा हेतु र्वा २०१० से श्री श्याम महिला महाविद्यालय (B.A., B.Sc., B.Com. &
M.Sc.in Physics-Chemistry) का सफल संचालन किया जा रहा है तथा स्नातक के साथ ही शिक्षा स्नातक
पा्यक्रम हेतु (Four Year Integrated Course) का संचालन किया जा रहा है। कृषि शिक्षा में उच्च अध्ययन
के लिए सत्र २०२०-२१ से कृषि स्नातक पा्यक्रम हेतु श्री श्याम कृषि महाविद्यालय, भादरा द्वारा संचालन किया
जा रहा है।
श्री श्याम पाशाला समिति, भादरा के अन्तर्गत उच्च माध्यमिक स्तर तक दो विद्यालयों का संचालन अपने
स्वयं के सुसज्जित एवं सभी सुविधाओं से युक्त निजी भवनों में किया जा रहा है। स्नातकोत्तर एवं शिक्षा
स्नातक (Bed) महाविद्यालय में शिक्षण हेतु सभी सुविधाओ से युक्त कक्षाकक्ष, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय
एवं खेलकूद मैदान है। संस्था के पास २० हेक्टर भूमि है, जो पर्यावरण प्रदूाण रहित क्षेत्र में स्थित है, जिस पर
महाविद्यालय का निर्माण एवं खेलकूद मैदान विकसित किए गए हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में पिछले ५९ र्वाों में विद्यालय के छात्रों ने सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होकर उच्च
स्थान प्राप्त किया है, इस विद्यालय से छात्र शिक्षा ग्रहण कर आज उच्च पदों पर आसीन होकर चिकित्सा,
प्रशासनिक, न्यायिक, शिक्षा व अन्य क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहें हैं।
श्री श्याम पाशाला समिति अपने शिक्षकों के सहयोग से पिछले ५९ र्वाों से बच्चों को शिक्षित कर उनके भविय को
उज्जवल को सुदृढ बनाने में प्रयासरत है तथा भविय में बच्चों को उच्च शिक्षा देने हेतु संकल्पित है।