तत्त्वज्ञ श्रावक मुलतान मल बैद का संक्षिप्त परिचय (Brief introduction of the philosopher Multan Mal Baid)
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तत्त्वज्ञ श्रावक मुलतान मल बैद का संक्षिप्त परिचय (Brief introduction of the philosopher Multan Mal Baid) :
चाड़वास: अद्भुत सादगी, सहनशीलता, समता और सरलता के प्रतीक अध्यात्म पुरुष पूज्य पिताजी श्री
मुलतान मल जी बैद का जीवन आज की पीढ़ी और आने वाली पीढ़ियों के लिए अति प्रेरणा दायक है।
अक्सर हमें कई विद्वान विभूतियों, तत्त्ववेताओं और अध्यात्मजनों के बारे में जानने व सुनने को
मिलता है। कभी-कभी यह प्रश्न उठ सकता है, इतना सारा आध्यात्मिक ज्ञान और तात्त्विक ज्ञान
किसलिए, हमारे दैनिक जीवन में इनकी क्या प्रासंगिकता है? इस तरह के प्रश्नों के जवाब हमें पूज्य
पिताजी के जीवन से बहुत ही आसानी से मिल सकते हैं। आपका सारा जीवन धर्म, अध्यात्म और तत्त्व
की अनुपालना करते हुए ही बीता है। सीधे शब्दों में कहूँ तो आपने सभी श्रावकीय गुणों को अपने जीवन
में विशेष रूप से उतारा है।
आपका जन्म श्री हड़मान मल जी एवं श्रीमती फूल देवी बैद के घर १० फरवरी १९२८ को ‘चाड़वास’ में
हुआ। मात्र सात वर्ष की आयु में गांव में विराजित वयोवृद्ध संत छबील मुनि के सेवा-दर्शन का भरपूर
लाभ आपको मिला। ये वही छबील मुनि हैं जो तेरापंथ धर्मसंघ के चतुर्थ आचार्य श्रीमद् जयाचार्य के
पेटिये हुआ करते थे और वृद्धावस्था में झूले में बैठा कर विहार आदि भी कराया करते थे। चूंकि गांव में
मुनिवर का स्थिर प्रवास था, अतः हर चातुर्मास के पहले या बाद में कई साधु-संतों का समागम होता
रहता था। ऐसे में पिताजी जब भी गांव में रहते साधु- संतों के साथ पठन और पाठन का क्रम भी चलता,
संभवतः वही वो वक्त था जब तत्त्वज्ञान आदि सीखने का पूर्ण अवसर मिला व संतों से संयममय और
त्यागमय जीवन जीने की प्रेरणा मिली। आज भी ९३ वर्ष से अधिक की आयु के बावजूद आपका प्रतिदिन
कम से कम दस सामायिक का क्रम जारी है। सामायिक के दौरान आपके द्वारा चितारी जाने वाली
चौबीसी की सुरीली राग बड़ी ही कर्णप्रिय रहती है। खाद्य संयम का पालन तो ७०-८० वर्षों से कर ही रहे
हैं। वर्तमान में पिछले कई वर्षों से मंजन पानी समेत सिर्फ छः द्रव्यों का ही सेवन कर रहे हैं। स्नान में
सिर्फ सवा लीटर पानी ही इस्तेमाल करते हैं, साथ ही अपने किसी भी छोटे या बड़े काम के लिए किसी को
आदेश ना देकर खुद करते हैं। किसी भी स्थिति में पंखा भी खुद नहीं चलाते हैं और ना ही ऐसा चाहते हैं
कि दूसरा आकर पंख चलाए।
सन्ा् १९८९ में आपको पत्नी वियोग हुआ, किन्तु कुछ पलों को छोड़ आप आज तक विचलित नहीं हुए।
सन् १९९३ में आपकी दुकान में भयंकर आग लग गई, सब कुछ समाप्त हो गया परन्तु आप बिल्कुल
सामान्य रहे। सन् २०११ में जमाई श्री उत्तम चंद जी बच्छावत के निधन की जैसे ही आपको सूचना
मिली, आप श्री पूर्ण समता का परिचय देते हुए सामायिक में लीन होकर बैठ गए। आपकी इस अद्भुत
समता को देख यही महसूस हुआ जैसे मोह-ममता पर पूर्ण विजय प्राप्त कर ली है, ऐसी जीवन शैली का
उदाहरण विरले ही देखने को मिलता है।
पूज्य पिताजी खुद तो विशेष धर्मावलम्बी रहे ही हैं, हम परिवारजनों को भी अच्छे धार्मिक संस्कार दिए
हैं, साथ ही साथ आपने पूरे
परिवार को शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रोत्साहित किया है। आपके पूनीत चरणों में कोटि-कोटि
नमन्..लेखक – अमरचंद बैद

तत्त्वज्ञ श्रावक मुलतान मल बैद का संक्षिप्त परिचय (Brief introduction of the philosopher Multan Mal Baid)