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उदासर में देवस्थान ( God place in Udasar in hindi )

उदासर में देवस्थान ( God place in Udasar in hindi )

      उदासर में देवस्थान ठाकुरजी का मंदिर धार्मिक श्रद्धा एवं आस्था के प्रतीक इस मंदिर का निर्माण उदासर गाँव के ठा. इन्द्रभाण के वंशज ठा. मानसिंह के पुत्र क्रमश ठा. नत्थूसिंह, चांदसिंह के वंश में ठा. नत्थूसिंह के दत्तक पुत्र कुंवर खुमाणसिंह पड़िहार द्वारा विक्रमी सम्वत् १९४५ फाल्गुन शुक्ल तृतीया वार सोमवार को कराया गया। निर्माण-कार्य पूरा होने पर इसी दिन मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा करवा कर ब्रह्मभोज का आयोजन किया गया, इस ब्रह्मभोज में ब्राह्मणों के साथ-साथ ही पूरे ‘उदासर’ गाँव को भोजन के लिए बड़े ही आदर से निमंत्रण दिया गया था।इसी वंशवृक्ष में ठा. बालजी पड़िहार की......
ठा. बीदाजी एवं ठा. ऊदाजी पड़िहार

ठा. बीदाजी एवं ठा. ऊदाजी पड़िहार

ठा. बीदाजी एवं ठा. ऊदाजी पड़िहार इतिहास प्रसिद्ध मण्डोर के अंतिम पड़िहार शासक राणा रूपड़ाजी के लघु भ्राता राणा बलूजी पड़िहार के वंश वृक्ष में क्रमश श्यामसी, छाजूरामी, सारंगजी व चांदसी हुए। इसी चांदसी ने बारू-छायण से पलायन करके विक्रम संवत् १५९४ की वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया को अपने नाम से ‘चांदमसो’ गाँव बसाया।चांदसी के पुत्र संग्रामसी के समय विक्रम संवत् १६०९ में खारबारा के नरावत राजपूतों ने चांदसमो गाँव पर अक्रमण कर दिया, जिसमें संग्रामसी एवं उनके छ पुत्रों क्रमश रामदासजी, श्यामदासजी, सुखजी, अजबसी, रूगदासजी और थानसी ने नरावतों से युद्ध करते हुए वीरगति पाई। इस युद्ध में संग्रामसी के......
ऐतिहासिक आध्यात्मिक नगरी नापासर

ऐतिहासिक आध्यात्मिक नगरी नापासर

      ऐतिहासिक आध्यात्मिक नगरी नापासर ‘नापासर’ भारत के राजस्थान राज्य में बीकानेर जिले का एक कस्बा है। नापासर कस्बा एक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धार्मिक धरोहरो को संजोये हुए हर क्षेत्र में प्रगती की ओर अग्रसर होता हुआ बिकानेर ही नहीं पूरे राजस्थान के हृदयपटल पर अपनी छाप बनाये हुए है। इसे बीकानेर के महाराजा गंगासिंह जी के भतीजे, युगदृष्टा कुशल राजनीतिज्ञ नापाजी सांखला ने बीकानेर स्थापना के एक वर्ष बाद संवत् १५४६ में नापासर की नींव रखी, जिसका शिलालेख नाइयों का मोहल्ला, रामसर रोड पर शिव मंदिर के दरवाजे के ऊपर लगा हुआ है। ‘नापासर’ की स्थापना के साथ सांखला, धांधल राजपूतों......
भारत का स्वर्णिम संक्षिप्त इतिहास

भारत का स्वर्णिम संक्षिप्त इतिहास

      भारत ने अपने इतिहास में किसी भी देश पर हमला नहीं किया है। जब कई संस्कृतियों में ५००० साल पहले घुमंतू वनवासी थे, तब भारतीयों ने सिंधु घाटी (सिंधु घाटी सभ्यता) में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की। भारत का अंग्रेजी में नाम ‘इंडिया’ इं‍डस नदी से बना है, जिसके आस पास की घाटी में आरंभिक सभ्‍यताएं निवास करती थी। आर्य पूजकों में इस इंडस नदी को सिंधु कहा। ईरान से आए आक्रमणकारियों ने सिंधु को हिंदु की तरह प्रयोग किया। ‘हिंदुस्तान’ नाम सिंधु और हिंदु का संयोजन है, जो कि हिंदुओं की भूमि के संदर्भ में प्रयुक्त होता है। शतरंज की......
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