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दाधीच समाज मुम्बई द्वारा महर्षि

दाधीच समाज मुम्बई द्वारा महर्षि

दाधीच समाज मुम्बई द्वारा महर्षि दधिची की ४९वीं जयन्ती बजाज हॉल एस. वी. रोड, मालाड वेस्ट, मुम्बई में रविवार, दिनांक १६ सितम्बर को बड़ी धूमधाम से मनायी गई, इस अवसर पर समाज के लोग परिवार सहित बड़ी संख्या में शामिल हुए, समाज अध्यक्ष डा.सी. एल. दाधीच ने सभी का तहेदिल से स्वागत किया तथा महर्षि दधिची के महान त्याग का अनुकरण करने की सलाह दी। इस अवसर पर भजन तथा राजस्थानी लोकगीतों की प्रस्तुति एस एन. गग्गड एवं पार्टी द्वारा की गयी तथा जाने माने हास्यसम्राट कांकरोली निवासी सुनील जी व्यास, जो कि विशिष्ट अतिथि बतौर पधारे थे ने माँ पर... ...
शरद गोपीदासजी

शरद गोपीदासजी

क्लिन फाउंडेशन, श्वेत-केतु, कलादालन फाउंडेशन, सोनी एंड सोनी फिल्म निर्माता व मैत्री परिवार के तरफ से सत्कार समारोह व ‘कारवा सुनहरे गीतों का’ कार्यक्रम कविवर सुरेश भट्ट सभागृह रेशमबाग में आयोजित किया गया, सत्कार मुर्ती संदीप जोशी महाराष्ट्र राज्य लघु उद्योग महामंडल के नवनियुक्त अध्यक्ष(राज्यमंत्री दर्जा), कुनाल गडेकर दक्षिण मध्य सांस्कृतिक केंद्र भारत सरकार कार्यक्रम के समिति सदस्य व कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त व टाईम्स बीजनेस अचिवर्स अवार्ड समाजसेवी शरद बागडी थे। मुख्य अतिथी भाजपा शहर अध्यक्ष आमदार सुधाकर कोहळे, क्लिन फाउंडेशन के दीपक निलावार, श्वेत केतु के डॉ. प्रशांत काळे, मैत्री परिवार सचिव प्रमोद पेंडके व फिल्म ऐक्टर व डायरेक्टर... ...
आसुरी शक्तियों पर विजय के लिए की जाती हैं ‘दुर्गापूजा’

आसुरी शक्तियों पर विजय के लिए की जाती हैं ‘दुर्गापूजा’

एकम से आसोज सुदी नवमी तक देवी की पूजा नौ दिन तक की जाती है, इसीलिये उसे ‘नवरात्र’ या ‘महापूजा’ कहा जाता है। इसमें पूजा करना मुख्य कार्य है जबकि उपवास, एकासना (एक वक्त भोजन) नव व्रत आदि तो पूजा के अंग मात्र हैं, इसमें अपने-अपने कुल के आधार पर ही नवरात्रि के नियमों की अनुपालना करनी चाहिये, किसी के घर में पूजा-पाठ नहीं हो सकती तो कहीं और पूजा-पाठ करना अनिवार्य होता है, कुछ लोग तो केवल व्रत ही करते हैं जबकि वे पूजा-पाठ और हवन नहीं करवाते, वे अपने-अपने कुल-धर्म के अनुसार इस व्रतोत्सव का अनुष्ठान कर सकते हैं।... ...
अक्टूबर समीक्षा

अक्टूबर समीक्षा

रामअवतार अग्रवाल व्यवसायी व समाजसेवी सीकरनिवासी-कोलकाता प्रवासीभ्रमणध्वनि: ९८३०५५६६५२ हाराज अग्रसेन हम अग्रवालों के पूर्वज है, हमारे लिए पूज्यनीय हैं, उनके विचार आज भी समाज में प्रतिपादित हो रहे हैं। मोदी जी तो आज कहते हैं ‘सबका साथ-सबका विकास’ पर युग पुरूष अग्रसेन जी ने ‘एक र्इंट-एक रूपया’ सिद्धांत के माध्यम से सम्पूर्ण समाज के विकास को सुनिश्चित किया। आज भी उनके वंशजों द्वारा चाहे वे कहीं भी निवास करते हों, इस विचारों का अनुसरण करते आ रहे हैं। समाज के लोग अपनी योग्यता अनुरूप इसका लाभ उठाने में सक्षम हैं। आज इस स्वार्थ की दुनिया में लोग अपने में ही व्यस्त... ...
सितम्बर सितम्बर

सितम्बर सितम्बर

( हेलो! मेरा राजस्थान ) जगत नारायण जोशी पूर्व राज्यमंत्री सलाहकारइंदौर, मध्यप्रदेश, भारतभ्रमणध्वनि: ९४२५०५४९७० महाष्र् दधीच न सिर्प दानवीर रहे बल्कि श्रेष्ठ न्यासी के रूप में समाज के सम्मुख उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया, देवताओं द्वारा सुरक्षित रखने हेतु दिए गए दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की रक्षा के लिए अपने तपोबल से उन्हें अपने शरीर में धारण किया, जब  देवताओं को इस शस्त्रों की आवश्यकता हुई तो अपने शरीर का त्याग कर वङ्का रूपी शस्त्र प्रदान किया। महर्षि दधीच को प्रथम न्यासी के रूप में जाना जाता है, उन्होंने मानव कल्याण हेतु व वत्रासुर के कष्टों से समाज की रक्षार्थ अपने शरीर का त्याग... ...