परिचय

संक्षिप्त परिचय
बिजय कुमार जैन ‘हिन्दी सेवी’

वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक
भ्रमणध्वनि: ९३२२३०७९०८
अणुडाक: mailgaylordgroup@gmail.com

‘हिंदी वेलफेअर ट्रस्ट’ के संस्थापक अध्यक्ष बिजय कुमार जैन विगत ३६ वर्षों से हिंदी पत्रकारिता के माध्यम से देश, धर्म, समाज एवं राजनीति की सेवा में संलग्न है। श्री जैन ने अपनी पत्रकारिता की यात्रा ‘विडियो बूम’ के साथ ‘ईस्ट वेस्ट अंधेरी टाइम्स’ के प्रकाशन – संपादन से आरंभ की, वर्तमान में भी तीन-तीन पत्रिकाओं का संपादन कर रहे हैं।

१.मेरा राजस्थान

मरूभूमि राजस्थान के इतिहास के साथ अपनी मातृभूमि के प्रति भी दायित्व के निर्वाह की भावना से १४ वर्ष पूर्व श्री  बिजय कुमार जैन ने ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया, इस पत्रिका के माध्यम से वर्तमान पीढ़ी को न केवल राजस्थान के गौरवशाली इतिहास से अवगत करा रहे हैं, बल्कि समस्त राजस्थानवासियों को एकता के सूत्र में पिरोने का महतीय प्रयास कर रहे हैं साथ में देश-दुनिया में फैले राजस्थानियों को राजस्थान का इतिहास उपलब्ध करवा रहे हैं।

२.‘जिनागम’ पत्रिका

जैन समाज के विभिन्न पंथों एवं सम्प्रदायों में एकता स्थापित करने के उद्देश्य से १९ वर्ष पूर्व श्री बिजय कुमार जैन ने ‘जिनागम’ पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया, समाज के सभी वर्गों के समर्थन के साथ-साथ श्री जैन की पहल को जैन धर्माचार्यों एवं गुरू-भगवन्तों के आशीर्वाद मिले, आज ‘जिनागम’ लोकप्रियता के पथ पर निरंतर अग्रसर है।

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३. ‘मैं भारत हूँ’ पत्रिका

अपने धर्म एवं प्रदेश के साथ श्री जैन ने भारत, भारतीयता और भारतीय भाषायी संस्कृति की ओर ध्यान केंद्रित किया, अपनी भावना को आकार देने हेतु उन्होंने ७ वर्ष पूर्व ‘मैं भारत हूँ’ पत्रिका का शुभारंभ किया, आज यह पत्रिका राजनैतिक क्षेत्र के साथ सामाजिक क्षेत्र में अत्यंत लोकप्रिय है और भारत के विभिन्न राज्यों का इतिहास व विभिन्न राजनैतिक दलों की जानकारी के साथ भारतीय आ़जादी के पूर्व का भारतीय इतिहास उपलब्ध करवा रहे हैं।

ऐतिहासिक रथयात्रा :
‘क्यूं नहीं मिल्यो म्हारी मायड़ भाषा न सम्मान’ राजस्थानी भाषा को राज्यभाषा का सम्मान दिलाने के उद्देश्य से श्री जैन ने १९ जुलाई, २०१५ को मुंबई से दिल्ली तक रथयात्रा का आयोजन किया, कई दृष्टियों से यह रथयात्रा ऐतिहासिक साबित हुई जो १७ दिन तक लगातार महाराष्ट्र गुजरात, राजस्थान, हरियाणा आदि का दौरा किया, जिसे सभी राजनैतिक दलों के साथ सभी भाषाविदों ने सराहा।
एकला चलो रे कारवॉ बनता जायेगा - रविन्द्रनाथ टैगोर

अपने साढ़े तीन दशक के पत्रकारीता जीवन में श्री बिजय कुमार जैन ने एक बात बड़ी गंभीरता से अनुभव किया कि विदेशी दासता से मुक्त होने के ७० वर्षों बाद भी भारत की अपनी कोई संवैधानिक राष्ट्रभाषा नहीं है। श्री जैन का दृढ़ मत है कि ‘हिंदी’ ही भारत की सर्वमान्य राष्ट्रभाषा होने की अधिकरिणी है और इस नाते ‘हिंदी’ को संवैधानिक रूप से राष्ट्रभाषा की मान्यता मिलनी ही चाहिए, स्वयं एक पत्रकार व सम्पादक होने के नाते श्री जैन ने अनुभव किया कि यह कार्य जन-जागरण से ही संभव हो सकता है और इसके लिए मीडिया के समस्त रूपों का सहयोग लेकर ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने का प्रयास कर रहे हैं सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान बढ़ाते हुए।

वर्तमान में मीडिया के तीन महत्वपूर्ण प्रकारों प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया को जोड़ने की भावना से श्री जैन ने जनजागरण अभियान को सूत्रवाक्य दिया..

भारतीय भाषा अपनाओ अभियान
भारत की एक राष्ट्रभाषा बनें ये है हमारा आव्हान

‘हिंदी’ को मिले राष्ट्रभाषा का सम्मान हेतु बिजय जैन के निर्देशन में देश के प्रमुख शहरों जैसे मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, लखनऊ, भोपाल, हैदराबाद, चेन्नई, चण्डीगढ़, भुवनेश्वर, गुवाहाटी आदि में सभाएं आयोजित की गयी जिसमें बड़ी संख्या में हिन्दी साहित्यकार, भाषा प्रेमी एवं पत्रकारों ने हिस्सा भी लिया, मिडिया के वरिष्ठ व्यक्तित्वों से उत्साहजनक प्रतिक्रियाएँ भी मिली, सब का मत रहा कि ‘हिंदी’ भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के संकल्प पर समस्त मिडिया को एकमंच पर आना स्वागत योग्य और ऐतिहासिक घटना होगी।

अपने प्रयास को जारी रखते हुए श्री जैन ३० जनवरी २०१७ को महात्मा गांधीजी की पुण्यतिथि पर दिल्ली स्थित राजघाट से भारत सरकार को एक निवेदन भी दिया कि भारत की राष्ट्रभाषा ‘हिंदी’ को संवैधानिक सम्मान दिया जाये, भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, सम्पादक, पत्रकार, भाषाविद एवं साहित्यकारों का समर्थन भी मिला, ये कारवां यहीं नहीं रूका, इसके बाद भी हिंदी बने राष्ट्रभाषा अभियान की सफलता के लिए ५ जनवरी २०१७ को तेरापंथ भवन भुवनेश्वर, १२ जनवरी २०१७ को हिंदी साहित्य सम्मेलन कार्यालय नई दिल्ली, १९ जनवरी २०१७ को असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति गुवाहाटी, २२ जनवरी २०१७ को प्रेस क्लब चण्डीगढ़, ३० जनवरी २०१७ को राजघाट में ली शपथ, ६ फरवरी २०१७ को मुंबई महानगरपालिका दादर, ४ मार्च २०१७ को बगड़का कॉलेज मुंबई, १६ मार्च २०१७ को साठे कॉलेज विलेपार्ले, २३ मार्च २०१७ को मारवाड़ी सार्वजनिक पुस्तकालय नई दिल्ली, १४ मई २०१७ को प्रेस क्लब रायपुर, १८ जून २०१७ को कुन्द कुन्द ज्ञानपीठ इंदौर, २६ से ३० सितम्बर को मुंबई में प्रथम बार २४ भारतीय भाषाओं का विश्वस्तरीय ‘भारतीय भाषाई पुस्तक मेला’ का आयोजन किया, जिसका उद्घाटन गोवा की राज्यपाल महामहीम श्रीमती मुदृला सिन्हा द्वारा किया गया, दिनांक ६ जनवरी २०१८ को त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन कोलकात्ता में श्री जैन की भावना ‘पहले मातृभाषा-फिर राष्ट्रभाषा’ को न सुनते हुए मंच तक से उतरने की जिल्लत भी सहन करनी पड़ी। कहते हैं इन्सान में जुनून होना चाहिए सफलता कदमों को चूमती है, १०-११ जनवरी २०१८ को मुंबई विद्यापीठ में २२ भाषाओं की संस्कृति को एकमंच पर लाकर ‘भारतीय भाषाई सम्मेलन’ का आयोजन किया, जिसका उद्घाटन नागालैण्ड के राज्यपाल श्री पी.बी. आचार्य ने किया और कहा कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा का सम्मान बढ़े, इस भावना का मैं तहे दिल से बिजय जी का सम्मान करता हूँ। ‘राजस्थानी एकता’ के लिए २९-३१ मार्च व १ अप्रैल २०१८ को मुंबई स्थित मुंबई की पुरातन राजस्थानी नगरी में ४ दिवसीय राजस्थानी मेला का आयोजन कर डाला, जिसमें मुंबई-महाराष्ट्र व पूरे भारत से लोगों ने अपनी उपस्थिति द़र्ज करवायी।

अपने जीवन काल में संघर्षरत श्री जैन ने कई उतार-चढ़ाव देखे, सड़क पर खड़े होकर अखबार बेचा तो कई-कई राजनैतिक-उद्योगपति-गुरू-शैक्षणिक क्षेत्र से जुड़े विभूतियों के साक्षात्कार फिल्मी दुनिया के बीग बी अमिताभ बच्चन के साक्षात्कार से पत्रकारिता की दुनिया में प्रवेश किया, साथ ही सामाजिक व राष्ट्रीय हित में कई-कई ऐसे कार्य भी किए जो कि अपने आप में अद्वितीय हैं।

आज बिजय कुमार जैन ने अपने जीवन का एक ही ध्येय बना लिया है कि विश्व में पैâले बंटे हुए जैन समाज को, अपनी अंतर्राष्ट्रीय ख्यात पत्रिका ‘जिनागम’ व सभाओं द्वारा एकमंच पर लाने का प्रयास, उद्योगपतियों व संस्कृती प्रेमियों को एकमंच पर लाने के लिए ‘आपणों राजस्थान’ द्वारा ‘राजस्थानी’ से परिचय करवाना, जबकि राजस्थानी आज अपनी संस्कृति का भूलाते जा रहे हैं। बिजय कुमार जैन द्वारा सम्पादित ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका द्वारा राजस्थान के कई-कई गावों-शहरों के इतिहास से परिचित करवाना, अद्वितीय ही नहीं किए जा रहे ऐतिहासिक कार्य को सम्मानित भी किया जा रहा है, भारतीय राजनीतिज्ञों को स्वच्छता से ओत-प्रोत ‘मैं भारत हूँ’ का प्रकाशन कर भारत की शीर्ष राजनीतियों से निवेदन करते हुए कहते रहे हैं, कि गन्दी राजनीति को दूर कर भारत का सम्मान विश््व में बढवायें।

बिजय कुमार जैन देश-विदेश में फैले भारतीयों से निवेदन कर रहे हैं कि ‘पहले मातृभाषा-फिर राष्ट्रभाषा’ भारत के हर प्रांतों की भाषा को राज्यभाषा का द़र्जा व हिंदी को राष्ट्रभाषा का सम्मान प्राप्त हो, जिसके लिए श्री जैन ने भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद लोकसभा-राज्यसभा आदि सभी से निवेदन कर चुके हैं कि भारतीय भाषायी संस्कृति को बचायें और दिल्ली स्थित India Gate को ‘भारत द्वार’ लिखवायें।

राष्ट्रीय संस्कृति से परिपूर्ण और भारतीय भाषाओं को सम्मान दिलाने को अग्रणीय श्री जैन का ‘ईस्ट वेस्ट अंधेरी टाइम्स’, ‘जिनागम’, ‘मेरा राजस्थान’, ‘मैं भारत हूँ,’ आपणों राजस्थान, हिंदीकल्याणन्यास.कॉम परिवार को मार्गदर्शन मिलता रहे ऐसी परिकल्पना हम नीली छतरी वाले से करते हैं।