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मातृभाषा का महत्त्व

मातृभाषा का महत्त्व

इतिहास के प्रकाण्ड पण्डित डॉ. रघुबीर प्रायः फ्रांस जाया करते थे, वे सदा फ्रांस राजवंश के एक परिवार के यहाँ ठहरा करते थे, उस परिवार में एक ग्यारह साल की सुन्दर लड़की भी थी, वह भी डॉ. रघुबीर की खूब सेवा करती थी। एक बार डॉ. रघुबीर को भारत से एक लिफाफा प्राप्त हुआ, बच्ची को उत्सुकता हुई, देखें तो भारत की भाषा व लिपि कैसी है? उसने कहा-‘अंकल! लिफाफा खोलकर पत्र दिखायें। डॉ. रघुबीर ने टालना चाहा, पर बच्ची जिद पर अड़ गयी। डॉ. रघुबीर को पत्र दिखाना पड़ा। पत्र देखते ही बच्ची का मुँह लटक गया। अरे! यह तो......

महेश नवमी उत्सव

ुंबई: ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाई जाने वाली ‘महेश नवमी’ उत्सव की शुरुआत शिवोपासना के साथ की गई। मुंबई में रहने वाले माहेश्वरी समाज की विभिन्न संस्थाओं द्वारा ‘महेश नवमी’ के अवसर पर जगह जगह दो दिवसीय आयोजन किए गए, पहले दिन शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना के बाद बाबा भोलेनाथ का विभिन्न तरल पदार्थों से सामूहिक अभिषेक किया गया। उपनगरों में कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, भगवान शिव को समर्पित ‘महेश नवमी’ पर्व माहेश्वरी समाज के उत्पत्ति का पर्व होता है, इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।......
राजस्थान से केंद्रीय मंत्री

राजस्थान से केंद्रीय मंत्री

नई दिल्ली: १८वीं लोकसभा के गठन के बाद नई दिल्ली में मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों ने अपने-अपने मंत्रालयों में पदभार ग्रहण किये। केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल राजस्थान के चारों सांसदों ने भी संबंधित मंत्रालयों में पदभार ग्रहण किया। जोधपुर से नवनिर्वाचित सांसद श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में पदभार ग्रहण किया। पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहा कि देश में संस्कृति के क्षेत्र में पिछले दस वर्ष अभूतपूर्व रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन अनुसार नए सोपान तय करने के लिए हमारी टीम शानदार काम करती रहेगी। केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत......
लाडनूं मारवाड़ का गौरव

लाडनूं मारवाड़ का गौरव

मारवाड़ के नागौर क्षेत्र की भूमि जो देश प्रेम, त्याग, शौर्य और बलिदान की अमर गाथाओं की वजह से दुनिया भर में मशहूर है, वहीं लोक कला, साहित्य, संस्कृति और स्थापत्य के क्षेत्र में भी सदा जानी जाती रही है, इसी ज़िले का ‘लाडनूं’ शहर अपनी नैतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और सामाजिक चेतना तथा आध्यात्मिक दृष्टि से भी काफ़ी समृद्ध रहा है। विश्व चर्चित सभी राजस्थानी परिवार की पत्रिका ‘मेरा राजस्थान’ के प्रबुद्ध पाठकों को प्रस्तुत विशेषांक में ‘लाडनूं’ की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि से रूबरू करवाते हैं: ‘लाडनूं’ ज़िला मुख्यालय नागौर से १००, जोधपुर से २५० और जयपुर से २१० किमी......
धर्म की ऐतिहासिक नगरी ‘लाडनूँ’

धर्म की ऐतिहासिक नगरी ‘लाडनूँ’

राजस्थान के नागौर जिले का प्रसिद्ध नगर है `लाडनूँ’, जो राजस्थान के नागौर जिले के उत्तरी-पूर्वी छोर पर बसा हुआ है, इतिहास कहता है कि प्राचीन काल में यह गंधर्व वन कहलाता था, क्योंकि गांधार लोग यहां क्रीड़ा करने के लिए आते रहते थे। महाभारत काल में यह एक विशिष्ट सामरिक सुरक्षा स्थल माना जाता था, जिससे इसे महाभारत कालीन में ‘नागरी’ भी माना जाता है। थली प्रदेश, नौवंâूटी मारवाड़ एवम् शेखावाटी का संगम-स्थल यह कस्बा जोधपुर-दिल्ली रेलवे मार्ग पर स्थित है, समुद्र तल से यह ३२९ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। ‘लाडनूँ’ का प्राचीन नाम ‘चंदेरी’ भी रहा, इसके......
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