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दीपावली और लक्ष्मी पूजन का महत्व

दीपावली और लक्ष्मी पूजन का महत्व

भारत एक धर्मनिर्पेक्ष राष्ट्र है, यहां पर सभी धर्म के मानने वालों को रहने व अपने-अपने धर्म के अनुसार विभिन्न त्यौहारों को मनाने का संवैधानिक अधिकार है। सबके अपने अलग-अलग प्रिय पर्व हैं जैसे मुस्लिम धर्म के मानने वाले ईद, क्रिश्चिन-क्रिसमस, सिक्ख-गुरुनानक जयंती को अपना विशेष त्यौहार मानते हैं उसी प्रकार हिंदू धर्म में होली, दिवाली, दशहरा आदि पर्वों का विशेष महत्व है। भारतीय सभ्यता व संस्कृति के इतिहास में अनादिकाल से भारतवर्ष में दिवाली पर्व खूब धूमधाम से मनाया जाता है, इसके पीछे एक पौराणिक कथा चली आ रही है- रामायण हिन्दुओं का पवित्र महाग्रंथ है जिसे महाकवि महर्षि बाल्मिकि... ...
शत्रुओं का विनाश करने वाला पर्व विजयादशमी

शत्रुओं का विनाश करने वाला पर्व विजयादशमी

आसोज सुदी दशमी को विजयादशमी कहते हैं, इस दिन तीसरे प्रहर (अपराह्नकाल) में दशमी होना जरुरी है, अगर नवमी के अपराह्न में ही दशमी होती है तो यह दिन मान्य है अन्यथा यदि दशमी के तीसरे प्रहर में दशमी रहे तो वही सही मानी जाती है, यदि दशमी दो हों तो अपराह्र में रहने वाली दशमी ही ग्राह्य है, यदि अपराह्न में श्रवण नक्षत्र हो तो वह और भी उत्तम माना जाता है, दोनों ही दिन यदि श्रवण नक्षत्र आ जाये तो वह और अधिक श्रेष्ठ होता है। श्रवण नक्षत्र में दशमी का योग ‘विजय-योग’ कहलाता है इसलिए इस दशमी को... ...
सुख, समृध्दि व शक्ति–उपासना का महापर्व ‘नवरात्र’

सुख, समृध्दि व शक्ति–उपासना का महापर्व ‘नवरात्र’

जो देवी सर्व–भूत प्राणियों में शक्तिरुप होकर निवास करती है उसको पृथ्वी के समस्त प्राणियों का नमस्कार है। सृष्टि की आदि शक्ति है मॉ दुर्गा। देवताओं पर मॉ भगवती की कृपा बनी रहती है। समस्त देव उन्हीं की शक्ति से प्रेरित होकर कार्य करते हैं, यहां तक ब्रह्मा, विष्णु और महेश बिना भगवती की इच्छा या शक्ति से सर्जन, पोषण एवं संहार नहीं करते, परमेश्वरी के नौ रुप हैं, इन्हीं की नवरात्रा में पूजा होती है। धर्माचार्यों के अनुसार साल–भर में चार बार नवरात्रा व्रत पूजन का विधान है। चैत्र, आषाढ, अश्विन और माघ का शुक्ल पक्ष, इसमें चैत्र व अश्विन... ...
सुर्यवंशी अग्रकुल प्रर्वतक महाराजा अग्रसेन

सुर्यवंशी अग्रकुल प्रर्वतक महाराजा अग्रसेन

वर्तमान में जहाँ राजस्थान व हरियाणा राज्य है इन राज्यों के बीच सरस्वती नदी बहती थी, इसी सरस्वती नदी के किनारे प्रतापनगर नामक एक राज्य था। भारतेन्दु हरिशचन्द्र के अनुसार-मांकिल ऋषि जिन्होंने वेद-मंत्र की रचनाएं की थी, की परम्पराओं में राजा धनपाल हुए। धनपाल ने प्रतापनगर राज्य बसाया था, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा लिखित महालक्ष्मी व्रत कथा और गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.सत्यकेतु विद्यालंकार द्वारा रचित ‘अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास’ में छपा है कि राजा धनपाल की छठी पीढ़ी में महाराजा वल्लभ प्रतापनगर के शासक बने। महाराजा वल्लभ का काल महाभारत के काल के आसपास का माना जाता है। महाराजा... ...
भाई-बहन के पवित्र बंधन का त्योहार रक्षाबंधन

भाई-बहन के पवित्र बंधन का त्योहार रक्षाबंधन

‘रक्षाबंधन’ का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर बलि राजा के अभिमान को इसी दिन चकनाचूर किया था इसलिए यह त्योहार ‘बलेव’ नाम से भी प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र राज्य में नारियल पूर्णिमा या श्रावणी के नाम से यह त्योहार विख्यात है, इस दिन लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं। ‘रक्षाबंधन’ के संबंध में एक अन्य पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है। देवों और दानवों के युद्ध में जब देवता हारने लगे तब वे देवराज इंद्र के पास गए। देवताओं को... ...