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शिल्प विद्या के उद्धारक विश्वकर्माजी का संक्षिप्त परिचय ( Brief introduction to Vishwakarmaji, the savior of craftsmanship in hindi )
शिल्प विद्या के उद्धारक विश्वकर्माजी का संक्षिप्त परिचय नारायण की आज्ञा से ब्रह्माजी ने इस पृथ्वी का निर्माण किया तो उन्हें इसे स्थिर रखने की भी चिन्ता हुई, जब उन्होंने इसके लिए नारायण से स्तुति की तो स्वयं नारायणजी ने विराट विश्वकर्मा का रूप धारण कर डगमगाती पृथ्वी को स्थिर किया, पृथ्वी के स्थिर हो जाने के पश्चात विश्वकर्मा ने विभिन्न लोकों की रचना की।समस्त सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी ने विभिन्न युगों में प्रलय के पश्चात सृष्टि की पुर्नरचना की तथा हर युग में विश्वकर्मा ने अपना योगदान दिया। विश्वकर्मा कोई नाम नहीं यह तो पदवी ‘‘उपाधि’’ मात्र है, जिस ऋषि-महर्षि... ...
उदासर में देवस्थान ( God place in Udasar in hindi )
उदासर में देवस्थान ठाकुरजी का मंदिर धार्मिक श्रद्धा एवं आस्था के प्रतीक इस मंदिर का निर्माण उदासर गाँव के ठा. इन्द्रभाण के वंशज ठा. मानसिंह के पुत्र क्रमश ठा. नत्थूसिंह, चांदसिंह के वंश में ठा. नत्थूसिंह के दत्तक पुत्र कुंवर खुमाणसिंह पड़िहार द्वारा विक्रमी सम्वत् १९४५ फाल्गुन शुक्ल तृतीया वार सोमवार को कराया गया। निर्माण-कार्य पूरा होने पर इसी दिन मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा करवा कर ब्रह्मभोज का आयोजन किया गया, इस ब्रह्मभोज में ब्राह्मणों के साथ-साथ ही पूरे ‘उदासर’ गाँव को भोजन के लिए बड़े ही आदर से निमंत्रण दिया गया था।इसी वंशवृक्ष में ठा. बालजी पड़िहार की जोड़ायत पार्वती कंवर... ...
ठा. बीदाजी एवं ठा. ऊदाजी पड़िहार (Thakur Bidaji and Thakur Udaji )
ठा. बीदाजी एवं ठा. ऊदाजी पड़िहार इतिहास प्रसिद्ध मण्डोर के अंतिम पड़िहार शासक राणा रूपड़ाजी के लघु भ्राता राणा बलूजी पड़िहार के वंश वृक्ष में क्रमश श्यामसी, छाजूरामी, सारंगजी व चांदसी हुए। इसी चांदसी ने बारू-छायण से पलायन करके विक्रम संवत् १५९४ की वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया को अपने नाम से ‘चांदमसो’ गाँव बसाया।चांदसी के पुत्र संग्रामसी के समय विक्रम संवत् १६०९ में खारबारा के नरावत राजपूतों ने चांदसमो गाँव पर अक्रमण कर दिया, जिसमें संग्रामसी एवं उनके छ पुत्रों क्रमश रामदासजी, श्यामदासजी, सुखजी, अजबसी, रूगदासजी और थानसी ने नरावतों से युद्ध करते हुए वीरगति पाई। इस युद्ध में संग्रामसी के... ...
ऐतिहासिक आध्यात्मिक नगरी नापासर ( Historical Spiritual city Napasar in hindi)
ऐतिहासिक आध्यात्मिक नगरी नापासर ‘नापासर’ भारत के राजस्थान राज्य में बीकानेर जिले का एक कस्बा है।नापासर कस्बा एक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धार्मिक धरोहरो को संजोये हुए हर क्षेत्र में प्रगती की ओर अग्रसर होता हुआ बिकानेर ही नहीं पूरे राजस्थान के हृदयपटल पर अपनी छाप बनाये हुए है। इसे बीकानेर के महाराजा गंगासिंह जी के भतीजे, युगदृष्टा कुशल राजनीतिज्ञ नापाजी सांखला ने बीकानेर स्थापना के एक वर्ष बाद संवत् १५४६ में नापासर की नींव रखी, जिसका शिलालेख नाइयों का मोहल्ला, रामसर रोड पर शिव मंदिर के दरवाजे के ऊपर लगा हुआ है। ‘नापासर’ की स्थापना के साथ सांखला, धांधल राजपूतों के साथ राठी, डागा, नाई,... ...