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एक और कदम अपनी ओर -सरोज राठी चैन्नई, तामिलनाडु, भारत

एक और कदम अपनी ओर -सरोज राठी चैन्नई, तामिलनाडु, भारत

मैं सरोज राठी चेन्नई प्रवासी हूं। ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका बहुत ही सशक्त साधन है, अपनी बात समाज तक पहुंचाने के लिए… मैं काफी दिनों से विचार कर रही थी एक बात समाज में पहुंचाने को, हमलोग सभी भारत के वासी सनातनी हैं। हमारी सभ्यता संस्कृति विरासत को हम अपने ही हाथों मसल देंगे तो कौन सम्भालने आएगा? इसी कड़ी में एक बात का विचार आ रहा है, हमारी मजबूत कड़ी हमारे त्योहार पर्व आदि हैं। सभी त्यौहार हमलोग धूमधाम से मनाते हैं। सारे त्यौहार हमलोग अपने महीनों की तिथियों के अनुसार ही मनाते हैं, साल के शुरुआत में एक सवाल हमारे......
भगवान महेश की महत्वपूर्ण बातें

भगवान महेश की महत्वपूर्ण बातें

* आदिनाथ शिव : सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें ‘आदिदेव’ भी कहा जाता है। ‘आदि’ का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम ‘आदिश’ भी है। * शिव के अस्त्र-शस्त्र : शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था। * शिव का नाग : शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है। * शिव की अर्द्धांगिनी : शिव की पहली पत्नी सती ने......
टमकोर को ऐतिहासिक बनाने में आर्य समाज का अभूतपूर्व योगदान

टमकोर को ऐतिहासिक बनाने में आर्य समाज का अभूतपूर्व योगदान

शेखावाटी क्षेत्र (बिसाऊ-राजपूताना) का ‘टमकोर’ गांव हमेशा से पिछड़ा रहा है, कारण भूमि की अनुर्वरता, जल का अभाव, १२५-१५० फिट गहराई तक खोदने पर भी अत्यन्त खारा पानी, पीने के लिए सालाना सिर्फ एक श्रावण बरसात का एकत्रित जल (कुण्डों) पर आश्रित जीवन एवं सामान्ती राज्यों (बीकानेर-जयपुर) के बीच सीमा पर पड़ने वाला स्थल होने के कारण विशेष उपेक्षित आदि ने यहां का जन-जीवन अस्त-व्यस्त बना रखा था। धार्मिक स्थलों के नाम पर सिर्फ गोगामैड़ी, भौमियादेव, मालासी-खेरतपाल, भैंरूजी, गुंसाईजी का मठ व शीतला माता का मंदिर आदि ही थे। ईश्वर नियति कहें या ग्रामवासियों का भाग्योदय वि.सं. १९५५ में ‘बिसाऊ’ में......
राजस्थान का एक प्रतिभाशाली धार्मिक गांव टमकोर

राजस्थान का एक प्रतिभाशाली धार्मिक गांव टमकोर

उत्तर पूर्वी राजस्थान के झुँझुनूं जिले के उत्तरी कोने पर बसे ‘टमकोर’ कस्बे का इतिहास विविधताओं से भरा हुआ है, जहाँ इस भूमि पर चोरड़िया परिवार में अहिंसा के पुजारी युगप्रधान आचार्यश्री महाप्रज्ञजी जैसी महान विभूति का जन्म हुआ, वहीं इस गांव के जन्म के साथ एक रोंगटे खड़े कर देने वाली किंवदंती भी प्रचलित है: लगभग ४५० वर्ष पूर्व गांव के पूर्वी छोर पर जहाँ आज गोगाजी की मेड़ी स्थित है, वहाँ यह गांव कस्वों (जाट जाति) का ‘टमकोर’ नाम से जाना जाता था। महला परिवार (जाट जाति) जो कि कस्वों के भाणजे थे, समयान्तर पर यहाँ आकर बस गये।......
राजस्थानी संस्कृति री खास ओळख करावती पागड़ा

राजस्थानी संस्कृति री खास ओळख करावती पागड़ा

मिनख जीवण री सरसता सारु अनुशासन ज्ञान, परमात्मा री कल्पना अर केई मरजादावां नै निरोगी अर सैयोगी भावना रौ आधार बणायौ। होळै-होळै मिनख आपरै जीवण रा हरेक क्षेत्र में तरक्की करी अर नगर-विकास रै साथै उणरै खाण-पाण, पहनावा आद ई सुधरता गया। रितुवां माथै आधारित धारमिक तिंवारां री पौराणिक मान्यतावां मुजब अपणायोड़ी सांस्कृतिक परंपरावां मिनख रै सामाजिक जीवण रै साथै विकसित हुवण लागी। पैली सदी (ई.पू.) रा भित्तिचित्रां में पगाड़ियां रौ अंकन मिळै। अजंता अर अ‍ेलोरा री गुफावां में खुदियोड़ी मूर्तियां में पगाड़ियां रा सरुआती इतिहास खोज्यौ जाय सवैâ। शुंगकालीन प्रस्तर मूर्तियां अर कुशाण सूं गुप्त काल तांई रा चित्रां अर......
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