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टमकोर को ऐतिहासिक बनाने में आर्य समाज का अभूतपूर्व योगदान

टमकोर को ऐतिहासिक बनाने में आर्य समाज का अभूतपूर्व योगदान

शेखावाटी क्षेत्र (बिसाऊ-राजपूताना) का ‘टमकोर’ गांव हमेशा से पिछड़ा रहा है, कारण भूमि की अनुर्वरता, जल का अभाव, १२५-१५० फिट गहराई तक खोदने पर भी अत्यन्त खारा पानी, पीने के लिए सालाना सिर्फ एक श्रावण बरसात का एकत्रित जल (कुण्डों) पर आश्रित जीवन एवं सामान्ती राज्यों (बीकानेर-जयपुर) के बीच सीमा पर पड़ने वाला स्थल होने के कारण विशेष उपेक्षित आदि ने यहां का जन-जीवन अस्त-व्यस्त बना रखा था। धार्मिक स्थलों के नाम पर सिर्फ गोगामैड़ी, भौमियादेव, मालासी-खेरतपाल, भैंरूजी, गुंसाईजी का मठ व शीतला माता का मंदिर आदि ही थे। ईश्वर नियति कहें या ग्रामवासियों का भाग्योदय वि.सं. १९५५ में ‘बिसाऊ’ में... ...
राजस्थान का एक प्रतिभाशाली धार्मिक गांव टमकोर

राजस्थान का एक प्रतिभाशाली धार्मिक गांव टमकोर

उत्तर पूर्वी राजस्थान के झुँझुनूं जिले के उत्तरी कोने पर बसे ‘टमकोर’ कस्बे का इतिहास विविधताओं से भरा हुआ है, जहाँ इस भूमि पर चोरड़िया परिवार में अहिंसा के पुजारी युगप्रधान आचार्यश्री महाप्रज्ञजी जैसी महान विभूति का जन्म हुआ, वहीं इस गांव के जन्म के साथ एक रोंगटे खड़े कर देने वाली किंवदंती भी प्रचलित है: लगभग ४५० वर्ष पूर्व गांव के पूर्वी छोर पर जहाँ आज गोगाजी की मेड़ी स्थित है, वहाँ यह गांव कस्वों (जाट जाति) का ‘टमकोर’ नाम से जाना जाता था। महला परिवार (जाट जाति) जो कि कस्वों के भाणजे थे, समयान्तर पर यहाँ आकर बस गये।... ...
राजस्थानी संस्कृति री खास ओळख करावती पागड़ा

राजस्थानी संस्कृति री खास ओळख करावती पागड़ा

मिनख जीवण री सरसता सारु अनुशासन ज्ञान, परमात्मा री कल्पना अर केई मरजादावां नै निरोगी अर सैयोगी भावना रौ आधार बणायौ। होळै-होळै मिनख आपरै जीवण रा हरेक क्षेत्र में तरक्की करी अर नगर-विकास रै साथै उणरै खाण-पाण, पहनावा आद ई सुधरता गया। रितुवां माथै आधारित धारमिक तिंवारां री पौराणिक मान्यतावां मुजब अपणायोड़ी सांस्कृतिक परंपरावां मिनख रै सामाजिक जीवण रै साथै विकसित हुवण लागी। पैली सदी (ई.पू.) रा भित्तिचित्रां में पगाड़ियां रौ अंकन मिळै। अजंता अर अ‍ेलोरा री गुफावां में खुदियोड़ी मूर्तियां में पगाड़ियां रा सरुआती इतिहास खोज्यौ जाय सवैâ। शुंगकालीन प्रस्तर मूर्तियां अर कुशाण सूं गुप्त काल तांई रा चित्रां अर... ...
३० मार्च १९४९ का सूर्योदय लेकर आया एक नया सवेरा

३० मार्च १९४९ का सूर्योदय लेकर आया एक नया सवेरा

राजस्थान यानि कि राजपूतों का स्थान, देश के विकास में राजस्थान और राजस्थानियों का अमूल्य योगदान रहा है। चाहे वह उद्योग धन्धे के क्षेत्र में हो या साहित्य व सांस्कृतिक विकास के क्षेत्र में। जाहिर तौर पर राजस्थान की कुछ खूबियाँ है, अपनी इन्हीं खूबियों के कारण ही हवेलियों का यह प्रदेश पुरे दुनिया में आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। (३० मार्च) राजस्थान दिवस के उपलक्ष्य में राजस्थान की इन्ही खूबियों पर एक बार फिर से प्रकाश डालने की कोशिश में ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका परिवार द्वारा प्रस्तुत राजस्थान परम्पराओं का संक्षिप्त विवरण प्रबुद्ध पाठकों के हाथों में प्रस्तुत: नई किरण३०... ...
सेठ जमनादास नंदलाल ट्रस्ट (पंजी.) Seth Jamnadas Nandlal Trust (Regd.)

सेठ जमनादास नंदलाल ट्रस्ट (पंजी.) Seth Jamnadas Nandlal Trust (Regd.)

ग्राम सिंघाना तहसील भुवाना जिला झुंझुनूं (राज) (Village Singhana Tehsil Bhuwana District Jhunjhunu (Raj)) सेठ जमनादास नंदलाल ट्रस्ट (पंजी.) ग्राम सिंघाना तहसील भुवाना जिला झुंझुनूं (राज) (Seth Jamnadas Nandlal Trust (Regd.) Village Singhana Tehsil Bhuwana District Jhunjhunu (Raj))ग्राम सिंघाना शेखावटी क्षेत्र में आता है, यह कस्बा चारों तरफ से मनमोहक पहाड़ियों से घिरा हुआ है। दिल्ली एवं जयपुर से रोड द्वारा लगभग ­१८० किलोमीटर, खेतड़ी से लगभग २० किलोमीटर, चिड़ावा से लगभग २१ किलोमीटर, नारनौल से लगभग ३५ किलोमीटर की दूरी पर एवं तांबे की खान से केवल ५ किलोमीटर की दूरी पर आबाद है। गांव में शीतला माता का एक... ...