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सुर्यवंशी अग्रकुल प्रर्वतक महाराजा अग्रसेन

सुर्यवंशी अग्रकुल प्रर्वतक महाराजा अग्रसेन

वर्तमान में जहाँ राजस्थान व हरियाणा राज्य है इन राज्यों के बीच सरस्वती नदी बहती थी, इसी सरस्वती नदी के किनारे प्रतापनगर नामक एक राज्य था। भारतेन्दु हरिशचन्द्र के अनुसार-मांकिल ऋषि जिन्होंने वेद-मंत्र की रचनाएं की थी, की परम्पराओं में राजा धनपाल हुए। धनपाल ने प्रतापनगर राज्य बसाया था, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा लिखित महालक्ष्मी व्रत कथा और गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.सत्यकेतु विद्यालंकार द्वारा रचित ‘अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास’ में छपा है कि राजा धनपाल की छठी पीढ़ी में महाराजा वल्लभ प्रतापनगर के शासक बने। महाराजा वल्लभ का काल महाभारत के काल के आसपास का माना जाता है। महाराजा... ...
भाई-बहन के पवित्र बंधन का त्योहार रक्षाबंधन

भाई-बहन के पवित्र बंधन का त्योहार रक्षाबंधन

‘रक्षाबंधन’ का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर बलि राजा के अभिमान को इसी दिन चकनाचूर किया था इसलिए यह त्योहार ‘बलेव’ नाम से भी प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र राज्य में नारियल पूर्णिमा या श्रावणी के नाम से यह त्योहार विख्यात है, इस दिन लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं। ‘रक्षाबंधन’ के संबंध में एक अन्य पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है। देवों और दानवों के युद्ध में जब देवता हारने लगे तब वे देवराज इंद्र के पास गए। देवताओं को... ...
जन आस्था का केन्द्र: श्री पंचदेव मन्दिर- झुंझुनूं कलियुग के चमत्कारी देव : झुंझुनूंवाले बाबा गंगाराम

जन आस्था का केन्द्र: श्री पंचदेव मन्दिर- झुंझुनूं कलियुग के चमत्कारी देव : झुंझुनूंवाले बाबा गंगाराम

राजस्थान के झुंझुनूं स्थित श्री पंचदेव मन्दिर के विष्णुअवतारी बाबा गंगाराम के प्रति लोगों की आस्था दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कलियुग में भक्तों के कल्याण के लिए प्रगट हुये बाबा गंगाराम प्रत्यक्ष देव हैं, इनके चमत्कारों को गिनना पृथ्वी के रज-कणों को गिनने के सामान है, अपने परम आराधक ‘भक्त शिरोमणि श्री देवकीनन्दन एवं शक्ति स्वरूपा देवी गायत्री’ के माध्यम से बाबा ने संसार को भक्ति और त्याग का जो दिव्य सन्देश दिया, वह अविस्मरणीय है। बाबा गंगाराम जी का अवतरण और लीलाएं: भारत भूमि का कोना-कोना परम पवित्र एवं आध्यात्मिकता के तेज से परिपूर्ण है। समय-समय पर इस पावन... ...
अपनी संस्कृति, मातृभाषा से जुड़े रहने के संदेश के साथ  सुरंगो राजस्थान कार्यक्रम संपन्न

अपनी संस्कृति, मातृभाषा से जुड़े रहने के संदेश के साथ सुरंगो राजस्थान कार्यक्रम संपन्न

कोलकाता: महानगर का एक हिस्सा पूरी तरह से राजस्थान के रंगों में डूब गया, जब राजस्थान की संस्कृति झलकाने वाले कार्यक्रम ‘सुरंगों राजस्थान’ का आयोजन हुआ। सीकर नागरिक परिषद, कोलकाता एवं सीकर जिला वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा सावन के महीने में ‘सुरंगों राजस्थान’ का द्वितीय संस्करण धूमधाम से संपन्न हुआ। कोलकाता के गोलाघाटा में द डिविनिटी पैवेलियन में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को अपनी मातृभाषा के प्रति जागरुक करना है ताकि आधुनिक दौर में भी सभी अपनी मातृभाषा, संस्कृति और संस्कारों से जुड़े रहें। इस आयोजन में विभिन्न तरह के पारंपरिक रंगारग कार्यक्रम, लोक-नृत्य, संगीत आदि पेश किए गए। इस... ...
स्वतंत्रता दिवस     १५ अगस्त १९४७

स्वतंत्रता दिवस १५ अगस्त १९४७

स्वतंत्रता दिवस भारतीयों के लिये एक बहुत ही खास दिन है क्योंकि, इसी दिन वर्षों की गुलामी के बाद ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी मिली थी। भारतीय स्वतंत्रता दिवस के इस ऐतिहासिक और महत्वपर्ू्ण दिन के बारे में अपनी वर्तमान और आने वाली पीढियों को निबंध लेखन, भाषण व्याख्यान और चर्चा के द्वारा प्रस्तुत करते हैं। १५ अगस्त १९४७, भारतीय इतिहास का सर्वाधिक भाग्यशाली और महत्वपर्ू्णं दिन था, जब हमारे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत देश के लिये आजादी हासिल की। भारत की आजादी के साथ ही भारतीयों ने अपने पहले प्रधानमंत्री का चुनाव पंडित... ...
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