Category: मई २०२१

जोश और जज्बे का नाम है बुद्धि प्रकाश दायमा

जोश और जज्बे का नाम है बुद्धि प्रकाश दायमा

बुद्धि प्रकाश दायमा महनसर निवासी-वापी प्रवासी जोश और जज्बे का नाम है बुद्धि प्रकाश दायमा (The Name Of Passion is Buddhi Prakash Dayma in Hindi) वापी: झुंझुनू जिले के ‘महनसर’ गांव में १ अक्टूबर १९६१ को दधीचि ब्राह्मण परिवार श्री केशर देव जी दायमा के यहाँ पांचवीं सन्तान के रूप में बुद्धि प्रकाश दायमा ‘बी. के. दायमा’ का जन्म हुआ। यथा नाम तथा गुण को साकार करते हुये, सदा अपनी कक्षा में अव्वल रह कर, श्री बुद्धि प्रकाश ने दसवीं तक की पढ़ाई गांव के ही सेठ दौलत राम नोपानी माध्यमिक विद्यालय से पूरी की।बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ...

सोने की दुकान देखनी है तो चले आओ ‘महनसर

सोने की दुकान देखनी है तो चले आओ ‘महनसर

    सोने की दुकान देखनी है तो चले आओ ‘महनसर’ (If you want to see a gold shop then come ‘Mahansar’ in Hindi) सोने की दुकान देखनी है तो चले आओ ‘महनसर’ (If you want to see a gold shop then come ‘Mahansar’ in Hindi) : शेखावाटी में यूं तो रेत के धोरों के बीच बनी दिल जैसे जाली, झरोखे वाली हवेलियां बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं, लेकिन झुंझुनूं जिले के ‘महनसर’ गांव में बनी सोने की दुकान अपने आप में खास है।‘महनसर’ में आने वाला हर व्यक्ति पोद्दार परिवार की ओर से निर्मित सोने की...

गौ माता की सेवा में महनसर के निवासी-प्रवासी अग्रसर

गौ माता की सेवा में महनसर के निवासी-प्रवासी अग्रसर

    गौ माता की सेवा में महनसर के निवासी-प्रवासी अग्रसर (In Gau Mata Seva the resident-migrant of Mahnsar is marching in Hindi) गौ माता की सेवा में महनसर के निवासी-प्रवासी अग्रसर (In Gau Mata Seva the resident-migrant of Mahnsar is marching in Hindi) : देवभूमि शेखावाटी में, गौ सेवा की परम्परा सदियों से रही है। यहाँ के हर छोटे-बड़े शहरों में गौशाला संचालन का कार्य, प्रवासी सेठों व स्थानीय समाज सेवियों द्वारा तन-मन-धन से पूरी निष्ठा के साथ किया जाता है। ‘महनसर’ में भी गौशाला के अभाव में, वृद्ध व लावारिस गौ वंश की दुर्दशा देखकर समाज सेवी ठा. महिपाल...

महानसर शेखावाटी

महानसर शेखावाटी

    महनसर (शेखावाटी) Mahansar (Shekhawati) in Hindi महनसर (शेखावाटी) Mahansar (Shekhawati) in Hindi : राजस्थान का शेखावाटी इलाका अपने भव्य गढ़, हवेलियों और सांस्कृतिक विरासत के लिये जाना जाता है। इसी के झुंझुनू जिले में चुरू और सीकर जिलों की सीमाओं से सटे गांव ‘महनसर’ की अलग ही शान है। इसकी पना नवलगढ़ राजा ठाकुर नवलसिंह जी के सुपुत्र नाहर सिंह द्वारा सन १७६८ में की गई। ‘महनसर’ अपने विशाल किले, कलात्मक हवेलियां व समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिये जाना जाता है।सोने की दुकान अपने जटिल चित्रों जिसे सोने की झोल से बनाया गया इस कारण प्रसिद्ध है। इस हवेली...

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