Category: श्री बाबा गंगाराम की परम आराधिका

अग्रबंधू सेवा समिति मुम्बई द्वारा

अग्रबंधू सेवा समिति मुम्बई द्वारा

अग्रबंधू सेवा समिति मुम्बई द्वारा ५१४३ वाँ महाराज अग्रसेन जयंती महोत्सव भव्य व विशाल शोभा यात्रा, महाराज अग्रसेन जी, कुलदेवी मातामहालक्ष्मी जी के साथ विभिन्न झाँकियाँ का समावेश था, घोड़ों पर अग्रवाल परिवार के १८ राजकुमार, बैंड-बाजा आदि सुसज्जित मलाड कॉ.आ.हा. सोसायटी प्रांगण, पोद्दार पार्क, मलाड पूर्व से निकाली गई, इस अवसर पर संस्थाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण अग्रवाल (मन्नू सेठ) मानदमंत्री उदेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष गोपालदास गोयल, महोत्सव के संयोजक व ट्रस्टी अमरीशचंद अग्रवाल, मनमोहन गुप्ता, किशनचंद गुप्ता, शोभायात्रा संयोजकों में जगदीश गुप्ता (ट्रस्टी), अनिल पी. अग्रवाल (उपाध्यक्ष), रामप्रकाश मित्तल (संयुक्तमंत्री), सदस्य गणेश गुप्ता, राजेन्द्र आर. अग्रवाल, संदीप अग्रवाल, संजीव अग्रवाल, राकेश अग्रवाल आदि...

दीपावली प्रथा

दीपावली प्रथा

हम त्यौहार मनाते हैं परम्परा के अनुसार जो चले आ रहे रीति-रिवाजों के अनुसार, लेकिन क्या हमने यह कभी जानने की चेष्टा की है कि ये त्यौहार कब से मनाये जा रहे हैं अथवा इसके मनाने के पीछे कारण क्या है, आखिर क्यों दीपावली को ही लक्ष्मीपूजा की जाती है? माँ लक्ष्मी प्रत्येक व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन की आराध्य हैं, संसार का आधार है, माँ महालक्ष्मी के मात्र धन से ही सुख, शांति नहीं मिलती, धन से भोजन खरीदा जा सकता है, लेकिन भूख या स्वास्थ्य नहीं। रुपया-पैसा हजारोंलाखों के पास हो सकता है, लेकिन जरुरी नहीं कि रुप, यौवन, प्रभुता,...

महाराजा अग्रसेन

महाराजा अग्रसेन

अग्रवाल सेवा समाज, मुंबई द्वारा महाराजा अग्रसेन जी की ५१४३ वीं जयंती पर दिनांक १० अक्टूबर २०१८ को कुलदेवी महालक्ष्मी जी, महाराजा अग्रसेन जी, १८ राजकुमार, फलों से युक्त अनेक मनोहारी झॉ कियों एवं बैण्डबाजे से सुशोभित भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। शोभा यात्रा अग्रसेन भवन ठाकुरद्वार से प्रारम्भ होकर सी.पी. टेंक, भूलेश्वर, कॉटन एक्सचेंज होती हुई कालबादेवी स्थित जूनी हालाई भाटिया महाजनवाडी पर स्वागत समारोह पुरस्कार वितरण एवं सहभोज के साथ सम्पन्न हुआ। सम्माननीय उद्घाटक राज के पुरोहित मंत्री महाराष्ट्र सरकार, समारोह अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी-अध्यक्ष महाराष्ट्र राज्य अग्रवाल सम्मेलन, स्वागताध्यक्ष चन्दकिशोर पोद्दार अध्यक्ष-अ.भा.व.मा.अग्र.जा.कोश, आकाश राज के. पुरोहित-नगर...

तुलसी विवाह कर कन्यादान का

तुलसी विवाह कर कन्यादान का

तुलसी विवाह एक पूजोत्सव है जो तुलसी और विष्णु के विवाह का उत्सव है। कार्तिक शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक मनाया जाने वाला यह त्यौहार है, कहा जाता है कि भाद्रपद माह एकादशी को भगवान विष्णु ने शंखासुर राक्षस को मारा था और विपुल परिश्रम करने के कारण उसी दिन सो गए थे, अत: इसे देवशयनी एकादशी भी कहते हैं। भाद्रपद एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक कोई भी माँगलिक कार्य विवाह आदि नहीं हो सकते थे, तुलसी का विवाह सम्पन्न हो जाने के बाद ही सभी माँगलिक कार्य होने की सम्भावना बनती है। तुलसी एक पूजनीय वनस्पति...

‘लक्ष्मी’ के वास्तविक अर्थ को समझना

‘लक्ष्मी’ के वास्तविक अर्थ को समझना

दीपावली के रात को जो हम पूजा करते हैं, उसे साधारण शब्दों में ‘लक्ष्मी पूजन’ कहा जाता है, आज ज्यादातर लोग समझते हैं कि लक्ष्मी का अर्थ है धन की देवी या रुपया-पैसा, जो कि बहुत ही संकुचित अर्थ हो गया है। वास्तव में इस शब्द का अर्थ बहुत गहरा व विशाल है, जिसे समझना बहुत जरुरी है। लक्ष्मी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘लक्ष’ धातु से हुई है। लक्ष का शाब्दिक अर्थ है ‘लक्ष्य’, जीवन के लक्ष्य की ध्यान पूर्वक खोज इत्यादि, इसका अर्थ ये है कि जब हम मन कर्म वचन से एकाग्रचित्त होकर कोई कार्य करते हैं तो...

‘लक्ष्मी’ के वास्तविक अर्थ को समझना

‘लक्ष्मी’ के वास्तविक अर्थ को समझना

दीपोत्सव एक बहुआयामी पर्व है जिसमें हम श्री गणेश, दीप, भगवती लक्ष्मी, विष्णु भगवान, यम, धन्वंतरी, कुबेर तथा मां सरस्वती की वंदना करते हैं। प्राचीन भारतीय साहित्यानुसार दीपावली का पुराना नाम नवसम्येष्टि पर्व है जो नवीन सावनी फसल के आगमन से प्रसन्न कृषि प्रधान भारत वर्ष में नयी फसल के स्वागत के लिये दीपों का उत्सव दिवाली मनाया जाता है तथा अत्याधिक वर्षा से विकृत मलिन वायु मंडल का शुद्धि के लिये घी के दीये एवं ब्रहत यज्ञों में नये अन्न की आहुति देकर प्रभू का धन्यवाद किया जाता है, इसके अलावा समुद्रमंथन में भगवती लक्ष्मी के प्रकट होने की प्रसन्नता...

सूर्यनारायण काबरा, मलाद, सूर्य से सूर्य तक जाएं

सूर्यनारायण काबरा, मलाद, सूर्य से सूर्य तक जाएं

राजस्थान के लक्ष्मणगढ़ के मूल निवासी सत्यनारायण जी ने ०४ जनवरी १९२६ को माता कृष्णादेवी की पवित्र कोख से जन्म लिया और इसी के साथ एक अविश्वसनीय महागाथा की शुरूआत हुई। मात्र १६ वर्ष की किशोरावस्था में मुंबई आए। मुंबई में उनके पिता बंशीधरजी उस समय के कॉटन सेठ गोविंदराम सेक्सरिया के यहां हैड थे। सन १९४७, जब देश में आजादी का बिगुल बजा और सारा देश खुशी और आनंद से झूम उठा, इसी ऐतिहासिक यादगार वर्ष में आप गीता देवी के साथ परिणय सूत्र में बंध गए। आप दोनों के जीवन की ये खुशियां वक्त बीतने के साथ निरंतर बढ़ती...

शुभ दीपावली​

शुभ दीपावली​

रंगोली भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा और लोक-कला है, अलगअलग प्रदेशों में रंगोली के नाम और उसकी शैली में भिन्नता हो सकती है लेकिन इसके पीछे निहित भावना और संस्कृति में पर्याप्त समानता है, इसकी यही विशेषता इसे विविधता देती है और इसके विभिन्न आयामों को भी प्रदर्शित करती है, सामान्यत: त्योहार, व्रत, पूजा, उत्सव विवाह आदि शुभ अवसरों पर सूखे और प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता है, इसमें साधारण ज्यामितिक आकार हो सकते हैं या फिर देवी-देवताओं की आकृतियाँ, इनका प्रयोजन सजावट और सुमंगल है, इन्हें प्राय: घर की महिलाएँ बनाती हैं। विभिन्न अवसरों पर बनाई जाने वाली इन पारंपरिक...

लक्ष्मीपूजन व्रत

लक्ष्मीपूजन व्रत

दीपावली अथवा लक्ष्मीपूजन का व्रत और महोत्सव आज लोकमानस में इस प्रकार रम गया है कि उसे उससे पृथक् करने की कल्पना नहीं की जा सकती, इस महोत्सव पर यदि कार्तिक कृष्ण अमावस चित्रा और स्वातियोग में हो तो उसे उत्तम माना गया है,  विधि-विधान : प्रात:काल जल्दी उठकर तेल मालिश अथवा उबटन कर स्नानादि से निवृत्त होकर देवताओं और पितरों को प्रणाम करें और उनकी पूजा करें, इस दिन तीसरे प्रहर में पितरों के लिए ‘श्राद्ध’ करें और तरहतरह के पकवान बनावें तथा उनका भोग लगावें। श्राद्ध कराने वाले ब्राह्मणों को भी भोजन करावें। परिवार के सभी वृद्धजनों और बच्चों...

पांच पर्वों का पर्व

पांच पर्वों का पर्व

भारत एक विशाल देश है, यहां की विभिन्न जातियां, समुदाय, भाषा-भाषी, विभिन्न धर्मों की मान्यता वाला देश है, इनके रीति-रिवाजों में थोड़ी-बहुत विभिन्नतायें तो हो सकती हैं लेकिन मूल रुप से हिन्दु संस्कृति, एक-रुपता इनमें समाविष्ठ है, यहां अनेकता में एकता की मिसाल है, यहां कुछ पर्व ऐसे हैं जो सभी सम्प्रदाय व धर्म के लोग एकसाथ मिलकर मनाते हैं, उनमें दीपावली का पर्व मुख्य है। भारत जगत गुरु था, ईश्वर की इच्छा यह पावन जग संस्कृति उपजे इसमें, नव विश्व प्रेम का बरसे सावन वसुधा बने कुटुम्ब यह, हो सुन्दर आदर्श हमारा गुलदस्ता है देश हमारा, रंग-बिरंगा प्यारा-प्यारा ‘‘असतो मा...

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