Category: श्री बाबा गंगाराम की परम आराधिका

सातुड़ी तीज

सातुड़ी तीज

हमेशा वेश्या के घर जाता था | वो कोढ़ी था, जिससे उसकी पत्नी उसे अपने कंधे पर बैठाकर ले जाती और वो कहता अब तू जा, तो वो चली जाती, ऐसे करते-करते भादवे की तीज आई, वो गेहूँ पीसने बैठी थी इतने में उसका पति आया और बोला

दधीचि तीर्थ नेमिषारण्य नव निर्माण के लिये पधारें

दधीचि तीर्थ नेमिषारण्य नव निर्माण के लिये पधारें

नैमिषारण्य महर्षि दधीचि की तपस्थली रही, शिव के परम भक्त दधीचि यहाँ दधिचेश्वर महादेव की नित्य पूजा करते थे, यहीं पर वृत्रासुर को मारने के लिए इन्द्र को वज्र बनाने हेतु अस्थिदान दिया गया था, समस्त तीर्थों के स्नान, दर्शन की इच्छा को पूरा करने के लिए इन्द्र ने सभी तीर्थों को यहां आमंत्रित किया, इसीलिये यह स्थान ‘मिश्रित तीर्थ’ कहलाता है, यहीं पर दधीचि ने अश्विनीकुमारों को मधु विद्या का ज्ञान दिया था, यहीं पर महर्षि पत्नी सुवर्चा (वेदवती) ने पिप्पलाद को गर्भ से निकालकर महर्षि दधीचि के शरीर के साथ आत्मोसर्ग किया था तथा माँ दधिमथी ने बालक पिप्पलाद...

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