जय श्री बाबा गंगाराम

झुंझुनूवाले विष्णु अवतारी श्री बाबा गंगारामजी का २७ वां विराट वार्षिक महोत्सव सम्पन्न

मुंबई: श्री बाबा गंगाराम सेवा समिति, मुंबई के तत्वावधान में दिनांक: ३० दिसंबर २०१८, रविवार को विश्व शांति एवम राष्ट्रहित हेतु झुंझुनूवाले विष्णु अवतारी श्री बाबा गंगारामजी का २७वां विराट वार्षिक महोत्सव बांगुर नगर स्थित सरस्वती पार्क, गोरेगांव पश्चिम में बड़े ही हर्षोल्हास से मनाया गया, इस महोत्सव का शुभारंभ दोपहर २.१५ बजे अखण्ड ज्योति प्रज्जवलन से प्रारम्भ हुआ।
श्री बाबा गंगाराम सेवा समिति के अध्यक्ष सुनील मोदी ने ‘मेरा राजस्थान’ को बताया कि संस्था के इतिहास में झुंझुनूवाले विष्णु अवतारी श्री बाबा गंगारामजी तथा श्री पंचदेव मंदिर (श्री बाबा गंगाराम धाम, झुंझुनू, राजस्थान) की यह विशाल झांकी पहली बार पूरी फूलों से सजाई गयी, इस अवसर पर नागपुर से पधारे उज्ज्वल खाखोलिया द्वारा श्री बाबा गंगाराम अमृतवाणी का पाठ किया गया, साथ ही अन्य गायक कलाकार, कोलकाता से नविन जोशी और मुंबई से सुदर्शन कुमार, सुरेश दाधीच और हज़ारों भक्तों ने महोत्सव में श्री बाबा गंगारामजी के चरणों में श्रद्धा अर्पण कर अक्षय पुण्य के भागी बने, उत्सव स्थल पर संस्था ने भव्य सामूहिक सहदाानामार्चन का आयोजन प्रातः १०.०० बजे से किया गया था, जिसके लिए ‘फूल’ कोलकाता से विशेष रूप से मंगवाये गए थे।
महोत्सव में मुंबई के भक्तों के आलावा दिल्ली, हैदराबाद, झुंझुनू, कोलकाता, हुबली, अहमदाबाद, सूरत, बेंगलुरु, भिवानी, कोटा, फरीदाबाद, पुणे, वाराणसी, सिलीगुड़ी, पटना, राउरकेला आदि कई जगहों से भक्त पधारे थे।

जय श्री बाबा गंगाराम
ट्रेवल एक्सपो एंड ट्रेड शो -२०१९ में भी रहा राजस्थान पर्यटन का आकर्षण

नई दिल्ली, १८जनवरी, २०१९ राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के निकट ग्रेटर नॉएडा में आयोजित तीन दिवसीय ट्रेवल एक्सपो एंड ट्रेड शो -२०१९ (साटे) में भी राजस्थान पर्यटन का आकर्षण दर्शकों को राजस्थान पर्यटन के पेवेलियन की ओरखींच कर ले आया। राजस्थान पर्यटन की नई दिल्ली में अतिरिक्त निदेशक डॉ. गुंजित कौर ने बताया कि साटे के इस २६ वें संस्करण में साउथ एशिया के ५० देशों के एक हज़ार से भी अधिक संभागियों ने भाग लिया, राजस्थान पर्यटन पेवेलियन की १६ टेबल्स पर देश-विदेश के पर्यटक उद्यमियों एवं टूर ऑपरेटर्स ने राजस्थान के पर्यटन स्थलों विशेष कर हेरिटेज की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों एवं पैलेस ऑन व्हील्स जैसे पर्यटक उत्पादों में गहरी रूचि दर्शाई।
राजस्थान पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक श्री एच.एल. गुइटे और पैलेस ऑन व्हील्स के महाप्रबंधक प्रदीप बोहरा एवं संजीव शर्मा ने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ शाही रेल गाड़ियों में शुमार लग्जरी ट्रैन की लोकप्रियता की जानकारी दी, साथ ही प्रदेश के अन्य लोकप्रिय पर्यटन पैकेज टूयर की जानकारी भी दी।
केंद्रीय पर्यटन सचिव योगेंद्र त्रिपाठी ने भी राजस्थान पवेलियन का अवलोकन किया।

स्टूल व टेबल का अनुदान ग्रामीण विद्यालय लाभान्वित

मुंबई: अग्रबंधु सेवा समिति मुंबई एवं गांधी विचार मंच के संयुक्त तत्वावधान में ग्रामीण परिसर में चलने वाले स्कूलों का समुचित विकास करने के उद्देश्य से १३३ टेबल और स्टूलों का अनुदान दिया गया, अभी तक मुंबई, ठाणे, पालघर के आदिवासी क्षेत्रों में समाजसेवा करने वाली इस संस्था ने अपना विस्तार राजस्थान तक कर लिया है, इसी कड़ी में संस्था ने राजस्थान के देवगढ जिले के खीमा खेड़ा गांव में चलने वाले राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय का चयन करते हुए यहां बड़ी संख्या में पढने वाले विद्यार्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए उन्हें स्टूल और टेबल उपलब्ध कराया।
आयोजन समिति के कानबिहारी अग्रवाल के अनुसार समिति अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण अग्रवाल (मन्नू सेठ) तथा मंच के अध्यक्ष मनमोहन गुप्ता ने दानदाता सहयोगियों से चर्चा करने के बाद समाजसेवा के दायरे को अन्तर्राज्यीय स्तर तक ले जाने पर सहमति जताते हुए इस विद्यालय का चयन किया, सुदूर क्षेत्र में स्थित इस गांव के विद्यालय में पढने वाली लड़कियों को विशेष रूप से प्रोत्साहित करने के लिए यहां शैक्षणिक सामग्री वितरित की गयी, इस अवसर पर मुंबई से अमरीशचंद्र अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, सूत्रधार ईश्वर सिंह, उदेश अग्रवाल, गोपालदास गोयल, स्नेहलता गुप्ता, रीता पुरोहित के साथ खिमाखेडा से माधु सिंह चौहान, लोकपाल सिंह, भंवरीपुरी गोस्वामी, जस्साराम बुनकर, कस्तूरचंद सालवी, विक्रम यादव, राजेश बारोलिया, राजेश चौधरी, परसाराम मीणा, मनोज तिवारी, प्रतापमल, गणेश सिंह, निरमा सालवी, मीठालाल प्रजापति आदि उपस्थित थे, गांववालों ने इतनी बड़ी सहायता मिलने के बाद दानदाताओं के सम्मान में स्वागत समारोह का आयोजन किया, जिसमें मनमोहन गुप्ता समेत कई दानदाताओं को रथ में बिठाकर शोभायात्रा निकाली गयी, अंत में स्कूल के प्रधानाचार्य ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

संस्कारों से ही मानव धर्म संभव सागर में महामानव का समुद्र उमड़ा -राजेंद्र व्यास

कोलकात्ता: धर्म की आस्था और विश्वास का उमड़ता मानव समुद्र गंगासागर का जल धन्य हो गया, जहाँ मकर संक्रांति के अवसर पर करोड़ों की संख्या में लोगों ने डुबकी लगाई, इस पावन पर्व पर श्री दाधीच परिषद् एनजीओ के धर्म को निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।भारत के विभिन्न प्रदेशों से पधारे यात्रियों को पानी की व्यवस्था, मेडिसिन व्यवस्था और यथासंभव भोजन की व्यवस्था करने में दाधीच परिषद के चार सौ से अधिक वॉलेंटियर ने अपनी सेवाएं प्रदान की। दाधीच परिषद् के मंत्री राजेंद्र व्यास और सुरेश ईनानिया ने ‘मेरा राजस्थान’ को बताया कि संस्था इस सेवा कार्य में पिछले ६२ वर्षों से लगी हुई है। सागर में आनंद आश्रम के विशाल प्रांगण में श्री दाधीच परिषद् द्वारा बड़े टेंट बनाए गए थे । 
जिसमें पांच सौ से अधिक लोगों के रहने के लिए कई टेंमप्रेरी घरों का निर्माण किया गया था। पंद्रह से अधिक शौचालय, गद्दे, तकिए, चद्दरों की व्यवस्था,विशाल भोजन गृह, पीने का पानी, थाली-ग्लास, कटोरी-चम्मच, साबून आदि दैनिक आवश्यकता के अनुसार इंतजाम किए गए थे।
सभी यात्रियों की सहायता करना ही सबसे बड़ा उद्देश्य था।
वृद्ध, बच्चों के लिए मेडिकल टीम प्रमुख दरवाजे पर तैनात थी, सभी के लिए दवाईयों तथा डॉक्टर भी उपलब्ध थे।

दाधीच परिषद् के सदस्यों की टीम गंगा सागर के कुचबेरिया, नामखाना, सागर द्वीप और वैसल (बड़े जहाज जिसमें लगभग चार-पांच हजार यात्री एक बार में जा सकते हैं) के पास अपने शिबिर से सेवा कार्य में लगे हुए थे।
खुशी की बात यह है कि ब्राह्मण समाज की साठ से अधिक महिला सदस्यों ने सक्रिय भूमिका निभाई। कपिल मुनि की धरती पर दधिची ऋषि और माँ दधिमती की संतानों ने अपने मानव धर्म को चरितार्थ किया, मानव सेवा हमारी युवा पीढ़ी में संस्कार निर्माण करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान साबित हुयी।

देश व समाज सुधारने के लिये हर व्यक्ति को आत्मचिंतन करना जरूरी: शरद बागडी

नागपुर: क्रीडा भारती के तरफ से हेडगेवार स्मृती परिसर रेशमबाग में विदर्भ स्तर की प्रांतीय आंतरशालेय घोषवादन स्पर्धा का आयोजन किया गया। स्पर्धा वरिष्ठ अंतराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त समाजसेवी शरद बागडी की अध्यक्षता मे सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत व मेजर जनरल निवृत अच्युत देव की उपस्थिति में सम्पन्न हुयी।
कार्यक्रम की शुरूआत डॉ मोहनजी भागवत, अध्यक्ष शरद बागडी, प्रमुख अतिथी मेजर अच्युत देव, विदर्भ प्रांत अध्यक्ष डॉ अनिल करवंदे, रा.स्व.संघ के महानगर संचालक श्रीधर राव गाडगे के हाथों दीप प्रज्वलन किया गया।
प्रारंभ मे वैद्यकीय विद्यार्थी पुष्कर ने बांसुरी पर स्वागत गीत प्रस्तुत किया।
अनिल करवंदे ने अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ समाजसेवी शरद बागडी का परिचय देते हुए बताया कि शरदजी को ‘बेटी बचाव-बेटी पढाव, महिला सशक्तीकरण, बुजुर्गों के मानवाधिकार व उनके सामाजिक समस्याओं पर निश्पक्ष लेखन के कारण २ अंतर्राष्ट्रीय, ९ राष्ट्रीय, २७ राज्यस्तरीय पुरस्कार के साथ करीब ११० संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है, शरदजी समाज में एक आदर्श नागरिक की भुमिका अदा कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि खेल से संस्कार, अनुशासन व देश भक्ती आती है, खेल जीवन में महत्वपुर्ण भूमिका अदा करता है।
शरद बागडी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि हम सबको यह समझने की जरुरत है कि व्यक्ति से परिवार, परिवार से समाज व समाज से देश बनता है।

हिंदुस्तान में सबसे बड़ी समस्या यह है कि हर नागरिक अपने आपको १००% सही समझता, मानता है व दुसरे को गलत समझता है, मुझे नहीं सुधरना, दुसरों को सुधारना है, हम सिर्फ देश पर, नेताओं पर अंगुली उठाते हैं, आज समय की मांग है कि हम सब नागरिक सच्चे दिल से अपना-अपना आत्मचिंतन करें, हर व्यक्ति अगर सुधर जायेगा तो देश अपने आप सुधर जायेगा व तरक्की करेगा।
प्रमुख अतिथी मेजर अच्युत देव ने कहा कि संगीत का सेना से पुराना संबंध है, पहले युद्ध शुरु करने या समाप्त होने की सुचना अथवा सेना को उत्तेजित करने का का माध्यम संगीत होता था लेकिन अब युद्ध का तरीका एकदम बदल गया व गोली सैकड़ों मील दुर से चलती है।

शाम को हुये अंतिम फेरी में पाईपर व झांज और अन्य दो गुटों में स्पर्धा हुई, प्रत्येक पथक को तीन मिनीट का समय दिया गया था।
भोसला मिलीटरी स्कुल का पाईप बॅण्ड पथक श्रेष्ठ व प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया।
दुसरा पुरस्कार भोसला मिलीटरी स्कुल के झांज बॅण्ड को मिला।
दुसरे गुट में बीआरए मुंडले स्कुल प्रथम, लोकमान्य टिळक विद्यालय दुसरा, जे एन विद्यालय तळोधी तिसरा रहा।
आकोला के जे. डी. प्लेटिनम स्कुल को उत्तेजनार्थ ईनाम दिया गया। अशोक दवंडे, विनय गाडगीळ, महेश घरोटे, सुधीर क्षीरसागर, मनीषा संत व कौस्तुभ लुले परीक्षक थे।
पुरस्कार वितरण डॉ मोहन भागवत, अध्यक्ष शरद बागडी, मेजर जन अच्युतदेव के हाथों दिया गया।
डॉ मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तम की कोई सीमा नहीं होती, प्रथम मिलने के बाद सतत प्रयत्नशील रहकर सीखते रहना जरूरी है, जब आपने मान लिया कि मैं श्रैष्ठ हूँ और अब मुझे सीखने, सुधरने की जरुरत नहीं है, वहां आपकी तरक्की रुक जायेगी व पतन की शुरुवात होगी। मोहनजी भागवत ने शरद बागडी के संबोधन का हवाला देते हुए कहा कि सतत आत्मचिंतन जरूरी है।
स्पर्धा में शक्ति के साथ बुद्धी भी आवश्यक है। सुर मिलना, आपसी तालमेल होना व टीमवर्क जरुरी है। देश के भिन्न-भिन्न जाति, धर्म, पंथ को आपस मे सुर मिलाकर एकता के साथ चलना जरूरी है, ऋषिकेश लाखे ने बांसुरी पर वंदेमातरम सादर प्रस्तुत किया।
आभार प्रदर्शन करते हुए विदर्भ प्रांत अध्यक्ष अनिल करवंदे ने अध्यक्षता कर रहे समाजसेवी शरद बागडी के कार्यों की प्रशंसा की व उनका गौरव किया, मेजर अच्युतदेव का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में संघ कार्यवाहक अरविंद कुकडे, सहकार्यवाहक रवींद्र बोकरे, क्रीडा भारती के अ.भा. सहमंत्री प्रसन्न हरदास, संजय बाटवे, डॉ संजय खळतकर, प्रशांत पिंपलवार आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।

श्री भैरवरतन मातृ पाठशाला ट्रस्ट का संक्षिप्त इतिहास

बीकानेर: श्री चांदरतन जी बागड़ी ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती सुगनीदेवी एवं पुत्र श्री भैरवरतन की स्मृति में बीकानेर के समस्त समाज के सभी वर्गों की बालिकाओं के अध्ययन हेतु इस शिक्षण संस्था की ९० वर्ष पूर्व सन् १९२८ में श्री भैरवरतनमातृ पाठशाला के नाम से स्थापित की, उस समय बालिकाओं के लिये शिक्षा शुरू करना अपने आप में एक साहसपूर्ण कदम था क्योंकि उस जमाने में समाज की मानसिकता यह रही कि बालिकाएं घरेलू काम काज के लिये है, बालिकाओं को विद्या अध्ययन के लिये विद्यालय में भेजना समाज को ग्राह्य नहीं था, घोर विरोध भी हुआ, विरोध की परवाह नहीं करते हुए उन्होंने अपनी स्वयं की पुत्री (रतनदेवी दम्माणी) को प्रथम बालिका के रूप में स्कूल भेजना शुरू किया, काफी प्रयास के बाद अन्य ३ बालिकाओं के अभिभावकों ने भी अपनी बच्चियों को स्कूल भेजना स्वीकार किया, इस तरह कुल ४ छात्राओं से यह विद्यालय शुरू हुआ, फिर देखादेखी अन्य अभिभावकों ने भी अपनी बच्चियों को स्कूल भेजना शुरू कर दिया, फिर तो एक-एक कर बीकानेर शहर के अनेक लोग अपनी बच्चियों को स्कूल भेजने लगे, लड़कियों को सही सलामत घर से लाने-ले जाने के लिये चपरासिनें नियुक्त की गई, फिर एक घोड़ा गाड़ी ली गई, जो दूर रहने वाली बालिकाओं को लाती-ले जाती थी, यह स्कूल लोअर मिडिल से पायदान चढते हुए सेकण्डरी, सीनियर सेकण्डरी व आज १० प्लस २ के अंतर्गत उच्च माध्यमिक विद्यालय के रूप में पल्लवित हुई, व्यावसायिक शिक्षा का भी प्रावधान रखा गय, जिसके अंतर्गत महिलाओं के लिये सिलाई, पाक शास्त्र आदि विषय भी सिखाये जाने लगे, महिलाओं के लिये प्रशिक्षित नर्स रखी गई जो सुरक्षित डिलीवरी करवाती थी तथा मुफ्त दवाएं दी जाती थी, जो उस समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता थी।
श्री चांदरतनजी बागड़ी ने संस्था के उद्घाटन के अवसर पर एक महत्वपूर्ण घोषणा की, कि इस संस्था का संचालन समाज की भागीदारी से होगा, उसी समय ४१ लड़कियों का नाम लिखवाया गया। संस्था की प्रबन्ध कार्यकारिणी गठित की गई, प्रथम मंत्री चांदरतन बागड़ी बनाये गये, कार्यकारिणी ने २७.८.१९४३ को ट्रस्ट कायम करने की मंजूरी दी एवं संस्था के संस्थापक एवं मंत्री की हैसियत से चांदरतनजी बागड़ी को पूरा अधिकार दिया गया कि वे ट्रस्ट की स्थापना के लिये समस्त प्रक्रिया को पूरी करें।
ट्रस्ट का ‘नाम श्री भैरवरतन मातृ पाठशाला ट्रस्ट’ रखा गया, जिसका पंजीकरण: १८.११.१९४३ हुआ।
वर्तमान में अध्यक्ष चन्द्रकुमार कोचर (२००८ से लगातार) व मंत्री मनमोहन बागड़ी २०१३ से (लगातार) कार्यरत हैं। विद्यालय की स्थापना के ८५ वर्ष पूर्ण हो जाने पर विद्यालय भवन में द्वितीय व तृतीय मंजिल पर विकास कर २ नये हाल तथा २६ नये कक्षों व अन्य सुविधाओं का निर्माण करवाया गया, समाज बन्धुओं के सहयोग से सभी मंजिलों में वाटर कूलर लगवाये गये, तथा अनुशासन बनाये रखने के लिये सभी कक्षा में सीसीटीवी कैमरे एवं अंग्रेजी माध्यम में प्राइमरी तक की पढाई शुरू हुयी, जो प्रतिवर्ष एक-एक कक्षा बढाते हुए आज कक्षा ८ तक
चल रही है। अंग्रेजी माध्यम के लिये सेकण्डरी तक की अनुमति के लिये प्रयास चालू है, छोटे बच्चों के लिये प्ले क्लास और मोंटेसरी कक्षाएं शुरू की गई हैं। स्मार्ट क्लासेस के रूप में ओडियो-वीडियो के माध्यम से अध्ययन करवाने के लिये प्रत्येक कक्षा में एल.ई.डी. एवं विद्यालय में एक प्रोजेक्टर रूम की व्यवस्था की गई है। विद्यार्थियों को अग्रणी बनाने के लिये कम्प्युटर रूम अलग से बनवाया गया है। राजस्थान सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त आ.र.के.सी.एल. का कोर्स शुरू करवाया गया है, इस तरह आधुनिकता की ओर कदम बढाते हुए प्रबन्धकों ने अनेक कदम उठाये हैं, आज यह स्कूल बीकानेर की अग्रणी एवं सर्वश्रेष्ठ स्कूल के रूप में परचम लहरा रही है। प्रधानाध्यापक श्री भगवानदास व्यास के नेतृत्व में सभी प्रशिक्षित शिक्षकों का चयन किया जाता है, इस कारण बोर्ड परिणाम शत-प्रतिशत रहता है, संक्षेप में इस संस्था का गौरवपूर्ण इतिहास श्री चांदरतन जी बागड़ी के सपनों को साकार करते हुए उनके वंशज गौरवान्वित हो रहे हैं।

-मनमोहन बागड़ी

माहेश्वरी महाकुंभ का रंगारंग समापन अमेरिकी ड्रमर रवि जखेटिया ने बांधा समा

जोधपुर: अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा के सान्निध्य व पश्चिमी राजस्थान माहेश्वरी सभा और जोधपुर जिला माहेश्वरी सभा की मेजबानी में आयोज्य अंतराष्ट्रीय माहेश्वरी महाधिवेशन व ग्लोबल एक्सपो रंगारंग कार्यक्रम का समापन हुआ। चार दिन चले इस महाकुंभ में देश-विदेश के बिजनेस टाइकून, केंद्रीय मंत्री, राजनीतिज्ञ, एनआरआई, समाजसेवी, जनप्रतिनिधि सहित देश-विदेश के लाखों माहेश्वरी बंधुओं ने शिरकत की। महासम्मेलन में जहां समाज बंधुओं के बीच वैचारिक आदान-प्रदान, संस्कृति, परंपरा के साथ समाज के जीवन मूल्यों को नजदीक से जानने का अवसर मिला वहीं, ग्लोबल एक्सपो में औद्योगिक जगत में विशेष मुकाम हासिल कर अंतरराष्ट्रीय पटल पर माहेश्वरी समाज को बुलंदियां प्रदान करने वाले उद्यमियों से रूबरू होकर उनके अनुभवों से लाभांवित होने का मौका मिला।
ग्लोबल एक्सपो में युवाओं के लिए उद्यमशीलता और नए रोजगार सृजन के अवसरों के लिए स्टार्ट-अप चैलेंज के रूप में उपलब्ध प्लेटफार्म स्टार्टअप्स व स्थापित उद्यमियों के लिये एक नया आयाम साबित हुआ, इस प्लेटफार्म में नए चेहरों (युवाओं) को अपना बिजनेस स्थापित करने के साथ ही सम्पर्कों के माध्यम से सीधे नेटवर्क बनाने में मदद की। जमीनी स्तर पर इनोवेटिज आइडियाज को बढ़ावा मिलने से नए रोजगार सृजित हुए। चुनिंदा स्टार्टअप्स को उनके सपनों की उड़ान के लिए लाखों के पैकेज के रूप में पंख मिले।
मारवाड़ में लिखा नया इतिहास जोधपुर जिला माहेश्वरी महासभा के महामंत्री पुरुषोत्तम मूंदडा के अनुसार माहेश्वरी महाकुंभ का समापन समारोह आयोजित हुआ। समारोह में आयोजन की सफलता के लिए माहेश्वरी समाज के गणमान्यों ने अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा के सभापति श्यामसुंदर सोनी, महामंत्री तथा मुख्य समन्वयक संदीप काबरा, प्रदेशाध्यक्ष जेएम बूब, जिलाध्यक्ष रतनलाल डागा सहित आयोजन समिति के सदस्यों का बहुमान किया गया। सभापति श्यामसुंदर सोनी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि महाकुंभ में देश के पूर्वांचल, उत्तरांचल, दक्षिणांचल, मध्यांचल तथा पश्चिमांचल सहित २२ देशों में बसे माहेश्वरी बंधुओं ने हिस्सा लिया जो ऐतिहासिक है। मारवाड़ की धरा पर समाजबंधुओं द्वारा लिखा गया यह अध्याय इतिहास के पन्नों में की एकता, उद्यम, अखंडता व संगठन की बात होगी इस महाकुंभ को याद किया जाएगा।

उद्देश्य में सफल रहा महाकुंभ

अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा के महामंत्री व मुख्य समन्वयक संदीप काबरा ने बताया कि समूचे भारतवर्ष में यह आयोजन अपने आप में सिरोधार्य है, आज तक अंतराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप इतने भव्य स्तर पर ऐसा आयोजन नहीं हुआ, जो हम सभी के लिए गर्व की बात है, यह सफलता आयोजन समिति के साथ ही अंतिम पंक्ति में खड़े कार्यकर्ता व समाज के हर उस शख्स की मेहनत का नजीजा है जिसने इसे सफल बनाने में अपने आप को आहूत कर दिया, इसी की बदौलत हम वैदिक से वैश्विक काल खंड में माहेश्वरी समाज के विकास व उसके दर्शन को परिलक्षित करने में सफल रहे। जिला प्रशासन, नगर निगम, पुलिस, बीएसएफ व सभी का सहयोग सराहनीय रहा।
श्री काबरा ने कहा कि एक्सपो में राजस्थान के विभिन्न शहरों सहित उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्यप्रदेश,आंध प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पश्चिम बंगाल समेत देश के विभिन्न राज्यों के उद्यमी शामिल हुए । अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, जर्मनी, रूस, जापान, सउदी अरब सहित २२ देशों के उद्यमी भी अपने कई तरह के प्रोडक्ट की लॉन्चिंग व फ्रैंचाइजी की, यहां बने डोम्स में २५ सेक्टर्स के ४५० से ज्यादा एग्जीबीटर्स ने अपने प्रोडक्ट डिस्प्ले किए, जो अपने आप में बड़ी उपलब्धि रही, इसके लिए उन्होंने सभी का आभार जताया, इस दौरान प्रदेशाध्यक्ष जेएम बूब सहित आयोजन, स्वागत समिति के सदस्यों ने आयोजन की सफलता के लिए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

ड्रम ने मचाया धमाल

माहेश्वरी महाकुंभ के समापन पर रवि ड्रम ने जमकर धमाल मचाया, उन्होंने लुंगी डांस..,सिंबा…,जय हो.. सहित बॉलीवुड के कई प्रसिद्ध गाने पर शानदार परफॉर्म किया, जब उन्होंने लुंगी डांस परफॉर्म किया तो क्राउड भी झूमने पर मजबूर हो गया। दर्शकों के वन्स मोर, वन्स मोर… की ख्वाहिश पर जमकर धमाल मचाया। रवि ड्रम अंतरराष्ट्रीय ख्यातनाम ड्रम वादक है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के शपथग्रहण समारोह में शानदार प्रस्तुति से उन्हें अपना कायल बना दिया। समापन समारोह में उपस्थित जनसमुदाय को अपना कायल बनाने में कोई कसर नहीं रखी।

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