जानें राजस्थान को…
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- कालीबंगा किस जिले में स्थित है? -हुनमानगढ़
- मोहनजोदड़ो, हड़प्पा के समकालीन राजस्थान की प्राचीन सभ्यता कौन सी थी? – कालीबंगा, आहड़
- कालीबंगा में उत्खनन, प्रथम चरण का कार्य कब आरभ हुआ? – १९६०- १९६१ में
- कालीबंगा सभ्यता कितने वर्ष पुरानी है:-५०००
- कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ क्या है? – काली चुडिया
- जीवंत स्वामी की धातुमूर्ति, प्रतिहार कालीन जून १९८६ को कहा से प्राप्त हुई? – बरवाला, पाली
- महाभारत काल के अवशेष कहां प्राप्त हुए? – जयपुर के निकट बैराठ में तथा भरतपुर के नोह में
- महिषासुर – मर्दिनी की मृणमूर्ति जो इस देवी का प्राचीनतम अंकन है, ये कहा से प्राप्त हुई है? – नगर नैनवा, टोंक
- लगभग २८०० वर्ष प्राचीन सभ्यता ताम्रयुगीन सभ्यता कौन सी है? – गणेश्वर सभ्यता (सीकर)
- राजस्थान सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन अवशेष कहां प्राप्त हुए? – कालीबंगा में
- सिंधु घाटी सभ्यता की खोज किसने की? – दयाराम साहनी
- गणेश्वर सभ्यता किस नदी के किनारे विकसित हुई? – कांतली नदी
- राजस्थान की माम्रयुगीन सभ्यताओं में सबसे प्राचीन सभ्यता कौन सी है? – कालीबंगा
- राजस्थान का टाटा नगर किसे कहा जाता है? – रैढ़, टोंक को
- कालीबंगा सभ्यता किस नदी के किनारे विकसित हुई? – घग्घर नदी के
- आहड़ सभ्यता के लोगों का प्रमुख खाद्य पदार्थ कौन सा था? – चावल
- मौर्य शासक अशोक के दो शिलालेख कहा मिले हैं? – विराटनगर, जयपुर
- सवाई जयसिंह ने किन स्थानों पर वैधशाला का निर्माण करवाया? – दिल्ली, मथुरा, जयपुर, बनारस
- आर्य सभ्यता के काल में किस धातु का पता चला था? – लोहा
- मध्य पाषाण कालीन सभ्यता का प्रमुख स्थल कौनसा है? – बागौर, भीलवाड़ा
- महाराणा उदयसिंह की मृत्यु किस त्यौहार के दिन हुई था? – होली
- आहड़ सभ्यता का पुराण नाम क्या था? – ताम्रवती नगरी, धूलकोट नगरी
- राज्य में शंख लिपि के प्रमाण बहुतायत में किस स्थान पर मिले है? -मालवीय नगर, जयपुर
- बूंदी राज्य की स्थापना किसके द्वारा की गई? -देवीसिंह हाड़ा
- गणेश्वर सभ्यता कहां विकसित हुई? -सीकर में
- चौहानों ने सर्वप्रथम अपनी राजधानी किसे बनाया?- नागौर, अहिच्छत्रपुर को
- भीनमाल जालौर में कौन सा चीनी यात्री, यात्रा हेतु आया? – ह्य्ेनसांग
- अचलगढ़ दुर्ग राणा कुम्भा के द्वारा कहां बनवाया गया? – सिरोही में
- तराइन के प्रथम युद्ध में ११९१ ई में किसकी विजय हुई? -पृथ्वीराज चौहान
- राजस्थान के किस स्थान से गुप्तकालीन सोने के ४८ सिक्के प्राप्त हुए है? – अहेड़ा (भरतपुर)
- रणथम्भौर के चौहान वंश का संस्थापक कौन था? – गोविंदराज प्रथम
- मध्य पाषाण कालीन सभ्यता का प्रमुख स्थल कौन सा है?- बागौर (भीलवाड़ा)
- राजसमंद झील का निर्माण किसने करवाया? – राजसिंह ने
- बैराठ की खोज किसने की? – दयाराम साहनी ने
- कालीबंगा की खोज किसने की? – अमलानंद घोष द्वारा
- रंगमहल व पीलीबंगा किस जिले में स्थित है? – हनुमानगढ़
- बैराठ किस नदी के तट पर स्थित है? – बाणगंगा
- मेवाड़ में सर्वप्रथम सोने के सिक्के किसने चलाये? – बप्पा रावल
- रावल रत्नसिंह की पत्नी का नाम क्या था? – पदमनी
- अल्लाउद्दीन ने चित्तौड़गढ विजय के उपरांत उसका नाम बदल कर क्या
रखा? – खिङ्कााबाद - रतनसिंह किस वंश के शासक थे? – रावल वंश
- राजस्थान का भीष्म किसे कहा जाता है? – राणा चुड़ा
- मारवाड़ के शासन रणमल को जहर किसने दिया था? -भारमली ने (कुम्भा के कहने पर)
- राणा कुम्भा किस वाद्य यंत्र का कुशल वादक था? – वीणा
- कुम्भा के संगीत गुरू कौन थे? – सारंग व्यास
- खानवा का मैदान कहां स्थित है? रूपवास तहसील भरतपुर में (गंभीरी नदी के तट पर)
- राणा सांगा को बसवा सुरक्षित स्थान कौन ले गया था? – आमेर शासक पृथ्वीराज व मारवाड का युवराज मालदेव
- हिन्दूपत, हिंदूपति व सैनिकों का भग्नावेश किसे कहा जाता है? – राणा सांगा को
- राणा सांगा के शरीर पर स्थित कितने घाव प्रसिद्ध है? – ८० घाव
राणा सांगा की विधवा रानी कर्मावती ने किस मुगल शासक से सहायता मांगी? – हुमायु से - चित्तौड़गढ़ का दूसरा जौहर किसके नेतृत्व में हुआ? – रानी कर्मावती (८ मार्च १५३५)
- राणा प्रताप का राज्याभिषेक समारोह कहां आयोजित हुआ? – कुम्भलगढ़ में
- चेतक की समाधि कहां स्थित है? – बलीचा गांव में
- अकबर ने उदयपुर को जीतकर इसका नाम क्या रख दिया था? – मुहम्मदाबाद
- राणा प्रताप की मृत्यु कब हुई? – १९ जनवरी १५९७ में
- उदयपुर के जगदीश मंदिर (सपने से बने मंदिर) का निर्माण किसने करवाया?- महाराणा जगतसिंह प्रथम ने
- मेवाड़ की राजकुमारी कृष्णा कुमारी किसकी पुत्री थी?-महाराणा भीमसिंह की
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय का उपनाम क्या था? – राय पिथौरा
राजस्थानी ज्ञान बढ़ायें
राजस्थानी त्यौहार
तीज राजस्थान की स्त्रियों का सर्वप्रिय त्यौहार है तीज, प्रतिवर्ष २ बार आती है बड़ी तीज भाद्र कृष्ण तृतीया, छोटी तीज श्रवण शुक्ला तृतीया
(छोटी तीज ही अधिक प्रसिद्ध है)
- दिन पूर्व सिंजारा का पर्व मनाया जाता है।
- नाग पंचमी सावन कृष्णा पंचमी को नाग पूजा की जाती है घर के दरवाजे के दोनों और गोबर से नाग का चित्र अंकित किया जाता है।
- रक्षाबंधन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है बहन भाई को राखी बांधती है।
- उपछठ भाद्र कृष्ण षष्ठी में कुंवारी कन्याओं के लिए उबछठ का त्यौहार आता है, कुंवारी कन्याएं दिनभर खड़ी रहती हैं, खाना नहीं खाती, चंद्रमा के दर्शन के बाद भोजन करती हैं।
- हिंडो उत्सव श्रावण व भादो के महीने में मनाया जाता है राम और कृष्ण की मूर्तियों को झूले पर बिठाकर झूलते हैं।
- श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष मनाया जाता है।
- जन्माष्टमी त्यौहार भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है इस दिन कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था।
- गणेश चतुर्थी भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी को मनाया जाता है गुरु शिष्य एक दूसरे का पूजन करते हैं, सवाई माधोपुर में गणेश जी का मेला भरता है
- भाद्र कृष्ण नवमी को गोगानवमी का त्यौहार मनाया जाता है।
- ‘नवरात्रा’ मां दुर्गा के नवरात्र वर्ष में दो बार मनाए जाते हैं अश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक तथा चैत्र मास में शुक्ल एकम से नवमी तक।
- दशहरा अश्विन शुक्ल दशमी को विजयदशमी दशहरा त्यौहार मनाते हैं।
- करवा चौथ कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत स्त्रियां मनाती है अपने पति की लंबी आयु हेतु व्रत करती हैं।
राजस्थानी जानकारियां
राजस्थान के पशु मेले के बारे में जानकारी
नागौरी नस्ल
श्री बलदेव पशु मेल
श्री बलदेव पशु मेला- मेड़ता सिटी (नागौर)
श्री वीर तेजाजी पशु मेला- परबतसर (नागौर)
रामदेव पशु मेला- मानासर (नागौर)
गोमती सागर पशु मेला- झालरापाटन (झालावाड़)
चंद्रभागा पशु मेला- झालरापाटन (झालावाड़)
गिर नस्ल
पुष्कर पशु मेला- पुष्कर (अजमेर)
हरियाणवी नस्ल
गोगामेड़ी पशु मेला- नोहर (हनुमानगढ़)
शिवरात्री पशु मेला-करौली
विभिन्न नस्ल
- श्री मल्लीनाथ पशु मेला- तिलवाडा (बाड़मेर)
थारपारकर - भहरोड़ पशु मेला- बहरोड (अलवर)
बाबा रघुनाथ पुरी पशु मेला- सांचोर (जालौर)
सेवडिया पशु मेला-रानीवाडा (जालौर)
राजस्थान के विभिन्न पशु मेले
- श्री बलदेव पशु मेला
- श्री वीर तेजाजी पशु मेला
- रामदेव पशु मेला
- गोमती सागर पशु मेला
- चन्द्रभागा पशु मेला
- पुष्कर पशु मेला
- घोगामेड़ी पशु मेला
- शिवरात्री पशु मेला
- श्री मल्लीनाथ पशु मेला
- बहरोड़ पशु मेला
- बाबा रघुनाथ पुरी पशु मेला
- सेवडिया पशु मेला
राजस्थान की कला एवं संस्कृति
आधुनिकता में खो गए हमारे संस्कार
ठाणे – इंसान ने चाहे कितनी तकनीकी तरक्की कर ली हो पर इस तरक्की के चलते बीते कुछ बरसों के भीतर आई आधुनिकता की अंधी दौड़ में हमारे संस्कार खो गए हैं। व्हाट्स ऐप, फेसबुक आदि ने राष्ट्र के भावी निर्माता कहे जाने वाले बच्चों समेत हम सबकी संवेदना-संजीदगी छीन ली है, हम अपनापन से परे हो रहे हैं, यह अनमोल विचार व्यक्त किए मशहूर टीवी सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ फेम सुप्रसिद्ध अभिनेता एवं कवि शैलेश लोढ़ा ने, श्री लोढ़ा ‘मारवाड़ीज इन थाने वेलफेयर’ संस्था द्वारा ठाणे (प.) स्थित गडकरी रंगायतन में आयोजित सालाना ‘राजस्थान महोत्सव’ में बोल रहे थे।
संस्था की संस्थापिका-अध्यक्षा एवं महाराष्ट्र कांग्रेस की महासचिव सुमन आर अग्रवाल के संयोजन में हुए इस महोत्सव का महाराष्ट्र के पूर्व गृहराज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह ने दीप प्रज्ज्वलन कर उद्घाटन किया, इस अवसर पर चुरू (राजस्थान) की नवनिर्वाचित विधायक एवं अंतर्राष्ट्रीय एथलीट पद्मश्री कृष्णा पूनिया और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव बी. एम. संदीप प्रमुख अतिथि थे, जबकि विशेष अतिथियों में महाराष्ट्र कांग्रेस के महासचिव एडवोकेट गणेश पाटिल, ठाणे की महापौर मीनाक्षी शिंदे, ठाणे कांग्रेस के अध्यक्ष मनोज शिंदे, उल्हासनगर के कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. जयराम लुल्ला का शुमार था, समारोह का आरंभ गणेश वंदना के पारंपरिक शैली में प्रस्तुत समूह-नृत्य से हुआ, सभी अतिथियों का खास राजस्थानी साफा पहना कर व शाल-श्रीफल व स्मृतिचिन्ह प्रदान करके स्वागत किया गया।
राजस्थानी समाज के हरेक वर्गों के लोगों सहित समाजसेवी, उद्योगपति, शिक्षाविद, डॉक्टर, वकील, इंजीनियर समेत विविध क्षेत्रों से जुड़ी शख्सियतों की भारी उपस्थिति में जाने-माने समाजसेवी-उद्योगपति सत्यनारायण बजाज को संस्था व्दारा इस साल के प्रतिष्ठित ‘मारवाड़ रत्न’ और अनीता टिबरेवाल को ‘महिला उद्योगरत्न’ पुरस्कार से नवाजा गया, कार्यक्रम में जाने-माने उद्योगपति-समाजसेवक दीनदयाल मुरारका, रमाकांत परसरामपुरिया, एस. एल. पोखरणा, राधेश्याम अग्रवाल, अमर ठाकुर, एल.वी. राठी, विक्रम जैन, संदीप गर्ग, डॉ. राजेंद्र अग्रवाल, शिवकांत खेतान, महेश बंसीधर अग्रवाल, विकास केडिया, सुरेंद्र रुइया, ब्रिज मित्तल, उत्तम जैन, सुरेश राठोड, चंचल झंवर, अभिनेत्री गरिमा जैन, सीमा नैयर, प्रजापिता ब्रह्मकुमारी समाज की लतिका दीदी और टाइम्स एंड ट्रेंड्स एकेडमी की निदेशक निकिता अग्रवाल, वीरेंद्र पूनिया सम्माननीय अतिथि थे, समारोह में अतिथियों के करकमलों व्दारा संस्था की इस साल की स्मारिका का विमोचन भी किया गया, इस अवसर पर कृपाशकर सिंह ने मुंबई-ठाणे व समूचे महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश के चहुंमुखी विकास में राजस्थानी समाज के योगदान को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया और शूर-शिरोमणि महाराणा प्रताप की उस वीरभूमि से छत्रपति शिवाजी महाराज की इस संतभूमि को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले इस समाज को नमन किया।
राजस्थान हाउस में स्नेह मिलन समारोह का आयोजन
नई दिल्ली: १३ जनवरी, २०१९ को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेला में देश के विभिन्न भागों से आये लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों के सम्मान में राजस्थान हाउस, नई दिल्ली में स्नेह मिलन समारोह का आयोजन किया गया था।
भारतीय भाषा एवं संस्कृति संगम की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यकारों ने विश्व पुस्तक मेला को भारतीय दर्शन का आईना निरूपित किया और कहा कि यहाँ दुनिया भर के साहित्य प्रेमियों को एक छत के नीचे विचारों का आदान-प्रदान करने का सुनहरा अवसर मिलता है।
साहित्यकारों ने राजस्थान की कला,संस्कृति एवं बेजोड़ इतिहास की विशेष रूप से चर्चा करते हुए कहा कि इस माटी के हर हिस्से में कहानियों का भंडार छुपा हुआ है, उन्होंने राजस्थान के हेरिटेज,रंग बिरंगे एवं जीवंतलोक जीवन को भी रेखांकित किया व कहा कि यहाँ विविधताओं में एकता के मिलन का एहसास सुखद अनुभूति को दर्शाता है, साहित्यकारों ने इस मौके पर अपनी काव्य रचनाएं भी सुनाई।
समारोह में भारतीय भाषा एवं संस्कृति संगम के अध्यक्ष कुमेश जैन, उपाध्यक्ष एम के मोदी व हेमजीत मालू और संरक्षक जेतराम सोनी के साथ ही राजस्थान सूचना केंद्र,नई दिल्ली के अतिरिक्त निदेशक (सं.) गोपेन्द्रनाथ भट्ट और राजस्थान भवन के वरिष्ठ प्रबंधक हेमंतकांत विनय ने साहित्यकारों का अभिनंदन किया।
इस मौके पर जाने माने साहित्यकार एवं प्रकाशक राकेश पांडेय, प्रमोद सागर,लालित्य ललित, गोपीकृष्ण, गिरीश पंकज, हर्षवर्धन आर्य,सुश्री आभा चौधरी, नीलम राठी, कंचन शर्मा, पूनम गुजरानी, शालिनी जैन, डॉ. स्नेहलता पाठक, राजेश अग्रवाल, हिम्मत सिंह राजपुरोहित, झिलमिल वासनिक, कुंवर रणविजय सिंह, मनु शर्मा, महिपाल दयाल आदि मौजूद
थे।
‘डेजर्ट सेम्फनी' ने समा बाँधा राजस्थान के कलाकारों ने मचाई धूम
२८ जनवरी, २०१९ नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला प्रांगण में आयोजित छह दिवसीय भारत पर्व -२०१९ को सायं राजस्थान के लोक कलाकारों ने अपनी नायाब प्रस्तुति ‘डेजर्ट सेम्फनी’ से समा बाँध दिया और अपने दिलकश गीतों व संगीत की सुमधुर प्रस्तुतियों से लोगों को झूमने को मजबूर कर दिया। सांस्कृतिक संध्या में राजस्थानी लोक कलाकारों द्वारा चरी, भंवई, घूमर और कालबेलिया आदि लोकनृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियां हुई। डेढ़ घंटा चले इस मनमोहक कार्यक्रम के प्रारंभ में स्थानीय कलाकारों सुश्री किरण कुमारी और साथी नृत्यांगनाओं द्वारा चरी नृत्य की प्रभावी प्रस्तुति की गई।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बाड़मेर के भूंगडा खान और साथियों द्वारा प्रस्तुत ‘डेजर्ट सेम्फनी’ की शानदार प्रस्तुति रही।
करीब २५ कलाकारों ने एक साथ विभिन्न लोक वाद्यों और लोकसंगीत की मधुर धुनों के साथ अपने कर्णप्रिय लोकगीतों से दर्शकों की वाहवाही लूटी। ‘डेजर्ट सेम्फनी’ के साथ संगत करती हुई नृत्यांगनाओं ने भी राजस्थान के मशहूर भवई, घूमर और कालबेलिया नृत्य प्रस्तुत कर ऐसा समा बांधा कि पूरा प्रांगण भारी करतल ध्वनि से गूंज उठा।
कार्यक्रम के अंत में राजस्थान पर्यटक स्वागत केंद्र की अतिरिक्त निदेशक डॉ. गुणजीत कौर,सहायक निदेशक श्रीमती सुमिता मीना,रिटायर्ड सहायक निदेशक राजेन्द्र कुमार सेनी, राजस्थान सूचना केंद्र, नई दिल्ली के अतिरिक्त निदेशक (सं.) गोपेन्द्र नाथ भट्ट और भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के अधिकारियों ने लोक कलाकारों का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का मंच संचालन उदयपुर की श्रीमती हिमानी जोशी ‘लोरी’ ने किया।