पीपाड़ शहर
जोधपुर जिले में एक शहर और नगर पालिका है ‘पीपाड़’ जो जोजरी नदी के किनारे बसा हुआ है, इसका नाम संत पीपा जी महाराज के जन्मस्थली होने से इसका नाम ‘पीपाड़’ पड़ा, कुछ लोग यह भी कहते हैं कि इसे पालीवाल ब्राह्मण, जो कि पीपा नाम से मशहूर थे उनके नाम से भी जाना जाता है। जनसंख्या इस शहर की आबादी लगभग ५०००० है, जिसमें ५२³ पुरुष ४८³ महिलाएं हैं, साक्षरता का दर लगभग ५२³ है।
शिक्षा शिक्षा के क्षेत्र में ‘पीपाड़’ का नाम सर्वोच्च श्रेणी में आता है, यहां से हर वर्ष चार्टड अकाउंटेंट बनते हैं, जो यहां की जनसंख्या के ओसत से ज्यादा है, यहां लड़कियों के लिए श्रीमती सीता देवी चुन्नीलाल बरडीया राजकीय महिला महाविद्यालय एवं छात्रों के लिए राजकीय महाविद्यालय है, जिसमें छात्रों को डिग्री कोर्स दिया जाता है। आईटी कॉलेज भी यहां पर हैं, यहां पर सबसे पुरानी स्कुल, से’ रामरख मालानी सीनियर उच्च माध्यमिक विद्यालय है, बाद में से’ हरकचंद चंपालाल को’ारी, महात्मा गांधी उच्च माध्यमिक विद्यालय, श्रीमती सुगनी देवी पुखराज मुणोत राजकीय उच्चविद्यालय, से’ भीकम चंद मुथा बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, कमल को’ारी प्राथमिक विद्यालय, आदर्श विद्या मंदिर के
साथ निजी स्तर के करीब ४० विद्यालय स्थापित हैं। सरकारी आईटी कॉलेज भी हैं, दो निजी कॉलेज भी है। ‘पीपाड़’ से अनेक व्यक्ति शिक्षित होकर बड़े पदों
पर आसीन हैं, इसमें उपखंड अधिकारी डॉक्टर चार्टर्ड अकाउंटेंट, इंजीनियर है। धार्मिकता पुराने जमाने में ‘पीपाड़’ निमाज ‘िकाने में आता था, यहां पर गढ़, कोट भी था,
गढ (महल) को श्री ओसवाल लोडे साजन संघ सभा संस्थान ने खरीद लिया, इस कोट में (महल) धणी दादोसा का भव्य मंदिर बन हुआ है। यहां चिंतामणि पारसनाथ जैन मंदिर एवं सुभाष घाट तालाब पर श्री शांतिनाथ जी का मंदिर बना हुआ है। श्री लक्ष्मी नाथजी का मंदिर, पीपलाद माता जी का मंदिर, शेषनाग भगवान का मंदिर, शिव जी का मंदिर, श्री
गणेश मंदिर, रेलवे स्टेशन पर तिरुपति मंदिर एवं रामदेव मंदिर, खत्री मोहल्ले में महालक्ष्मी मंदिर स्थापित है, यहां पर कुशल गुरु दादाबाड़ी एवं आयंबिल
भवन भी बना हुआ है, हर वर्ष आयंबिल तप की आराधना वर्ष में दो बार की जाती हैं, यहां पर अनेक प्राचीन स्थल हैं, इनमें खाकी जी की बगीची, जिरोखा वाले महाराज की बगीची, जैन समाज का चोबिता है, सभी सापासर तालाब पर स्थित है, यहां से लगभग १२ किलोमीटर पर ‘कापरडा तीर्थ’ है, यहां पर पूरे देश से लोग दर्शन पूजा करने आते हैं। ‘कापरड़ा’ मंदिर में ठहरने व भोजन की उत्तम व्यवस्था है, आधुनिक धर्मशाला का निर्माण भी किया हुआ है। ‘पीपाड़’ के पास मोगरिया हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है।
‘पीपाड़’ माली बाहुल्य होने के कारण यहां लिखमीदास जी महाराज का भी मंदिर बना हुआ है एवं यहां सब्जी मंडी बनी हुई है, यहां पर ाुद्ध ताजा हरी सब्जी हमेशा मिलती है, यहां की हरी मिर्च प्रसिद्ध है, आसपास के क्षेत्र में इतनी बड़ी सब्जी मंडी ‘जोधपुर’ के अलावा कहीं नहीं है। माली समाज द्वारा यहां पर ‘होली’ पर ‘गैर’ निकाली जाती है,
इसमें सर्व समाज के हजारों लोग सम्मिलित होकर ‘गैर’ का आनंद लेते हैं। यहां पर मालानी समाज का सती माता का मंदिर भी है। सामाजिक भवन में श्री ओसवाल लोडे साजन संघ सभा भवन श्री ओसवाल बड़ी न्यात भवन, जैन भोजन शाला भी यहां पर बना हुआ है। महेश्वरी पंचायत भवन, स्वर्णकार समाज भवन मंगल कार्यालय, पुष्पा भवन आदि सामाजिक भवन बने हुए हैं। विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारत विकास परिषद आदि सामाजिक संस्थाएं हैं। कवाड़ परिवार द्वारा आधुनिक ए. सी. अतिथि भवन भी बना हुआ है। जैन समाज के पधारे हुए अतिथियों के लिए यहां अच्छी सुविधा उपलब्ध है। अन्य स्थानों में बाबा आश्रम एवं जैन धर्मशाला है, यहां पर सभी यात्री रात्रि विश्राम करते हैं।
‘पीपाड़ शहर’ को धर्म नगरी भी कहा जाता है, क्योंकि यहां प्रतिवर्ष जैन धर्म के अलावा सनातन धर्म के साधु संतों का चातुर्मास होता है एवं प्रवचन के समय हर धर्म का व्यक्ति
वहां पर प्रवचन सुनने के लिए आते हैं। जैन साधु-साध्वी के लिए उपासरे, स्वाध्याय भवन, आराधना भवन आदि बने हुए हैं, जिसमें सबसे पुराना प्राचीन ‘राता उपासरा’ है, यहां पर हजारा जैन साधु-साध्वी जी प्रवचन कर चुके हैं, इसका संचालन श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ संस्थान द्वारा किया जाता है।