भारत को समर्पित है माहेश्वरी परिवार

भारतीय परिवारों में एक जाति माहेश्वरी परिवारों की भी है, जो आज विश्व स्तर पर फैले हुए हैं और अपनी कर्मठता की शौर्यता दिखाते हुए ‘भारत’ को विश्वस्तर पर सम्मान भी दिला रहे हैं। व्यवसाय हो या समाज सेवा या हो राष्ट्र की सेवा अपने परिवार की सेवा के साथ हर क्षेत्र में अग्रणीय हैं। समाज भवन का निर्माण हो या औषधालय या शिक्षालय का निर्माण, किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रहे, हर क्षेत्र में अपनी शौर्यता व कर्मठता का परिचय दिखाते रहे हैं। भारत की स्वतंत्रता हो या विश्व प्रसिद्ध धर्मस्थल ‘अयोध्या’ का निर्माण, उसमें भी पीछे नहीं रहे, यशोगाथा कितनी लिखी जाये, किताब के पन्ने भी कम पड़ जाएंगे। जानते हैं यह कैसे हुआ? इसका श्रेय जाता है भोले भंडारी भगवान शिव और मां पार्वती जी के आशीर्वाद को, शास्त्रों में लिखी जानकारीनुसार जब ‘लोहार्गल’ के राजकुमार सूजानकंवर व उनके क्षत्रिय साथियों द्वारा ऋषियों के यज्ञ में बाधा डालने के कारण श्रापित हो गए तो उनको श्राप से मुक्ति दिलाने का आशीर्वाद मां पार्वती एवं भगवान शिव जी से मिला और पाषाण बने सभी क्षत्रियों को पुनर्जीवन प्राप्त हुआ, साथ ही मां पार्वती ने यह भी कहा कि अब शास्त्र छोड़, तराजू को अपनाना है। यह वो दिवस था ज्येष्ठ शुक्ल नवमी, जिसे आज भी विश्व में फैले माहेश्वरी ‘महेश नवमी’ को पर्व के रूप में श्रद्धापूर्वक मनाते हैं। मंदिरों में पूजा की जाती है, शोभा यात्राएं निकाली जाती है, एक परिवार दूसरे परिवार के साथ बैठकर भोज का आनंद लेते हैं और प्रण करते हैं कि जब तक शरीर में श्वास है,
परिवार, समाज, राष्ट्र की सेवा करते रहेंगे। इसी श्रृंखला में एक राष्ट्रीय अभियान ‘भारत को केवल ‘भारत’ ही बोला जाए’ एक राष्ट्र एक नाम
‘भारत’ की शुरुआत हुयी थी हुई तो माहेश्वरी परिवारों के बीच में से एक कोलकाता निवासी श्रीमती शोभा भगवानदास सादानी जो कि पूर्व में माहेश्वरी महिला महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुकी हैं, आगे आईं ़और उन्होंने भारतीय माहेश्वरीयों के बीच एक भावना भरी, कि आज भी हम अपने प्यारे देश को ‘इंडिया’ क्यों बोलें, इंडिया नाम तो अंग्रेजों ने हम पर थोपा था, हम तो अपने देश का नाम केवल ‘भारत’ ही बोलेंगे। कारवां चलता गया, लोग जुड़ते गए, ‘भारत बनाम भारत’ अंतरराष्ट्रीय अभियान बन गया, यहां पर कुछ विशेष नाम और भी लिखना चाहूंगा, राजस्थान के कोटा निवासी शिक्षा प्रेमी डॉ. गोविंद माहेश्वरी, माहेश्वरी महासभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जोधराज लड्ढा जी की पुत्रवधू श्रीमती निशा
संजय लड्ढा कोलकाता निवासी, विदेश में रहने वाले अरुण जी मूंदड़ा आदि-आदि सैकड़ों नाम है, जिनका संपूर्ण लेखन संभव नहीं है।
‘सभी का सहयोग, ऐसा बना योग’ की आज भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री अपने ‘मन की बात’ में ‘भारत’ नाम का ही उल्लेख कर रहे हैं।
संपादकीय संक्षिप्त होती है इसलिए ‘महेश नवमी’ की शुभकामनाएं देते हुए भारत सरकार से यही अपील करता हूं कि विश्व के मानचित्र ऊपर में जहां हमारे देश का नाम केवल India लिखा हुआ है वहां BHARAT लिखा जाए और मुझे विश्वास भी है कि वर्ष २०२६ को ‘महेश नवमी’ पर्व जब हम मनायेंगे, India  नहीं केवल BHARAT में मनाएंगे।

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