माहेश्वरी समाज की कुल माताएं
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माहेश्वरी समाज की कुल माताएं (Total Goddess of Maheshwari Samaj in Hindi) :
११. लिकासण माता- लिकासण माता का मंदिर नागौर जिले के लिकासण गांव में है, यह स्थान नागौर से ७५ किमी.डीडवाना से १८ किमीr. छोटी खाटू से ५ किमी. दूर है।
३३.नौसर माता (पुष्कर), Dाजमेर- नौसर माताजी का मंदिर अजमेर के समीप पर्वत के मध्य पुष्कर से पहले प्रतिष्ठित है। नवदुर्गा के रूप मेंस्थापित नौसर मातजी की प्रतिमा वाला मंदिर करीब १२०० वर्ष सं भी प्राचीन है।
३४.नागणैचा माता- नागणैचा माता का प्राचीन मंदिर बीकानेर शहर निवासियों की आस्था का केन्द्र है। नवरात्रि में मेला लबता है।
३५.बिसला माता- फलौदी शहर के भट्टडों के चौक में बिसल माताजी का भव्य मंदिर बना है। अभी उसमें मूर्ति नहीं लगनी बाकी है। नवरात्रि में मेला लगता है।
३६.खाण्डल माता- मारवाड मूण्डवा जिला नागौर में खाण्डल माता की ५०० वर्ष प्राचीन बंग खांप की कुल माता की प्रतिमा का सन्त श्री आत्माराम जी खाकी के दृष्टान्त द्वारा ज्ञान तालाब के प्रांगण में १३ अप्रैल २००२ को प्रकटय हुआ, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा ११ अप्रैल २००३ को हुई। यह मूर्ति श्री नृसिंह मंदिर मूण्डवा में स्थित है।
३७.माणुधणी माता
३८. नौशल्या माता- नागौर जिले के जायल तहसील में नौशल्य माता का मंदिर है। इस मंदिर में प्रतिमा नहीं है। माण्डकर पूजारी जी ने बताया कि यहाँ अग्रवाला समाज केसाथ खटौड खँप वाले भी आते हैं।
३९.आशवरी माता
४०.मुन्दल माता- मुन्दल माता जी का मंदिर नागौर जिला के मुन्दियाड गाँव में है, जो नागौर से २४ कि.मी. दूर है। ठहरने तथा रहने की इच्छी व्यवस्था है।
४१.जीवण माता- जानकारी उपलब्ध नहीं।
४२.आशापुरा माता- नाडोल जिला से ६० किमी. उदयपुर के रास्ते में नाडोल जिला पाली पडता है। आसणी कोट के पास विशाल प्रसचीन मंदिर है।
४३.डाहरी माता
४४.बागलेश्वरी माता
४५.बागलोद माता
४६.हिंगलाज माता- बीकानेर के पास कोलायत से ३ कि.मी. की दूरी पर मढ गाँव में हिंगलाज माताका पुराना ऐतिहासिक मंदिर सम्वत् १६४८ में बना हुआ बताते हैं।
४७.गारस माता
४८.धोलेश्वरी माता- धोलेश्वरी माताजी का मंदिर अलवर जिले के लक्ष्मणगढ तहसील में वहलुकला ग्राम के नजदीक पहाड़ी पर स्थित है, यह धोल पर्वत के नाम से जाना जाता है।
४९.भैंसादश्री माता- भैंसादश्री माता का मंदिर नीमच सिटी के मीणा मोहल्ले में नदी किनारे पर है, यह मंदिर ६०० वर्ष पुराना बताते हैं।
५०.नवासण माता- जानकारी उपलब्ध नहीं।
५१.धरज माता, पोकरण- माताजी का मंदिर पोकरण शहर के मध्य स्थित है। विवाह-जात, झुडुला के लिए गाँधी, नावंदर परिवार आते हैं, इसके अलावा धरजल माता का मंदिर घेवडा जिला जोधपुर में भी है।
५२.डोरसिया माता,डारू- नागौर जिले के खींवसर से मैन रोड से जोरापुर गाँव से ६ किमी. दूर डारू गाँव है। डारू गाँव के २ किमी. दूर तालाब के किनारे मंदिर बना हुआ है। डोरसिया माता जी ट्रस्ट सेवा समिति गाँव डारू, नागौर नाम से बनी हुई है।
५३.सोढल माता- गोलकिया, पंसारी नख वाले मानते हैं। सोढत माताजी का मंदिर जैसलमेर दुर्ग में थोड़े आगे चलते ही अखैप्रोल के पास में ही स्थापित है, यह मंदिर ४०० वर्ष पुराना बताते हैंं।
५४.बीस हत्थ माता, जोधपुर- इनका मंदिर भैरूनाथ जोधपुर में जैन मंदिर के प्रांगण में है, वहाँ पर धर्मशाला भी है। जोधपुर में माहेश्वरी भवन के अनेकों होटल, धर्मशालाएं हैं जहाँ पर ठहरने की अच्छी व्यवस्था है।
५५.द्विजेश्वरी माता- यह मंदिर हनुमानगढ जिले के नोहर तहसील के भूकरका गाँव में है। कुल माता का नाम द्विजेश्वरी माता है। माताजी के मंदिर में पचीसिया नख वालों की विवाह की जात तथा मुण्डन संस्कार होते हैं।
५६.भादरिया माता- भादरिया (जैसलमेर) में भव्य मंदिर है। यहा ठहरने के लिए माहेश्वरी भवन की धर्मशालाएं व होटल भी हैं।
५७.सामल माता
५८.ब्राम्हणी माता- माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप का नाम ब्रम्हचारिणी है यहां शब्द का अर्थ तपस्या है। कठोर तपस्या को चारिणी होने के कारण ही प्रसिद्धि ‘ब्रम्हचारिणी’ नाम से हुई।
५९.जसाय मात