राजस्थान रत्नाकर द्वारा २.५० लाख कॉपियां वितरित की जायेगी
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नई दिल्ली: २१ जनवरी, २०१९ अप्रवासी राजस्थानियों की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रमुख स्वयंसेवी संस्था ‘राजस्थान रत्नाकर’ द्वारा ज़रूरतमंद छात्र छात्राओं को २.५० लाख कॉपियों का वितरण करवाया जायेगा, संस्था द्वारा छपवाई जा रही इन कॉपियों पर सौर- ऊर्जा का विशेष संदेश भी होगा, जिसके उत्पादन की राजस्थान में प्रचुर संभावनाएं मौजूद हैं।
संस्था के चैयरमेन राजेन्द्र गुप्ता की अध्यक्षता में हुई प्रबन्ध कार्यकारिणी की बैठक में प्रधान रमेश कनोडिया ने यह जानकारी दी, उन्होंने बताया कि संस्था अपने सदस्यों को २५ रु.बाजार मूल्य की इन कॉपियों को मात्र ६ रु. में उपलब्ध करवायेगी, शेष खर्च संस्था स्वयं वहन करेगी। संस्था के सदस्यों से अपील की गई है कि वे कॉपियां वितरण के लिए अधिकाधिक आगे आये,ताकि और भी ज्यादा विद्यार्थियों को कॉपियां वितरित करवाई जा सके।
मंत्री सुमित गुप्ता ने बताया कि आगामी जुलाई माह में होने वाले संस्था के वार्षिक समारोह में प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को छात्रवृतियों का वितरण करने के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली प्रतिभाओं का सम्मान भी किया जायेगा।
मुख्यमंत्री एवं मंत्री परिषद सदस्यों का अभिनंदन
प्रधान कनोडिया ने बताया कि वार्षिक समारोह सहित अन्य अवसरों पर संस्था संरक्षक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं उनके मंत्री परिषद के मंत्रीगण को आमंत्रित कर उनका अभिनंदन किया जायेगा।
विविध आयोजन प्रस्तावित
आने वाले महीनों में ‘राजस्थान दिवस’ पर महिला एवं पुरुषों के अलग-अलग क्रिकेट मैत्री मैच, राजस्थानी रंग रूप से भरे होली मंगल मिलन, सांसद स्वागत समारोह एवं तीज महोत्सव के साथ ही देश एवं विदेश भ्रमण के विशेष कार्यक्रम भी आयोजित करेगी।
संस्था संरक्षक को श्रद्धांजलि
प्रबंध कार्यकरिणी की बैठक में संस्था के आजीवन संरक्षक रहे दिवंगत विष्णुहरि डालमिया को दो मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
विभिन्न सहयोगियों का सम्मान
बैठक में संस्था को तन-मन और धन से सहयोग प्रदान करने वाले सहयोगियों का शाल ओढ़ा कर स्मृति चिन्ह व पुष्प गुच्छ प्रदान कर सम्मान किया गया।
राम सुतार ने कहा, मेरी सारी कला का श्रेय भारत की परंपरा को, मुनगंटीवार और लोढा के हाथों सम्मान से अभिभूत हुए राम सुतार

विश्व में सबसे ऊंची मूर्ति सरदार पटेल की स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की संकल्पना संजोने वाले शिल्पकार श्री राम सुतार का मुम्बई की ५० से भी ज्यादा सामाजिक संस्थाओं की ओर से अभिनंदन किया किया।
वित्त मंत्री श्री मुनगंटीवार ने विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण करनेवाले श्री सुतार का अभिनंदन विश्व की सबसे ऊँची आवासीय बिल्डिंग वल्र्ड वन में होने को भी एक अद्भुत संयोग बताया।
अत्यंत गरिमामयी अभिनंदन समारोह में करीब ५० से भी, अधिक देश की अतिप्रतिष्ठित और सक्रिय सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों एवं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले की धर्मपत्नी श्रीमती सीमाताई अठावले भी विशेष तौर से उपस्थित थी।
इस समारोह में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन केवल हांडा, अतुल्य ग्रुप के संस्थापक व सीईओ महादेव जाधव, कार्यक्रम संयोजक राजकुमार शर्मा एवं राजेन्द्र जाधव भी मंच पर थे।
लोढा फाउंडेशन की अगुवाई में डॉ. द्वारकानाथ कॉटणीस रिसर्च ब्यूरो और ऑनलाइन मीडिया ‘लाडलेइन्फो डॉट कॉम’ द्वारा संयुक्त रूप से यह समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक राजकुमार शर्मा ने बतलाया कि इस समारोह में कला, संस्कृति, समाजसेवा और विभिन्न क्षेत्रों के कई जाने माने लोग उपस्थित थे। डॉ. उत्तम वी. जैन, कानबिहारी अग्रवाल, गोविंद सराफ, बिजय कुमार लोहिया, श्रीमती सुमन आर. अग्रवाल, मनीष जैन, अशोक चालके, शांतिलाल फुरिया आदि सुप्रसिद्ध उद्योगपति व समाजसेवियों ने उपस्थित होकर अतिथि विशेष का स्वागत व श्री राम सुतार जी सम्मान किया।
जांगिड़ समाज की जाती?

हमारी जाति जांगिड़ ब्राह्मण है, जब भी यदि कोई हमारी जाति पूछे तो हमें हमारी जाति ‘जांगिड़ ब्राह्मण’ बताना चाहिये, प्राय: साधारण पढ़े-लिखे जाति बंधु अपने को सुथार जाति का मान कर परिचय देते हैं, सुथारी कार्य हिंदू भी करता है लेकिन सुथार जाति नहीं बल्कि व्यवसाय है, सुथारी कार्य हिंदू और मुसलमान दोनों भी व्यवसाय के आधार पर सुतार या खाती आदि के नाम से जाने जाते हैं, अर्थात् व्यवसाय का सम्बन्ध जाति से नहीं है, अत: हमारी जाति कर्म-धर्म के अनुसार जांगिड़ ब्राह्मण है।
हम किसकी संतान हैं?
हम अंगिरा ऋषि की संतान है, वे एक ब्रह्मर्षि थे, दिग्विजयी प्रतापी होने के कारण इन्हें जांगिड़ कहा गया, अंगिरा ऋषि (अंगिरसो) के आश्रम जांगल देश में थे, इसलिये भी अंगिरस स्थान के नाम से ‘जांगिड़’ कहलाये, आदि शिल्पाचार्य भुवन पुत्र विश्वकर्मा देवों के शिल्पी होने से जांगिड कहलाये, विश्वकर्मा जी अंगिराकुल के होने के कारण हमारी वंश परम्परा के पूज्यनीय एवं हमारे प्रेरक गुरू और भगवान है।
सप्त ऋषियों द्वारा की गयी विश्वकर्मा जी की पूजा

ऋग्वेद के दशम् मण्डल के सूक्त ८१ व ८२ दोनों सूक्त विश्वकर्मा सूक्त हैं इनमें प्रत्येक में सात-सात मंत्र हैं इन सब मंत्रों के ऋषि और देवता भुवनपुत्र विश्वकर्मा ही हैं, ये ही चौदह मंत्र यजुर्वेद अध्याय के १७वें में १७ से ३२ तक आते हैं, जिसमें से केवल दो मंत्र २४वां और ३२वां अधिक महत्वपुर्ण है, प्रत्येक मांगलिक पर्व यज्ञ में गृह प्रवेश करते समय, किसी भी नवीन कार्य के शुभारम्भ पर, विवाह आदि संस्कारों के समय इनका पाठ अवश्य करना चाहिए, इतिहास साक्षी है कि विभिन्न अवसरों पर भी ऋषि मुनियों, देवताओं और महापुरूषों पर भी संकट आया, श्री विश्वकर्मा जी ने उनको नाना प्रकार के आयुध प्रदान किये और उस का संकट निवारण किया और उन्होंने विश्वकर्मा जी की पूजा आराधना और स्तुति की, श्री कृष्णं एवं भीम संवाद में उल्लेख आया है कि महर्षि मरिच, अंगिरा, अत्रि, पुलस्त्य, पुलड, ऋतु, वरिष्ठ, आदि सप्तऋषियों ने ब्राह्मणत्व प्राप्त करने के लिए विश्वकर्मा जी की प्रार्थना की जो इस प्रकार है:
अस्माकम् दीयतां शीघ्रं भगवन् यज्ञ शीलताम।
………………..कर्माणि तदा मयात।
अर्थात हे प्रभु। अब आप कृपा कर हमें यज्ञशीलता प्रदान कीजिए। हे महाविभों! यज्ञ करना, यज्ञ कराना, वेद पढना, कथा पढाना, दान देना और दान लेना आदि षट्कर्मों का अधिकार दीजिए, महर्षियों के ये शब्द सुनकर श्री विश्वकर्मा जी ने उनको वरदान दिया और षटकर्माधिकार की आज्ञा दी। यह वर प्राप्त करके सप्तर्षियों ने शिल्पधिपति देवाधिदेव विश्वकर्मा जी की मुक्त कंठ से स्तुति की, जो इस प्रकार हैः
हे शिल्पाचार्य विश्वकर्मन् देव। हम आपके कृतज्ञ हैं, हम पर आपकी कृपा हो, हम आपको बारम्बार प्रमाण करते हैं एवं तत्वज्ञानी शिल्पाचार्य मनु, मय, त्वष्टा, दैवेज्ञ, शिल्पी आपके पुत्रों को भी हम प्रमाण करते हैं, इस संदर्भ में सप्तऋषि आगे कहते हैं-
हे देव! आपकी कृपा से हमें शुद्ध ब्राह्मणत्व प्राप्त हुआ है। अब हम अपने मार्ग पर जाते हैं ऐसा कहकर उन ऋषियों ने श्री विश्वकर्मा जी को बारम्बार प्रणाम किया, उनकी प्रदक्षिणा की, इस प्रकार श्री विश्वकर्मा जी सप्तऋषियों के गुरू भी हैं। इन्द्र द्वारा विश्वकर्मा जी की पूजा ब्रह्मवैवर्त पुराण, कृष्ण जन्म खण्ड के अध्याय ४७ के राधा-कृष्ण संवाद में उल्लेख आता है कि देवाधिदेव इन्द्र ने भी कलाधिपति विश्वकर्मा जी की आराधना एवं स्तुति की जिसका विवरण इस प्रकार हैः
श्री कृष्ण कहते हैं कि, हे परम सुंदरी, जिससे सभी प्रकार के पापों का विनाश होता है ऐसे पुण्य वृतान्त को सुन, हे सुन्दरी, जब विश्व रूप की ब्रह्म हत्या से मुक्त होकर इन्द्र पुनः स्वर्ग में आया तो सब देवों को अत्यंत आनंद हुआ, इन्द्र अपनी पुरी में पूरे सौ वर्ष के बाद आये थे, उनके सत्कारार्थ विश्वकर्मा जी ने अमरावती नामक पुरी का निर्माण किया था, जो कि नौ-नौ प्रकार की मणियों और रत्नों से सुसज्जित थी, इस अत्यंत सुंदर नगरी को देखकर इन्द्र अति प्रसन्न हुए, उन्होंने विश्वकर्मा जी का आदर सत्कार किया, उनकी पूजा की, अराधना की एवं उनकी स्तुति की, इन्द्र ने कहा, हे विश्वकर्मा! मुझे आशीर्वाद दो कि मैं इस पुरी में वास कर सकूं।
श्री विराट विश्वकर्मा यंत्रम

अग्रोहा विकास ट्रस्ट द्वारा पर्यटन सम्मेलन का आयोजन

सामाजिक संस्था अग्रोहा विकास ट्रस्ट द्वारा एस्सेल वल्र्ड बोरीवली, गोराई मे सदस्य परिवारों के लिए एक सम्मेलन व पर्यटन का आयोजन किया गया।
चर्चगेट से भायंदर, मुंबई बी. टी. से ठाणे और वाशी से खारघर तक के ९५० सदस्य परिवारों ने इसमें भाग लिया। केन्द्रीय मंत्री आनंद प्रकाश गुप्ता, मधु गुप्ता, युवा अध्यक्ष अंकुर गोयल, मंत्री पुनीत अग्रवाल, क्षेत्रीय अध्यक्ष दिनेश अग्रवाल, मंत्री प्रेमलता अग्रवाल, स्थानीय अध्यक्ष सचिन ओमप्रकाश अग्रवाल, अलकेश अग्रवाल, मंत्री अनिल मित्तल, निर्भय गर्ग, कोषाध्यक्ष प्रवीण लालचंद अग्रवाल, मोहित अग्रवाल खारघर आदि ने विशेष सहयोग दिया, सभी ने एस्सेल वल्र्ड के विभिन्न झूलों का उपयोग किया, जो लोग झूले में नहीं बैठे वो भी आपसी मेल मिलाप का पूरा फायदा ले रहे थे।
-आनंद प्रकाश गुप्ता
११ वां ग्लोरी अवॉर्ड समारोह १७ जनवरी को संपन्न

जलोटा वैलफेयर फ़ाउंडेशन का ११ वां ग्लोरी अवॉर्ड समारोह गुरूवार १७ जनवरी की शाम ७ बजे मुम्बई के नेहरू सेंटर में संपन्न हुआ। भजन सम्राट पद्मश्री पुरुषोत्तम दास जलोटा संगीत सेवा पुरस्कार प्रख्यात शास्त्रीय गायक पद्मभूषण पंडित राजन-साजन मिश्र को, भजन महर्षि हरिओम शरण भक्ति संगीत पुरस्कार प्रसिद्ध भजन गायक शर्मा बंधु को, पद्मश्री डा. रवींद्र जैन बहुमुखी प्रतिभा पुरस्कार लोकप्रिय पाश्र्वगायक पद्मभूषण श्री उदित नारायण को और श्रीमती मेधा जलोटा उदयोन्मुखी नृत्यांगना पुरस्कार सुश्री प्रतीक्षा काशी को प्रदान किया गया। हिंदूजा फाउंडेशन, दिलीप पीरामल, कमलेश सोनावाला, राजेश कापड़िया, अर्पण फाउंडेशन, एफ.इ. आई कार्गो लिमिटेड, वासु श्रॉफ, रानी पोदार, रीना मेहता और रेखा मोहता द्वारा प्रायोजित भजन सम्राट पद्मश्री डा. अनूप जलोटा और अनिल जलोटा द्वारा आयोजित वार्षिक पुरस्कार समारोह में वरिष्ठ फोटोग्राफर और पत्रकार सुरेश जेठवा को सम्मानित किया गया। स्वयं अनूप जलोटा के अतिरिक्त गुरुकुल जलोटा के शिष्यगण संगीता पात्रा, कुमार सत्यम एवं एल. नितेश, अमित भारती, संजना ठाकुर और नेहा रिज़वी ने भक्ति गीत प्रस्तुत किये, तथास्तु इवेंट कंपनी के प्रमुख भरत ओझा की देखरेख में आयोजित समारोह में वादक कलाकार देवेंद्र भारती, सुबूर खान, करण नागपाल, मोहम्मद राशिद खां, रत्नेश मिश्र, ज़ूबेर वारसी और देवेन पंड्या ने गायकों का साथ दिया, कार्यक्रम का मंच संचालन किशन शर्मा ने किया।