सिद्ध संत श्री स्वरूपनाथ जी को २०० गांवों ढाणीयों के लोग पुजते है कुल देवता के रूप में
by admin · Published · Updated



सिद्ध संत श्री स्वरूपनाथ जी को २०० गांवों ढाणीयों के लोग पुजते है कुल देवता के रूप में (Siddha Saint Shri Swaroopnath ji The people of 200 villages of Dhanis are worshiped as the total deity)
मण्ढी वाले बाबा के नाम से विख्यात दो किलोमीटर पहाड़ी पर स्थित बाबा का मंदिर सिंघाना-अरावली पर्वत श्रृंखला
की गुफाओं के उत्तरी छोर में स्थित बनवास के सघन वन के पास ही लोह अयस्क से भरपुर पहाडी की खोह में
‘सिंघाना’ शहर बसा हुआ है, इस कस्बे के नामकरण के बारे में लोग बताते है कि सिंह मारने वाले योद्धाओं के नाम से
ही सिंहमार से सिंघाना अपभ्रंश नाम प्रचलन में आया है। इतिहास में यहां के वनों में जंगली शेर पाये जाने की पुष्टि
मिलती है। ‘सिंघाना’ के कस्बे के प्रवासियों में ‘सिंघानियां’ गोत्र के व्यापारियों ने भारत में अपनी अनुठी पहचान और
प्रसिद्धि प्राप्त की है। लोहकालीन युग में लोह अयस्क को गलाने व लोह धातु की छड़े बनाने के कारखाने थे, इसी
अयस्क में पाये जाने वाले अन्य तत्व के रूप में तांबे के अंश मिलने से ही विशाल तांबे के भण्डार मिलने के संकेत मिले
हैं इसी कारण खेतड़ी नगर में एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा ताम्र उत्पादन ईकाई की स्थापना हुई, जो आज
विश्वभर में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। इतिहास के जानकारों के अनुसार ‘सिंघाना’ कस्बा
कई बार आबाद और कई बार बर्बाद हुआ। यह के थी सिंघाना की पुरानी कहानी…
अब हम सिंघाना व आसपास के लगते २०० गांवों, ढाणीयों के कुलदेवता बाबा स्वरूपनाथ के बारे में बताने जा रहे हैं
जहां पर समाधी पर धौक लगाने से ही बच्चों व बड़ों की बिमारीयां ही दूर नहीं होती, बल्कि दरिद्रता व आर्थिक तंगी से
भी छुटकारा मिलता है। ‘सिंघाना’ में मण्ढी वाले बाबा के नाम से विख्यात व कुलदेवता सिद्ध संत श्री स्वरूपनाथ
महाराज को पुजने के पीछे एक कहानी प्रचलित है:
‘सिंघाना’ के इतिहासकार बताते हैं कि ६०० वर्ष पुर्व सिद्ध महात्मा पहाड़ पर तपस्या किया करते थे, एक बार उनके
शिष्यों ने बाबा को चमत्कार दिखाने के लिए कहा तो बाबा ने मना कर दिया, लेकिन शिष्यों के बार- बार आग्रह करने
पर बाबा ने चमत्कार दिखाने के लिए हॉ कर दी, साथ ही उन्होंने यह भी हिदायद दी कि मैं अपना रूप बदल कर
दिखाउंगा। मैं ज्यों ही रूप बदलूं उसी समय मेरे शरीर पर चिमटा लगा देना, जिससे मैं दुबारा उसी रूप में आ जाऊंगा,
लेकिन जब बाबा ने रूप बदल कर शेर का रूप लिया तो उनके शिष्य वहां से डर कर भाग गये। उसी दौरान एक महिला
जो पहाड़ पर बकरीयां चरा रही थी उसने भी यह बात सुनी, तो उस महिला ने ही शेर के शरीर पर चिमटा लगाया, तब
बाबा असली रूप में आ गये। उसने महिला से पुछा कि कहीं पर किसी का नुकसान तो नहीं हुआ, जब बाबा ने पहाड़ पर
घुमकर देखा तो शेर की दहाड़ से एक गाय की जान चली गई थी। बाबा को गौ हत्या का इतना ज्यादा पश्चाताप हुआ
कि उन्होंने उसी समय और उसी जगह जिन्दा समाधी ले ली, उसी समय से बाबा को ‘सिंघाना’ के कुल देवता के रूप में
पुजते आ रहे हैं। समाधी लेने के बाद यह कस्बा हमेशा उतरोत्तर प्रगति पर उन्नतशील रहा, मंदिर का निर्माण पहाड़ी
पर किया गया था।
नाग पंचमी पर भरता है विशाल मेला:
श्रावण मास की कृष्ण पंचमी को बाबा स्वरूपनाथ के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन पहाड़ी
(मण्ढ़ी) पर विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें आसपास के २०० गांवों व ढाणियों के लाखों लोग बाबा की समाधी पर धोक लगाते हैं। नागपंचमी के अवसर पर दो दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम के पहले दिन पहाड़ी पर
बाबा का जागरण, भण्डारा होता है। दुसरे दिन पंचमी को महिला व पुरूष अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर सुबह छह
बजे से ही पहाड़ी पर आने शुरू हो जाते हैं। बाबा स्वरूपनाथ के दर्शन करने के लिए दो किलोमीटर की चढाई पार कर
पहाड़ी पर चढना पड़ता है, जिसके लिए दो रास्ते बने हुए है, एक तो वाहनों के लिए सीमेंटेड सड़क बनी हुई है, वहीं
दुसरा कच्चा रास्ता पैदल चलने के लिए बना हुआ है। मेले के दिन इतनी ज्यादा भीड़ आती है कि सड़क वाले रास्ते को
वाहनों के लिए बंद कर, पैदल श्रृद्धालुओं के लिए उपलब्ध करवा दिया जाता है। मेले में व्यवस्था बनाने के लिए
प्रशासन व पुलिस के साथ बाबा स्वरूपनाथ विकास समिति बनाई गयी है जो दो दिन तक व्यवस्थाएं बनाए रखती हैं।
दु:ख हरने वाला बाबा स्वरूपनाथ महाराज
बाबा के दर पर पहुंचने वाले श्रृद्धालुओं का कहना है कि बाबा की शरण में आने से दुखों से छुटकारा मिलता है और
मन को शांति मिलती है। दूर दराज से आने वाले श्रद्धालु बाबा के दरबार में मन्नौती मांगते हैं जो बाबा पूरी करते हैं।
पहाड़ की चोटी पर करीब दो किमी. की खड़ी चढ़ाई पर बनी बाबा की समाधी पर पहुंचकर महिलाएं अपने बच्चों के
स्वास्थ्य की कामना करती है व बाबा उनकी मनोकामना पुरी करते हैं। कस्बे के ग्रामीण बताते हैं कि मण्ढी पर बने
तालाब के पानी से चर्मरोग व असाध्य बिमारियों से छुटकारा मिलता है। मण्ढी पर आने वाला हर श्रद्धालु तालाब के
पानी से अपनी आंखें धोते हैं व शरीर पर पानी के छिंटे लगाते हैं जिससे उनको कोई चर्मरोग नहीं होता। कस्बे के बुजुर्ग
नंदलाल चौधरी के अनुसार स्वरूपनाथ बाबा एक चमत्कारी बाबा है, हर साल नागपंचमी के दिन क्षेत्र में बरसात होना
बाबा का चमत्कार ही है। विदित हो कि हर साल नागपंचमी के अवसर पर मेले के दिन बाबा के चमत्कार से बरसात
होती है।

सिद्ध संत श्री स्वरूपनाथ जी को २०० गांवों ढाणीयों के लोग पुजते है कुल देवता के रूप में (Siddha Saint Shri Swaroopnath ji The people of 200 villages of Dhanis are worshiped as the total deity)