जन-जन की आस्था का केन्द्र है चारभुजानाथ मन्दिर
by admin · Published · Updated
जन-जन की आस्था का केन्द्र है चारभुजानाथ मन्दिर (Charbhujanath temple is the center of faith of the people)
मूण्डवा: प्राचीनतम मन्दिरों में अहम स्थान रखने वाला चारभुजानाथ मन्दिर सदियों पुराना है। करीब सौ साल से तो
यहां दोपहर की सभा चल रही है, जिसमें महिलाएं कीर्तन व ज्ञान चर्चा करती हैं। धार्मिक आस्था का यह प्रमुख केन्द्र
शहर के बीचो-बीच सबसे ऊंचे स्थान पर बना हुआ है। मन्दिर का निर्माण विक्रम संवत् १७२७ में हुआ। संवत् १८८१ में
मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया गया। यह मन्दिर पत्थर पर घड़ाई की पुरानी कला को आज भी संजोए हुए है। मन्दिर
के भीतरी भाग में कांच की नक्काशी करवाई गई है। मन्दिर में मुख्य प्रतिमा चारभुजानाथ की है, साथ ही राधा-कृष्ण
की प्रतिमा भी उत्तरमुखी प्रतिष्ठित है। मन्दिर परिसर में ही शिव परिवार, गणपति की प्रतिमा भी स्थापित है।
मुखीदास हनुमान की प्रतिमा भी सदियों पुरानी है। अधिकांश परिवारों द्वारा शादी के समय दूल्हे की निकासी इसी
मन्दिर से होती है। चारभुजानाथ मन्दिर के पास ही सब्जी मंडी तथा मुख्य बाजार है। मन्दिर में मंगल आरती सुबह
६.३० बजे, संध्या आरती शाम ७.३० बजे (दोनों समय सूर्योदय तथा सूर्यास्त के साथ) होती है। शयन आरती रात पौने
नौ बजे होती है। प्रातःकाल रामचरित मानस का पाठ भी होता है। यह पाठ संत बलरामदास महाराज के समय
आश्विन नवरात्रा के प्रथम दिन विक्रम संवत २०२९ से प्रारम्भ हुआ, जो निरन्तर जारी है। शिव मन्दिर का निर्माण
विक्रम संवत १९३५ में करवाया गया। दोपहर की सभा सेठ रामनाथ जाजू ने विक्रम संवत १९७८ को बैसाख सुदी
तृतीया को प्रारम्भ करवाई जो आज भी निरन्तर चल रही है। रोजाना शाम को मन्दिर में भजन मंडली भजनों की
प्रस्तुतियां देती है। शाम का कीर्तन सेठ आसाराम बंग ने प्रारम्भ करवाया था। मन्दिर का प्रबंधन माहेश्वरी पंचायत
संभाल रही है। हनुमान जयंती के अवसर पर मन्दिर के समीप चारभुजा चौक में भव्य जागरण का आयोजन किया
जाता है। तीन दशक से अधिक समय से होने वाले इस आयोजन में ‘मूण्डवा’ सहित आस-पास के गांवों के लोग भी
बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।
जन-जन की आस्था का केन्द्र है चारभुजानाथ मन्दिर (Charbhujanath temple is the center of faith of the people)