डायरिया : बचाव आवश्यक है

डायरिया

यूं तो इस रोग की चपेट में अधिकांशत: बच्चे ही आते हैं परन्तु बड़े भी इस रोग से कभी-कभी ग्रसित हो सकते हैं। जितना घातक यह बच्चों के लिए होता है, उतना बड़ों के लिये नहीं होता क्योंकि इस रोग के होने पर बच्चों के शरीर से भी उतना ही पानी निकल जाता है, जितना एक वयस्क आदमी के शरीर से निकलता है।डायरिया की बीमारी में आमतौर पर ७० कि.ग्राम वजन वाले एक वयस्क आदमी के शरीर से एक लीटर तक पानी निकल जाता है जबकि सात कि. ग्राम वजन वाले बच्चे के शरीर से भी एक लीटर ही पानी निकलता है, इसी कारण बड़ों की अपेक्षा यह बच्चों के लिए घातक माना जाता है। आमतौर पर बच्चे के जन्म से पांच वर्ष तक की आयु के बीच दस से बारह बार दस्त का रोग हो सकता है। पांच से सात साल की उम्र में यह तीन से पांच बार तक हो सकता है। इस रोग से शरीर में स्थित पानी तेजी से कम होने लग जाता है। यह बीमारी संक्रामक भी होती है। इतनी घातक है कि एक से दूसरे में तेजी से पैâलती है। अनेक ऐसी छोटी-छोटी बातें होती हैं जिन पर ध्यान न देने से डायरिया का संक्रमण हो जाता है। इस रोग का प्रमुख कारण है ‘गंदगी‘। घर के आसपास की गंदगी, शौचालय खुले रहने से, वायु तथा जल के प्रदूषित हो जाने से इसके रोगाणु पनपने लगते हैं। मक्खियों के माध्यम से भी यह रोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचता है।डायरिया के संक्रमण होते ही रोगी में प्रमुख रूप से निम्नांकित लक्षण प्रकट होने लगते हैं। रोगी को कमजोरी एवं प्यास लगने लगती है तथा निरन्तर जीभ सूखने लगती है। उसे उल्टी व पेटदर्द भी होना शुरू हो जाता है। पेट में मरोड़ उठने लगते हैं, बेहोशी के झटके आने लगते हैं और रोगी असहाय-सा महसूस करने लगता है। इस रोग का प्रारंभ सबसे पहले दस्तों से ही होता है। डायरिया में चावल के मांड के समान दस्त होता है और साथ में उल्टियां भी हो सकती हैं। उल्टी और दस्त के कारणों से ही शरीर का पानी बाहर निकलने लगता है।

डायरिया से बचाव :- घर के अंदर तथा आसपास सफाई रखें, क्योंकि मक्खी-मच्छर गन्दे स्थानों पर ही पनपते हैं। शारीरिक स्वच्छता से डायरिया के रोग को होने से रोका जा सकता है। नाखून न बढ़ने दें, साथ ही खान-पान पर विशेष रूप से ध्यान रखें।भोजन आदि खाद्य पदार्थों को हमेशा ढककर ही रखें। ऐसा करने से उस पर मक्खी, मच्छर नहीं बैठ पायेंगे, साथ ही सड़ा-गला, बासी खाना न खाएं, क्योंकि इसमें विषाणु उत्पन्न हो जाते हैं जो रोग को फैला देते हैं। शौचालय जाने के बाद, खाना बनाने से पहले अपने हाथों को साबुन से भली-भांति साफ कर लें। बाहर जाते समय साबुन या पेपर सोप अपने पास अवश्य रखें। पीने का पानी हमेशा ढंककर ही रखें। अगर संभव हो तो पीने के पानी को उबालकर किसी बर्तन में ढंक कर रख लें। हमेशा साफ पानी ही पिएं दूषित पानी कदापि इस्तेमाल न करें। बच्चों को घर के बाहर खुली नालियों पर कदापि शौच न करवायें। इससे रोगाणू का प्रसार बहुत तेज गति से होता है। इन बातों का ध्यान रखकर डायरिया से बचा जा सकता है।दस्त शुरू होते ही चिकित्सक के पास अविलंब ले जायें। चिकित्सक के समीप जाने से पूर्व निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखिए। बच्चा अगर स्तनपान कर रहा हो तो उसे स्तनपान कराते रहना चाहिए। रोगी का पेट खाली न रखें। उसे सामान्य भोजन देते रहना चाहिए। रोगी के शरीर में पानी की कमी न होने पाये, इसके लिए उसे जीवन रक्षक घोल, शर्बत, लस्सी, शिकंजी , हल्की चाय, नारियल का पानी या चावल का मांड आदि पेय पदार्थ देते रहना चाहिए। रोगी को उल्टी आये, फिर भी उसे थोड़ी-थोड़ी देर में तरल पदार्थ देते रहना चाहिए। पानी भी भरपूर पिलाते रहना चाहिए। इससे रोगी के शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) नहीं होने पाता है। रोग की विकार स्थिति में बच्चे को अस्पताल में भर्ती करवाना ही उचित है। डायरिया के होने न देने के लिए उससे बचाव के उपायों को अपनाते रहना चाहिए। उपचार से अच्छा है बचाव। ‘मेरा राजस्थान’ के प्रबुद्ध पाठक सतर्क रहकर इस बीमारी से अपने परिवार को बचाएं।

श्री माहेश्वरी चेरिटेबल ट्रस्ट की सन् १९७३ में स्थापना की गई थी

ट्रस्ट का संचालन निर्वाचित ट्रस्ट बोर्ड के सदस्यों द्वारा जनहित सेवार्थ कार्य किए जाते हैं। स्वास्थ्य शिविर व प्राकृतिक विपदाओं के अवसर पर राहत कोष में समय-समय पर अनुदान किया जाता है साथ ही ट्रस्ट की निम्न योजनाएँ उपलब्ध है। आर्थिक रूप से कमजोर बंधुओं को सुकन्या योजना के तहत बेटी के विवाह हेतु आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराया जाता है। जरूरतमंद अल्पआय वाले बंधुओं को फूसाराम चम्पालाल मूँधड़ा माहेश्वरी भवन शादी-विवाह हेतु नि:शुल्क/रियायती दर पर उपलब्ध कराया जाता है। आर्थिक रूप से कमजोर बुजुर्ग, विधवा, तलाकशुदा एवं विकलांग, लोगों को मासिक आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।अल्प आय वाले बंधुओं को गंभीर बीमारी या शल्य चिकित्सा के लिए चिकित्सा सहयोग में मदद की जाती है।स्कूलों या कॉलेज के जरूरतमंद विद्यार्थियों को फीस की सहायता प्रदान की जाती है।जरूरतमंद विद्यार्थियों को नि:शुल्क किताबें उपलब्ध कराई जाती है।समाज के परिवारों के लिए १ लाख रू. तक का नि:शुल्क मेडिक्लेम बीमा किया जाता है।१० अस्पतालों व जाँच केन्द्रों में ट्रस्ट के माध्यम से जाने पर उनके बिल का ३० प्रतिशत खर्च ट्रस्ट वहन करता है।फूसाराम चम्पालाल मूँधड़ा माहेश्वरी भवन के नवीनीकरण का काम भी समय-समय पर होता रहता है।

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