दधीचि तीर्थ
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ऋषिश्रेष्ठ त्यागमूर्ति महर्षि दधीचि की तपोभूमि देहदान स्थल एवम् महामुनि पिप्लाद की जन्मभूमि ‘‘मिश्रीत’’ के सर्वांगीण विकास हेतु सनातन धर्म संसद नैमिषारण्य की पावन भूमि पर अष्टोत्तर शत श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव का आयोजन मिश्रीत श्रीमद् भागवत कथा आयोजन समिति द्वारा १२ सितम्बर से १८ सितम्बर २०१८ हनुमानगढ़ी नैमिषारण्य (उत्तर प्रदेश) में सानन्द सम्पन्न हुआ।
राष्ट्रसंत परमपूज्य विद्यावाचस्पति आचार्य स्वामी श्री गोविन्द देव गिरीजी महाराज ने अपनी मधुर वाणी में ज्ञान, भक्ति एवम् वैराग्य स्वरूप त्रिवेणी में श्रीमद् भागवत कथा का रसपान हजारों श्रद्धालु भक्तों को करवाया। भारत के विभिन्न प्रान्तों से पधारे श्रद्धालु भक्तजनों ने भगवान की पावन कथा का स्वामीजी के मुखारविन्द से मिषृत कथामृत का श्रवण कर अपने एवम् अपने पितृजनों के जीवन को कृतार्थ किया। श्रीमद् भागवत कथा के यजमान परिवारजन सुदुर क्षेत्र शिलाँग, नागालैण्ड, आसाम, सिक्किम जोधपुर, जैतारण, बैंगलोर, हैदराबाद, कोयम्बटूर, चैन्नई, अहमदाबाद, वड़ोदरा, मुंबई, पूना, कोलकाता, सिलीगुड़ी आदि से पधारे, दिल्ली निवासी सुभाष शर्मा (सूंटवाल) कथा के मुख्य यजमान थे। मिश्रीत श्रीमद् भागवत कथा आयोजन समिति ने सुंदर आवासीय, खानपान भोजन, पूजा-अर्चना की सभी दाधीच बन्धुओं ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। १०८ यजमानों की प्रतिदिन विप्रजनों द्वारा वैदिक रीति से पूजा अर्चना की सुन्दर व्यवस्था की गई थी। मिश्रित श्रीमद् भागवत कथा आयोजन समिति के अध्यक्ष शंकरलाल शर्मा के नेतृत्व में पूरा कार्यक्रम सानंद सम्पन्न हुआ। प्रथम दिवस कथा स्थल हनुमान गढ़ी से चक्रतीर्थ तक विशाल कलश यात्रा निकली। चक्रतीर्थ पर कलश पूजन के बाद कथा स्थल में कलश स्थापन, संकल्प भागवत पूजन व्यास पीठ पूजन हुआ। द्वितीय सत्र में श्रीमद् भागवत कथा के साथ रात्रि में पं. राहुल (मिश्रित) ने महर्षि दधीचि कथा में इस तीर्थ की महत्ता दधीचि की ८४ यात्रा एवं उनसे जुड़ी हुई अनूठी जानकारी दी। द्वितीय दिवस १३ सितम्बर को प्रात: ढोल ढमाके के साथ गणेश स्थापना हुई। दिनभर की कथा के बाद रात्रि में जोधपुर के रामकिशोर दाधीच एवं साथियों ने अपनी भजनांजली और सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। ऋषि पंचमी तृतीय दिवस के प्रथम सत्र उपरांत दोपहर में सप्तऋषि पूजन सायं कथा भगवान नृसिंह का प्राकट्य हुआ। भक्तगणों ने पहली बार यह अद्भुत दुश्य देखा। भगवान नृसिंह का स्वरूप इन्दौर के डॉ. राजेन्द्र दाधीच ने धारण किया था, इन्हीं
नैमिषारण्य में भागवत कथा सम्पन्न
के द्वारा चिकित्सा सेवा दी गई, कई बुजुर्ग श्रद्धालुओं के स्वास्थ की जांच की गई। रीना शर्मा शोभा व्यास, सजन बहेड के सहयोग से भजन तम्बोला कार्यक्रम आयोजित किया गया। चतुर्थ दिवस वामन अवतार के साथ दोपहर में सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन किया गया जिसमें १०० जोड़ों ने भाग लिया। सायंकथा में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया जिसमें नंद स्वरूप में शंकरलाल शर्मा, यशोदा रूप में संतोष शर्मा मुकेश शर्मा वसुदेवजी बनकर कान्हा को लेकर आए, बधाई बांटी गयी। रात्री कार्यक्रम में सुन्दरकाण्ड की संगीतमय प्रस्तुति श्री सतीश व्यास (बेलापुर) एवं साथियों द्वारा दी गई। दाधीच सोश्यल ग्रुप द्वारा ६ वर्ष पूर्व आरम्भ किये गये दधीचि तीर्थ ‘मिश्रित’ जनजागरण अभियान में इस बार स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया, इस वर्ष कथा आयोजन से देश के लगभग सभी दाधीच बंधुओं को इस स्थान की जानकारी मिली, हजारों बंधुओं ने इस आयोजन में अपनी सहभागिता दी। परम पूज्य गोविन्ददेवगिरिजी के मुखारबिंद से बहने वाली इस सप्त दिवसीय ज्ञान गंगा से न केवल वहाँ पहुंचे बंधु अपितु घर बैठे बंधुओं ने सत्संग तथा अक्षय भक्ति चेनल के माध्यम से पुण्य लाभ लिया समापन हुआ, द्वारकाधीश स्वरूप में श्री हरिनारायण व्यास तथा सुदामा के रूप में अशोक शर्मा इन्दौर का मिलन भाव विभोर कर गया। कथा समापन के बाद मुख्य यजमान द्वारा दशांश हवन सम्पन्न हुआ। कथा के दौरान भोजन आदि व्यवस्था में ओमप्रकाश बहड़, इन्दौर तथा अमित दाधीच सीतापुर ने सराहनीय कार्य किया। पूजन व्यवस्था की कमान सतीश दाधीच