देश की विविधता

देश की विभिन्न संस्कृतियों

आजादी के ७० वर्ष बाद में भी हमारे देश में हिंदी को राष्ट्रभाषा का द़र्जा नहीं दिया गया, हिंदी को राज्य की भाषा माना जा रहा है, राष्ट्रभाषा के सम्मान से ‘हिंदी’ अभी तक वंचित है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि देश के अधिकतर नागरिक हिंदी भाषी लोग, उनको अभी तक इस बात का पता ही नहीं है कि ‘हिंदी’ राष्ट्रभाषा के रूप में मान्य नहीं है, हमारे देश में अलग-अलग राज्यों में विभिन्न क्षेत्रीय भाषा प्रचलित में है, लेकिन पूरे देश को एकीकरण करने के लिए एक भाषा को हम प्राथमिकता दे सकते हैं वह है ‘हिंदी’। हिंदी देश के लगभग सभी राज्यों में बोली जाती है, समझी जाती है, अतः इस समय देश के सामने ‘हिंदी’ के अलावा किसी भी अन्य भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया जा सकता, देश के सरकारी कामकाज में हिंदी और अंग्रेजी इन दोनों का प्रचलन है, लेकिन हम चाहते हैं कि हमारे देश में ‘हिंदी’ भाषा को प्रधानता मिले, यह सिर्फ भाषा का मुद्दा नहीं है। वरन हमारी संस्कृति एवं मान्यताओं के एकीकरण का प्रश्न भी है। सारे देश में जब एक राष्ट्रभाषा के रूप में ‘हिंदी’ प्रचलित की जाएगी, तो हम सभी विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए भी, ‘हिंदी’ भाषा का प्रयोग करने से देश के एकीकरण में निश्चित ही सहायता मिलेगी, हमें क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान बरकरार रखना है, उनकी मान्यताओं को प्रदान करते हुए, राष्ट्रभाषा के रूप में यदि हम हिंदी को प्रचारित-प्रसारित करते हैं, ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का सम्मान देते हैं, तो निश्चय ही देश के लिए यह एक उपलब्धि होगी। आज हमारे देश में विभिन्न प्रकार के, विभिन्न जातियों के, विभिन्न संस्कृति के, विभिन्न धार्मिक भावनाओं के लोग बसते हैं, इन सभी लोगों को एकसूत्र में पिरोने के लिए हम किसी एक भाषा का प्रयोग कर सकते हैं जो हिंदी है, हमें हिंदी को उसका सम्मान दिलाने के लिए सर्वप्रथम हमारी बोलचाल की भाषा, पत्र व्यवहार की भाषा, सरकारी कामकाज की भाषा में ‘हिंदी’ का उपयोग करे तो निश्चय ही ‘हिंदी’ को उसका खोया हुआ सम्मान पुनः प्राप्त होगा। दोस्तों! हिंदी हमारी भाषा है यदि हम उसको सम्मान नहीं देंगे, तो दूसरे देश के लोग कैसे उसको आदर की दृष्टि से देखेंगे, अतः ‘हिंदी’ का प्रचलन बढ़ाने के लिए, इसका प्रचार करने के लिए सर्वप्रथम हमें अपने दिल में ‘हिंदी’ को योग्य स्थान देना होगा, तब विश्व के अन्य भाषी लोग भी ‘हिंदी’ के प्रति आदर का भाव रख सकेंगे। अंग्रेजों की २०० वर्ष की गुलामी ने हमें अंग्रेजी की प्रति इतना आकर्षित कर दिया है कि हम हर अपना काम अंग्रेजी में करना चाहते हैं और गौरवान्वित महसूस करते हैं। विश्व के कई विकासशील देशों में मैंने देखा है कि उन देशों में उनकी अपनी भाषा को ही महत्व दिया जाता है, उदाहरण के लिए जर्मनी में अंग्रेजी को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता, उनकी अपनी मातृभाषा को ही प्रधानता दी जाती है, इसी तरह हमें भी हमारे देश में सिर्फ ‘हिंदी’ को ही प्रधानता देना चाहिए ताकि दूसरी भाषा जैसे अंग्रेजी, ‘हिंदी’ के ऊपर हावी ना हो सके। हम लोग अपने आपको १४ सितंबर को सिर्फ हिंदी दिवस मनाने तक सीमित ना रखें, हिंदी प्रचार एवं प्रसार किस तरह आगे हो सकता है, इसके बारे में कार्य करें नहीं तो ऐसा देखने में आया है कि सभी सरकारी संस्थान, बैंक, कारपोरेशन सितंबर महीने में ‘हिंदी दिवस’ मना कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेती है, हमारे दिन-प्रतिदिन के कार्यों में यदि हम ‘हिंदी’ का उपयोग करते हैं, तो निसंदेह ही सभी लोगों तक यह समाचार पहुंच जाएगा कि ‘हिंदी’ का भारत में सर्वोपरि स्थान है। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए मुंबई में ‘मेरा राजस्थान’ मासिक पत्रिका के प्रमुख संपादक श्री बिजय कुमारजी जैन अथक प्रयास कर रहे है, उन्होंने सरकारी स्तर पर पत्र व्यवहार करके एवं विभिन्न मंचों पर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अपनी आवाज उठाई है। उन्होंने हाल ही में हिंदी राष्ट्रभाषा बनाने के लिए भारतीय भाषा अपनाओ अभियान ‘हिंदी को दिलाओ राष्ट्रभाषा का सम्मान, एक देशव्यापी यात्रा का आयोजन किया है, उन्हें जरूर अपने इस कार्य में सफलता मिलेगी एवं सरकार हिंदी को राष्ट्रभाषा का उचित सम्मान प्रदान करेगी, ऐसा हमें पूरा विश्वास है।

प्रतिभावान विद्यार्थियों का सम्मान माहेश्वरी सभा द्वारा दीपावली स्नेह मिलन समारोह का आयोजन

चेन्नई: श्री माहेश्वरी सभा का दीपावली स्नेह मिलन समारोह हाल ही फ्लोर ब्रदर्स चेरिटेबल ट्रस्ट के साथ डीजी वैष्णव कॉलेज परिसर में आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि डीजी वैष्णव कॉलेज के प्राचार्य आर. गणेशन थे। दीप प्रज्वलन के बाद सभाध्यक्ष प्रमोद मालपानी ने स्वागत भाषण में समाज संगठन व विकास पर प्रकाश डाला। समारोह चेयरमैन मोहन दमाणी ने समारोह के बारे में जानकारी दी। समारोह में २०१७-१८ की राज्य बोर्ड परीक्षा में ९४ प्रतिशत एवं केन्द्रीय बोर्ड परीक्षा में ९३ प्रतिशत या इससे अधिक अंक हासिल करने वाले विद्यार्थियों को प्रशस्ति-पत्र एवं चांदी का सिक्का देकर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि ने प्रतिभावान विद्यार्थियों से प्रेरणा लेकर शिक्षा के साथ जीवन के सर्वांगीण विकास पर बल दिया। संजय मूंदडा के नेतृत्व में माहेश्वरी क्लब के सदस्यों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया। समारोह में राजस्थानी एसोसिएशन तमिलनाडु के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश मालपानी, महामंत्री अशोक मूंदडा, उपाध्यक्ष मोहनलाल बजाज व सहमंत्री जगदीश परवाल का शॉल-माला से सम्मान किया गया। साथ जीएसटी पर पुस्तक लेखन के लिए नताशा झंवर एवं ब्लड फाइडर एप्प बनाने पर वरूण द्वारकानी को भी सम्मानित किया। संचालन कृष्णकुमार बाहेती व संतोष बियानी तथा धन्यवाद सभा सचिव कमल किशोर गोयदानी ने ज्ञापित किया, इस मौके पर हरिकिशन झंवर, राधेश्याम फलोड, श्याम दमानी, सत्यनारायण भूतड़ा, जेठमल सारडा, अशोक लखोटिया, धर्मेंद्र राठी, संतोष बिसानी, सूरज रतन दमानी, खेमसिंह गोयदानी व महावीर मरदा आदि भी उपस्थित थे।

राम मंदिर राष्ट्र की आवश्यकता है

राष्ट्रीय संत गोविंददेव गिरी जी महाराज सा. ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण तो बन कर रहेगा, यह तो
राष्ट्र की आवश्यकता है। पुष्कर स्थित ब्रह्मा सावित्री वेद विद्यापीठ में संत व अतिथि निवास के लोकार्पण समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए गिरी जी ने कहा कि भगवान राम का मंदिर बनाना संत समाज के लिए आवश्यक हो गया है। सरकार को चाहिए कि वैधानिक कदम उठा कर मंदिर निर्माण में आ रही अड़चनों को जल्द दूर करें, इससे पूर्व राष्ट्रीय संत गोविंददेव गिरी महाराज ने ब्रह्मा सावित्री वेद विद्यापीठ में करीब ७ करोड़ की लागत से नवनिर्मित संत, आचार्य एवं अतिथि निवास भवनों का विधिवत लोकार्पण किया, इस मौके पर आयोजित समारोह में उन्होंने तीनों भवनों के निर्माण में प्रत्यक्ष एवं अपरोक्ष रूप से सहयोग करने वाले भामाशाहों का सम्मान किया तथा उपस्थित वेद पाठी बालकों व दूर-दराज से आए प्रबुद्ध नागरिकों को आर्शीवचन दिए। महाराज श्री ने कहा कि वेद विद्यापीठ में वर्तमान में १०८ छात्र वेदों को अध्ययन कर रहे हैं तथा निकट भविष्य में छात्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी। छात्रों की संख्या बढ़ने पर आचार्यों की संख्या बढ़ेगी। वेद विद्यापीठ में आने वाले संतों व अतिथियों की सुविधार्थ संत व अतिथि निवास का निर्माण किया गया है, समारोह में ब्रह्मा सावित्री वेद विद्यापीठ के अध्यक्ष आनंद राठी, सचिव संदीप झंवर, उद्योगपति राधाकिशन दमानी, अशोक कालानी, अजीत अग्रवाल, जगदीश कुर्डिया समेत अनेक प्रबुद्ध नागरिक व ट्रस्टी मौजूद थे।

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