श्री माहेश्वरी गवरजा माता महोत्सव समिति

श्री गणगौर महोत्सव

चेन्नई: श्री गणगौर महोत्सव राजस्थानियों का एक बहुत ही पवित्र व प्यारा त्यौहार है, सही मायने में राजस्थान व गणगौर एक दूसरे के पर्याय हैं, इस त्यौहार में बच्चे, बुजुर्ग, लड़कियाँ व महिलाएँ सब समग्र रूप से भाग लेकर आनन्दित होते हैं। राजस्थानी जहाँ-जहाँ पर भी बसे हुए हैं, वहाँ पर गणगौर महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं|इस त्यौहार में बच्चे, बुजुर्ग, लड़कियाँ व महिलाएँ सब समग्र रूप से भाग लेकर आनन्दित होते हैं। राजस्थानी जहाँ-जहाँ पर भी बसे हुए हैं, वहाँ पर गणगौर महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं, तो भला चेन्नई नगर इससे अछूता कैसे रहता!तकरीबन ९० वर्ष पूर्व चैन्नई शहर में माँ गवरा की प्रतिमा, पूजा व खोल भराने की व्यवस्था चैत्र सुदी तीज व चौथ को शुरु हो गई थी, जब बीकानेर से माँ गवरा की प्रतिमा मँगवाई गई थी, यह प्रतिमा आज भी गणगौर उत्सव का आकर्षण है, इसके बाद करीब ६५ वर्ष पूर्व स्व. श्री रामचन्द्रजी चांडक ने ईशरजी की प्रतिमा मँगवाकर इस त्यौहार की शोभा बढ़ाई, तदुपरांत माँ व ईशरजी दोनों की सवारी एक साथ निकलने लगी, उत्सव और व्यवस्थित हो, इस हेतु तत्कालीन समाज के कर्णधारों ने एक समिति का गठन किया। दि. ८.४.१९६७ को श्री गोवर्धनदासजी बागड़ी, श्री छोटुलालजी जोशी, श्री गोकुलचंदजी बागड़ी, श्री बृजरतनजी मोहता, श्री अमरचंदजी बिहाणी, श्री माणकलालजी भट्टड, श्री रतनलालजी दाहिमा व श्री छोगालालजी सोनी की सर्वसम्मति से श्री सनातन धर्म विद्याल में समाज के बंधुओं संग मिलकर ‘‘गवरजा माता महोत्सव समिति’’ का गठन किया गया, तदुपरान्त चैत्र सुदी ३ को प्रथम बार श्री सीता भवन में माँ गवरजा ईश्वरजी की प्रतिमा को पूरे श्रृंगार के साथ सुसज्जित मंडप में विराजमान किया गया, इस कार्य में समाज के बंधुओं ने अपना-अपना सहयोग दिया व भजन संध्या के आयोजन का शुभारंभ हुआ। १९७०- १९७२ में समाज से राशि इक्ट्ठी करके कोषवृद्धि की गई ताकि उत्सव, जुलुस प्रसाद आदि का खर्च सुनियोजित रूप से चल सके। धीरे-धीरे परम्परा अनुसार ‘‘बारहामासा’’ का महोत्सव भी मनाया जाने लगा। सन् १९७७ तक यह उत्सव सीता भवन में मनाया गया, इसी साल ईशरजी व गवरजाजी की एक जोड़ी और प्रतिमाएँ बीकानेर से मँगवाई गई व संगीत समिति का गठन किया गया, साथ ही महिला मंडल द्वारा कार्यक्रम भी होने लगा। सन् १९७८ से ‘‘गवरजा माता महोत्सव’’ का कार्यक्रम श्री पुâसाराम चम्पालाल मूँधड़ा माहेश्वरी भवन के प्रांगण में नियमित रूप से मनाया जाने लगा। सन् १९७८ में आजीवन सदस्य समिति बनाई गई, सन् १९९१ में शोभायात्रा समिति, १९९६ में प्रचार व प्रिंटिंग समिति का गठन किया गया। सन् १९६७ से सन् १९९१ तक यह महोत्सव रजत जयंती तक पहुँच गया। सन् १९९१ में धूमधाम से मने रजत जयंती के शुभ अवसर पर संस्था को ‘‘श्री माहेश्वरी गवरजा माता महोत्सव समिति’’ नाम दिया गया, सन् २००२ में श्रृंगार समिति का गठन किया गया। सन् २००५ विक्रम संवत् २०६२ में पहली बार बारहमासा कार्यक्रम भव्य रूप में माहेश्वरी के बाहर म्युजिक एकादशी में मनाया गया। श्री बृजमोहनलालजी राठी, श्री श्यामसुन्दरजी राठी एवं श्री दाऊलालजी राठी परिवार के सहयोग से यह कार्यक्रम, कलकत्ता के मशहूर गायक श्री विजयजी सोनी की प्रस्तुति के साथ संपन्न हुआ। बारहमासा गणगौर महोत्सव बीकानेर शहर के अलावा चेन्नई में भी बड़े रूप में मनाया जाता है। वर्ष २००५ से लेकर आज तक यह कार्यक्रम भवन के बाहर आडिटोरियम में मनाया जाता रहा है, वर्ष २०१५-२०१६ में समिति का स्वर्ण जयंती वर्ष मनाया गया, दो दिनों का यह भव्यातिभव्य विशेष कार्यक्रम म्युजिक अकादमी में मनाया गया, जिसमें पहले दिन समिति के ५० वर्षों के भजनों का समावेश रहा तथा दूसरे दिन संस्कार चैनल के प्रसिद्ध गायक बीकानेर के सुशील दम्माणी का कार्यक्रम पेश किया गया, इस विशेष कार्यक्रम का पहली बार टी.वी. पर लगभग आधे घंटे के लिए ‘‘दिशा’’ चैनल पर प्रसारण भी किया गया। गणगौर महोत्सव में समाज के भाई-बंधुओं सहित बच्चों व महिलाओं ने भी अपना अथाह सहयोग दिया, इनके सहयोग से कार्यक्रम निरन्तर चलता रहे यही ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका परिवार की मंगल कामना है। जय गवरजा माता।

-गोपाल डागा, अध्यक्ष
-सुशील झंबर, मंत्री

श्री माहेश्वरी सत्संग समिति

चेन्नई: श्री माहेश्वरी सत्संग समिति की गति-विधियों का ब्यौरा देते हुए मैं अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। श्री माहेश्वरी सत्संग समिति का गठन ०१-०९-१९७७ को किया गया, इसी समिति के छोटे-से पौधे का आज विशाल वटवृक्ष का रूप हो गया है। श्री माहेश्वरी सत्संग समिति के मुख्य स्तम्भ महोदय जो अब हमारे बीच नहीं रहे। सत्संग कार्यक्रमों को सुव्यवस्थित बनाने में जिनका पूर्ण सहयोग रहा, जिनकी अविस्मरणीय यादें सदैव हमारे दिलों में चिरकाल तक बसी रहेगी। श्री माहेश्वरी सत्संग समिति आज दक्षिण भारत में सत्संग का सुन्दर भक्ति- भावपूर्ण मंच बन गया है, सत्संग के उत्सवों का ही श्रद्धालु भक्तों को इन्तजार रहता है। श्री माहेश्वरी सत्संग समिति पिछले ४० वर्षों से नये-नये समय-समय पर आयोजन करती आ रही है। उदाहरणत: श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ, श्री रामचरितमानस (रामकथा), भक्ति भजन एवं प्रवचन, राम लीला, तिरूपति तिरूमला, यात्रा श्री रामेश्वर धाम यात्रा, नानीबाई को मायरा, श्री राम एवं भरत चरित्र, श्री यमुना यज्ञ लोटीजी दर्शन, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, श्री नाथ चरित्र, श्रीमद् सुबोधनीजी भागवत, श्री गिरिराज गुणगान महोत्सव, गोवर्धन लीला कथा, श्री शिवपुराण कथा, श्री रामदेवजी शोभायात्रा में सम्मिलित, श्री गिरिराज पर्वत झांकी, श्री महाभारत कथा संदेश, गीता ज्ञान यज्ञ, श्री राम सा पीर कथा इत्यादि, ऐसे प्रोग्राम सुचारू रूप से किए जाते हैं, इनके अलावा भी सत्संग के प्रोग्राम किए जाते हैं। श्री माहेश्वरी सत्संग समिति का उद्देश्य रहा है कि विश्वविख्यात प्रवक्ताओं का आयोजन समय-समय पर कर सभी समाज के भक्तों को उसका लाभ दिल- वायें। जैसे कि उदाहरण रूप:- जगद्गुरू शंकराचार्यजी, संत श्रीराम सुखदासजी, श्री किशोरजी व्यास, श्री लीला रसिकजी महाराज, संत माता श्री निर्मल तीर्थजी, संतमाता श्री बृजदेवीजी, श्री बालव्यासजी, स्वामी सहजानन्दजी महाराज, गोस्वामी श्री मथुरेश्वरजी गोस्वामी, श्री यदुनाथजी, श्री महा मंडलेश्वरजी संतोषी माताजी, पूज्य श्री अलकाश्रीजी, संत श्री मुरलीधरजी महाराज, संत सुश्री वर्षाजी नागर, श्री गोविन्द गिरिजी महाराज के अलावा भी कई कथा वाचकों एवं संतों के द्वारा अलग-अलग सत्संग प्रोग्राम किए गए हैं। श्री माहेश्वरी सभा तथा साथी संस्थाओं, माहेश्वरी महिला मंडल, माहेश्वरी स्पोर्ट्स क्लब, श्री माहेश्वरी क्लब, श्री माहेश्वरी युवा मंडल, श्री माहेश्वरी गवरजा माता आदि सभी संस्थाओं के बंधुओं का तन-मन-धन से सहयोग मिलता है, उन सभी के प्रति श्री माहेश्वरी सत्संग समिति अपना आभार प्रकट करती रहती है। जय महेश!

-श्री जीवनसिंह मोहता-अध्यक्ष
बंशीलाल दलाल-मंत्री
जे. नारायणदास राठी-कोषाध्यक्ष

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