मातृभाषा और संस्कृति

कोलकाता: महानगर का एक हिस्सा पूरी तरह से राजस्थान के रंगों में डूब गया, जब राजस्थान की संस्कृति झलकाने वाले कार्यक्रम ‘सुरंगों राजस्थान’ का आयोजन हुआ। सीकर नागरिक परिषद, कोलकाता एवं सीकर जिला वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा सावन के महीने में ‘सुरंगों राजस्थान’ का द्वितीय संस्करण धूमधाम से संपन्न हुआ। कोलकाता के गोलाघाटा में द डिविनिटी पैवेलियन में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को अपनी मातृभाषा के प्रति जागरुक करना है ताकि आधुनिक दौर में भी सभी अपनी मातृभाषा, संस्कृति और संस्कारों से जुड़े रहें। इस आयोजन में विभिन्न तरह के पारंपरिक रंगारग कार्यक्रम, लोक-नृत्य, संगीत आदि पेश किए गए। इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने बहुत ही उत्साह के साथ भाग लिया। राजस्थानी मेला, मेंहदी, चूड़िया. नेव आर्ट एवं राजस्थानी व्यंजनों की भरमार इस तरह से थी की यहां माहौल ऐसा बन गया कि मानो पूरा राजस्थान चलकर बंगाल में आ गया हो। कार्यक्रम का उद्घाटन रूपा एंड कंपनी के चेयरमैन पद्मश्री प्रह्लाद राय अग्रवाल ने एवं दीप प्रज्वलन भगवती प्रसाद जालान ने किया। उद्घाटन समारोह में विशेष रूप से आमंत्रित विधायक विवेक गुप्त, अध्यक्ष सुरेश कुमार जालान एवं अन्य गणमान्य रुंगटा माइन के नंदलाल रूंगटा, रूपा ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर कुंज बिहारी अग्रवाल, हेरिटेज स्कूल के सीईओ प्रदीप कुमार अग्रवाल, अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष शिवकुमार लोहिया, ट्रस्टी अरविंद वियानी, धर्म चंद जैन, श्री प्रकाश सोमानी, मुरारी लाल खेतान, बनवारी लाल मित्तल इत्यादि शामिल थे। परिषद अध्यक्ष सुरेश कुमार जालान ने स्वागत भाषण दिया, इस मनुहारी कार्यक्रम के बारे में सचिव रवि शंकर सिकरिया ने बताया कि यह दूसरा संस्करण है। गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष इस कार्यक्रम में और अधिक निखार आया है, लोगों में जागरुकता बढ़ी है, उन्होंने आगे कहा कि आजकल के बच्चे कान्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं। बच्चें स्कूल में या अपने मित्रों से जिस भाषा में भी बात करें, परन्तु माता-पिता, परिवार वालों को चाहिए कि घरों में सभी अपनी मातृभाषा में ही बात करें। वहीं अध्यक्ष एमिरेट्स घनश्याम प्रसाद सोभासरिया ने बताया कि गत वर्ष राजस्थान की संस्कृति एवं संस्कार को बढ़ावा देने की परिकल्पना के साथ इस भव्य मनोहारी कार्यक्रम की शुरूआत हुई। कार्यक्रम में राजस्थान के परिधान, गीत, लोक नृत्य, राजस्थान की महिमा बखान पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में निर्णायक गणों के रूप में राजस्थानी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष रतन शाह, मारवाड़ी साहित्यकार बंशीधर शर्मा, गायिका मारुति मोहता, सस्ता सुंदर की निर्देशक आभा मित्तल,मंदाकिनी साड़ीज की मनीषा जोगानी, विप्र फाउंडेशन के महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्षा कविता शर्मा, नृत्यांगना शिल्पी चौधरी और राजस्थान सरकार के सूचना व जनसंपर्क विभाग के सहायक निर्देशक हिंगलाज दान रतनू थे। कार्यक्रम को मुर्त रुप दिया संयोजिकाएं सुनीता लोहिया, राधा सोमानी, रश्मि सराफ और रेणु पोद्दार ने तथा साथ महिला समिती की श्रद्धा सिकरिया, किरण सोढानी, विभा सिकरिया, प्रीति बियानी, रेखा चौधरी, चंचल अग्रवाल, ललिता सारडा, उषा अग्रवाल, टीना सिंघी, कनक सोमानी, सुमन सिकरिया, मंजू अग्रवाल एवं रवि लोहिया, मधु सूदन वियाना ने। प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को विभिन्न पुरस्कारों एवं सम्मानों से पुरस्कृत किया गया जैसे श्रृंगार के लिए राणीं मूमन सम्मान, महिलाओं को गीत और नृत्य के लिए मीराबाई सम्मान, राजस्थान की महिमा बखान के महिलाओं व पुरूषों को चंद्रवरदाई सम्मान व अन्य सभी प्रतिभागियों को भी पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया। पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मी कुमार बियानी, पवन मोदी, विक्की राज सीकरिया, श्रवण जोगानी, संदीप गर्ग, दुर्गापुर आसनसोल से विशेष रूप से पधारे नरेश मांवडिया, उमेश डोकानिया, शंभू अग्रवाल, मदन शर्मा के अलावा दामोदर प्रसाद बिदावतका, विनोद अग्रवाल, अनिल पोद्दार नवनीत सोडाणी, केशव सोमानी, श्रीमोहन चौधरी, कमल प्रसाद चौधरी, काशी प्रसाद धेलिया, प्रदीप चौधरी, रामअवतार अग्रवाल, रतन कुमार सीकरिया, संजय शर्मा, जगदीश सिंघीं, राजकुमार अग्रवाल, राजकुमार सरावगी की भी उपस्थिति रही।
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