सूर्यनारायण काबरा, मलाद, सूर्य से सूर्य तक जाएं

राजस्थान के लक्ष्मणगढ़ के मूल निवासी सत्यनारायण जी ने ०४ जनवरी १९२६ को माता कृष्णादेवी की पवित्र कोख से जन्म लिया और इसी के साथ एक अविश्वसनीय महागाथा की शुरूआत हुई। मात्र १६ वर्ष की किशोरावस्था में मुंबई आए। मुंबई में उनके पिता बंशीधरजी उस समय के कॉटन सेठ गोविंदराम सेक्सरिया के यहां हैड थे। सन १९४७, जब देश में आजादी का बिगुल बजा और सारा देश खुशी और आनंद से झूम उठा, इसी ऐतिहासिक यादगार वर्ष में आप गीता देवी के साथ परिणय सूत्र में बंध गए। आप दोनों के जीवन की ये खुशियां वक्त बीतने के साथ निरंतर बढ़ती गर्इं, साथ ही आपका कुटुंब भी आगे बढ़ता गया। ४ पुत्रियों और २ पुत्रों से भरपुर आपका संस्कारी परिवार लोगों के लिए प्रेरणाध्त बन गया। सन १९५० में आपने प्रवासी राजस्थानियों की अग्रणी संस्था ‘राजस्थानी सम्मेलन’ के संस्थापक सदस्य के रूप में काम करते हुए ‘सर्वोदय बालिका’ विद्यालय (मालाड में हिंदी माध्यम का विध्यालय) के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, यह विद्यालय पिछले लगभग सात दशकों से राजस्थानी सम्मेलन व अन्य समाजसेवी संस्थाओं के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर काम करते हुए बालिकाओं के शैक्षणिक उत्थान व प्रगति की ओर अग्रसर है, इसके बाद तो आपने एक के बाद एक अनेक क्षेत्रों में ऐसे यादगार सामाजिक कार्य किये जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं, राजस्थान के देवालयों एवं राणी सती मंदिर (आप यहां झुंझुनूं-राजस्थान में अमृत महोत्सव में प्रसाद और छप्पन भोग के प्रमुख प्रबंधक थे) श्रीमती मनोरमा देवी सोमानी व स्वामी निवासाचार्य के सानिध्य में चारों धाम व कई तीर्थ स्थलों में भागवत कथाओं में तन मन धन से योगदान दिया।

नाम के अनुरूप ही अपने जीवन को सार्थक करने वाले सत्यनारायण काबरा जी का सम्पूर्ण जीवन आदर्शपूर्ण रहा जो उच्च जीवन आने वाली पिढ़ी के लिए हमेशा प्रेरणा स्त्रोत रहेगा, आप हमेशा से खुली विचारधारा वाले व्यक्ति रहे, जो आपके कार्यों व व्यक्तित्व में साफ झलकता रहा है। लड़कियों की शिक्षा पर हमेशा विशेष जोर दिया, आपकी चारों पुत्रियां भी सर्वोदय बालिका विद्यालय में ही शिक्षा प्राप्त की। आप एक जिंदा दिल इंसान रहे, आपने जीवन के हर पल का आनंद उठाने में कभी संकोच नहीं किया, आप एक बहुत अच्छे गायक, नर्तक और अभिनेता भी रहे, अपनी संस्कृति, कला, त्यौहार, रिति-रिवाज, गीत-संगीत सबमें आपकी गहन रूचि रही व आपने अपने बच्चों को भी इसी के लिए हमेशा प्रेरित किया। आपके सभी बच्चों में उन्हीं संस्कारों का निर्माण हुआ जिस कारण सभी आपके नाम को और रोशन कर रहे हैं। आप राजस्थान समाज में एक प्रसिद्ध समाजसेवी के रूप में जाने जाते हैं। राजस्थान से आये हुए किसी भी व्यक्ति की रोजी-रोटी के किसी के भी सामने बात करने से कतराते नहीं थे, आपने सभी क्षेत्रों में चाहे वह

नाम के अनुरूप ही अपने जीवन को सार्थक करने वाले सत्यनारायण काबरा जी का सम्पूर्ण जीवन आदर्शपूर्ण रहा जो उच्च जीवन आने वाली पिढ़ी के लिए हमेशा प्रेरणा स्त्रोत रहेगा, आप हमेशा से खुली विचारधारा वाले व्यक्ति रहे, जो आपके कार्यों व व्यक्तित्व में साफ झलकता रहा है। लड़कियों की शिक्षा पर हमेशा विशेष जोर दिया, आपकी चारों पुत्रियां भी सर्वोदय बालिका विद्यालय में ही शिक्षा प्राप्त की। आप एक जिंदा दिल इंसान रहे, आपने जीवन के हर पल का आनंद उठाने में कभी संकोच नहीं किया, आप एक बहुत अच्छे गायक, नर्तक और अभिनेता भी रहे, अपनी संस्कृति, कला, त्यौहार, रिति-रिवाज, गीत-संगीत सबमें आपकी गहन रूचि रही व आपने अपने बच्चों को भी इसी के लिए हमेशा प्रेरित किया। आपके सभी बच्चों में उन्हीं संस्कारों का निर्माण हुआ जिस कारण सभी आपके नाम को और रोशन कर रहे हैं। आप राजस्थान समाज में एक प्रसिद्ध समाजसेवी के रूप में जाने जाते हैं। राजस्थान से आये हुए किसी भी व्यक्ति की रोजी-रोटी के किसी के भी सामने बात करने से कतराते नहीं थे, आपने सभी क्षेत्रों में चाहे वह 

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