अगस्त समीक्षा
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( हेलो! मेरा राजस्थान)
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शंकरलाल बडोला
अध्यक्ष, राजनगर जैन मित्र मंडल, मुंबई
राजसमन्द निवासी-मुंबई प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९३२४३७०२५३
मुंबई मेरी कर्मभूमि है, यहां लगभग ३० वर्षों से प्रवासी हूँ, राजस्थान का ‘राजसमन्द’ मेरी जन्मभूमि है जहां मेरा जन्म १९६९ में हुआ व इंटर तक की शिक्षा यहीं सम्पन्न हुई, तत्पश्चात वाणिज्य संकाय से स्नातक की शिक्षा सेठ मथुरादास बिनानी राजकीय
परिवार में धर्मपत्नी ३ पुत्रीयां व १ पुत्र है जो अभी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यहॉ हमारा ज्वेलरी का व्यवसाय है, वर्तमान में राजनगर जैन मित्र मंडल में अध्यक्ष पद पर सेवारत हूँ इसके पूर्व संस्था में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहा व विशेष रूप से सहयोग प्रदान किए। इसके अतिरिक्त तेरापंथ व राजस्थानी समाज की अन्य संस्थाओं में व्यक्तिगत रूप से सेवारत हूँ। राजसमन्द स्थित भिक्षु निलयम की राजमंजिली इमारत में लिफ्ट लगावाने के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान किया है, मेरे भाईयों द्वारा भी समाज के भवन निर्माण में आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाता रहा है। ‘राजसमन्द’ एक शांतिप्रिय शहर के रूप में विख्यात है, यहां के लोग शांतिपूर्ण विचार वाले व सुखी-समृद्ध हैं। यहां तेरापंथ के लगभग ४०० परिवार निवास करते है, प्रत्येक सम्पन्न व सुशिक्षित है, मार्बल व्यवसाय ने यहां के लोगों को समृद्ध बनाया है, यहां स्थित जैन तीर्थ दयालशाह किला, अणुव्रत विश्वभारती साधना शिखर आदि विख्यात हैं, शिक्षा के क्षेत्र में भी ‘राजसमन्द’ में काफी प्रगति हुई है, जब से राजसमन्द जिले के रूप में गठित हुआ है, बहुत परिवर्तन हुआ है, यह जिला दानदाताओं के रूप में जाना जाता है। ‘हिंदी’ अपने आप में इतनी सक्षम है कि इस माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने वाला देश का प्रधानमंत्री बनने की क्षमता रखता है। ‘हिंदी’ से शिक्षा प्राप्त व्यक्ति अपनी संस्कृति व मूल्यों से जुड़ा रहता है साथ ही अपनी मिट्टी से भी जुड़ा रहता है, ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक सम्मान तो अवश्य ही मिलना चाहिए। महाविद्यालय नाथद्वारा से ग्रहण की, शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात रोजगार के उद्देश्य से मुंबई आना हुआ, अब हमारा परिवार मुंबई का निवासी है,
राजनगर जैन मित्र मंडल में संयोजक के रूप में कार्यरत हैं, इसके अतिरिक्त तेरापंथ युवक परिषद में ४ वर्ष मंत्री व १ वर्ष अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे। वर्तमान में इस परिषद में संरक्षक व परामर्शदाता के रूप में कार्यरत हैं। आप जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा में सदस्य व अणुव्रत जीवन विज्ञान अकादमी कांदिवली मुंबई में क्षेत्रिय संयोजक के रूप में कार्यरत हैं। ‘राजसमंद’ राजनगर व कांकरोली संभाग को मिलकर बना, राजसमंद बुद्धिजीवियों का शहर है, यहां के निवासी देश-विदेश में अपने कार्यों, उद्योगों व समाजसेवा के माध्यम से ‘राजसमंद’ के नाम को गौरवान्वित कर रहे हैं, यहां वकीलों की संख्या अधिक है, यहां के मुख्य दर्शनिय स्थल के रूप में देशभर में विख्यात चारभुजा नाथ मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, श्रीनाथजी का मंदिर के साथ-साथ यहां के राजा द्वारा निर्मित राजसमंद झील है जो पूर्ण रूप से कृत्रिम है व पूरे भारत में विख्यात है, यहां का दयाल शाह किला जो जैनों के तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है उसकी भी अपनी विशेषता व स्वंतत्र इतिहास है, जो राजसमंद की विशेषता को बढ़ाती है। यहां के संगमरमर पूरे विश्व में विख्यात हैं क्योंकि यहां बहुत बड़े पैमाने पर संगमरमर की खदाने हैं। ‘राजनगर’ का नाम राजा राजसिंह के नाम पर पड़ा, यहां तेरापंथ धर्मसंघ की दो महत्वपूर्ण इकाई अणुव्रत विश्वभारती व तुलसी साधना शिखर, जो तेरापंथ धर्मसंघ की विशेषता है, यहां के पहाड़ों पर स्थित है। तेरापंथ धर्मसंघ के प्रथम आचार्य भिक्षु को बोधि ज्ञान की प्राप्ति राजसमंद के जिस स्थल पर हुई, उसे भिक्षु बोधिस्थल के रूप में जाना जाता है। तेरापंथ धर्मसंघ के नव निर्मित परिसर भिक्षु निलयम, जो नेशनल हाइवे ८ पर स्थापित है अपने आप में विशेष महत्ता लिए हुए है। शिक्षा की दृष्टि से राजसमंद अग्रणीय है। राजसमंद के प्रत्येक क्षेत्र में विशेषता विराजमान है इसीलिए राजस्थान का ‘राजसमंद’ का एक विशेष स्थल है। प्रत्येक राज्य की मातृभाषा को वहां के राज्यों में प्रमुखता दी जाती है जिससे वहॉ की भाषा उस राज्य में जीवित रह सके, उसी प्रकार राष्ट्र स्तर पर ‘हिंदी’ को विशेष प्रधानता देनी होगी, जिसके लिए ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक अधिकार दिलाना आवश्यक है।
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देवेन्द्र कावडिया
व्यवसायी व समाजसेवी
राजसमंद निवासी-मुंबई प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९३२४४३३८६८
५ जुलाई १९६९ को राजस्थान के राजसमंद जिले में जन्में देवेन्द्र जी एक आभूषण व्यवसायी हैं, आपने प्रारंभिक शिक्षा राजसमंद से व स्थानक की शिक्षा एस.एम.बी. कॉलेज नाथद्वारा से ग्रहण की, शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात १९८९ में आप अपने बड़े भाई के साथ मुंबई आ गए तभी से आप मुंबई के प्रवासी हैं। आप सामाजिक व धार्मिक क्षेत्रों में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
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निरंजन आल्हा
सेवानिवृत्त डी.एस.पी.
बगड़ निवासी-राजसमंद प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९४१४१७३११४
१ अगस्त १९५५ को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के ‘बगड़’ में जन्में निरंजन आल्हा राजसमंद में कार्यरत रहे, आपकी प्रारंभिक शिक्षा बगड़ में, उच्च शिक्षा नवलगढ़ में सम्पन्न हुई। उदयपुर में
आपने १९७४ में कनिष्ठ लिपिक (थ्ण्) के रूप में पदभार ग्रहण किया, १९७५ में आप पुलिस कांस्टेबल बनें। १९८३ में हेड कांस्टेबल बने। नौकरी के साथ आपने नवलगढ के पोद्दार कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। उदयपुर में १९८७ में एएसआई बनें, १९९३ में नौकरी में बढोत्तरी हुई व सबइंस्पेक्टर का पद प्राप्त किया, २००२ में आपके कार्यों के लिए आपको तीन स्टार प्रदान किया गया। २०१३ में जयपुर में आपको डीएसपी का पद भार सौंपा गया। २०१५ में एसीपी जयपुर कमिशनर के रूप में सेवानिवृत्ती प्राप्त की। आपने नौकरी के साथ-साथ सामाजिक सेवाओं में भी सक्रिय भागीदारी निभायी है। राजसमंद जिले में १९९१ से लगाातार १८ वर्षों तक कार्यरत रहे। वर्तमान में आप बगड़ में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत हैं। दहेज प्रकरण में झुंझुनूं जिले में अध्यक्ष पद पर नामांकित किया गया है। राजसमंद के अपने अनुभवों को व्यक्त करते हुए आप कहते हैं कि राजसमंद के लोग बहुत सच्चे व अपने कार्यो के प्रति समर्पित रहने वाले हैं। प्राकृतिक व सांस्कृतिक दृष्टि से भी ‘राजसमंद’ पूर्णत: परिपूर्ण है। मार्बल उत्पादन की वजह से सभी को रोजगार प्राप्त है, यहां का व्यापारिक वर्ग भी व्यवहारिक दृष्टि से बहुत ही अच्छा हैं। ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए जन जागृति लानी होगी व आंदोलन करना होगा, आंदोलन के माध्यम से जनजागृति संभव होगी, तभी ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा।
तक की शिक्षा यहीं से ग्रहण की। मार्बल व ग्रेनाईट के कारोबार से जुड़ा हूँ साथ ही सामाजिक संस्थाओं में भी सक्रिय भागीदारी निभाता हूँ, युवा ब्रह्म शक्ति मेवाड़ में उपाध्यक्ष के रूप में सेवारत हूँ। राजसमंद एक बहुत ही सुंदर सामाजिक संस्थाओं में भी सक्रिय भागीदारी निभाता हूँ, युवा ब्रह्म शक्ति मेवाड़ में उपाध्यक्ष के रूप में सेवारत हूँ। राजसमंद एक बहुत ही सुंदर दर्शनीय व पर्यटन स्थल है, यहां की ‘राजसमंद झील’ राजस्थान की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है, यहां के मार्बल सम्पूर्ण एशिया में प्रसिद्ध हैं। महाराणा प्रताप की जन्मस्थली वुंभलगढ दुर्ग भी राजसमंद जिले के अंतर्गत ही आता है, यहां भारत के प्रसिद्ध कई देवालय भी हैं। चारभुजा नाथ मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, श्रीनाथ मंदिर आदि स्थान प्रसिद्ध हैं, जहां वर्ष भर श्रद्धालुगण दर्शनार्थ पधारते हैं, इसके अतिरिक्त सम्पूर्ण राजसमंद में कई ऐतिहासिक स्थल हैं जहॉ पर्यटन के लिए पर्यटक पूरे विश्व से पधारते हैं। ‘हिंदी’ हमारी राष्ट्रभाषा है इसका अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो, इसे संवैधानिक रूप से राष्ट्रभाषा का अधिकार प्राप्त होना चाहिए, क्योंकि यह प्रत्येक राज्य के लोगों द्वारा अपनायी, बोली व समझी जाती है।
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शांतिलाल तिवारी
उपाध्यक्ष- युवा ब्रह्म शक्ति मेवाड़
राजसमंद, राजस्थान, भारत
भ्रमणध्वनि: ९४६०३६५८६३
राजस्थान का राजसमंद जिला मेरा जन्म स्थान है, मैंने अपनी स्नातक
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योगेश पुरोहित
अध्यक्ष युवा ब्रह्म शक्ति मेवाड़
राजसमंद, राजस्थान, भारत
भ्रमणध्वनि: ९४१३२८६५५०
राजसमदं का पिपरड़ा गांव मेरा जन्म स्थान है, मेरा मूल निवास स्थान नाथद्वारा के खनौर स्थित उनवास गांव है, मेरी स्थातक की शिक्षा ‘राजसमंद’ में ही सम्पन्न हुई। वर्तमान में युवा ब्रह्म शक्ति मेवाड़ संस्था में अध्यक्ष के पद पर कार्यरत हूँ, इस संस्था का निर्माण २०१२ में किया गया था, समाज के कुछ युवाओं ने मिलकर बिखरे हुए समाज को
एकत्रित कर, समाज में पैली कुरितीयों को दूर कर समाज में नई चेतना लाना, शिक्षा व व्यापार, रोजगार क्षेत्र में युवाओं का उत्थान करने के लिए इस संस्था की नींव रखी गयी, संस्था की शुरूवात मुख्य रूप से जिले स्तर पर किया गया था, पर धीरे-धीरे इसे इतने प्रसिद्धी प्राप्त हुई कि आज इस संस्था की पूरे राजस्थान में ४०० शाखाएं हैं, राजस्थान के अलावा गुजरात के अहमदाबाद में भी हमारी शाखा सक्रिय रूप से कार्यरत है, संस्था के माध्यम से खेल प्रतियोगिता व अन्य सामाजिक क्रिया-कलापों का आयोजन किया जाता है, हाल ही में एक रक्तदान शिबिर का आयोजन किया गया था जिसमें इतनी अधिक संख्या में युनिट जमा हुए कि सभी रक्त बैंक के कोटे पूर्ण हो गये, जो रिकार्ड तोड़ था जबकि लगभग ५०० रक्त देने वालों को बिना रक्तदान किये ही जाना पड़ा, इसी तरह अन्यान्य सामाजिक कार्यक्रम संस्था के युवाओं द्वारा किये जाते हैं। ‘राजसमंद’ शांति पूर्ण वातावरण वाला क्षेत्र है, यहां के लोग बड़े कुशल व प्रेम भाव रखने वाले हैं, सबसे बड़ी विशेषता यहां का ‘राजसमंद’ झील है, जो पूरे एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है, यहां स्थित मंदिरों की अधिकता, लोगों के ईश्वर के प्रति आस्था को दर्शाती है, यहां स्थित कुम्हलगढ़ किला विश्व प्रसिद्ध है। पर्यटन की दृष्टि से ‘राजसमंद’ एक उत्तम स्थल है। ‘हिंदी’ को तो राष्ट्रभाषा का सम्मान मिलना ही चाहिए, विश्व में ऐसे कई विकसित देश है जो अपने सभी कार्य अपनी राष्ट्र की भाषा में है, अपनी राष्ट्र की भाषा को ही को प्रधानता दी है, अत: भारत की भी अपनी राष्ट्रभाषा होनी चाहिए, तभी राष्ट्र का सम्पूर्ण विकास संभव है।
मार्बल व्यवसायी हूं और पूरे भारतवर्ष से कारोबारी रिश्तों से जुड़ा हुआ हूं, प्रतिस्पर्धा के समय में अपनी लगन, मेहनत और व्यवसायिक उच्च मानकों के कारण मार्बल व्यवसाय में मैंने स्थायित्व एवं उच्च मुकाम प्राप्त किया है। हम दो भाई एवं दो बहनें है, सभी अपना-अपना सुखमय गृहस्थ जीवन जी रहे हैं, मैं अपनी माताजी एवं बच्चों के साथ मुंबई में ही निवासरत हूं। मुंबई में अति व्यस्त होते हुए भी मेरा ‘राजसमंद’ से अटूट संबंध है। ‘राजसमंद’ मार्बल एवं ग्रेनाइट के लिये पूरे भारतवर्ष में विख्यात होने के साथ ही एक सूंदर पर्यटन स्थल भी है, यहां का मुख्य आकर्षण राजा राजसिंह द्वारा निर्मित कृत्रिम राजसमंद झील भी है। इसी झील पर स्थित नौचौकी अपने कला-शिल्प तथा शिलालेखों के लिए विश्व प्रसिद्ध है जिसके कारण देश-विदेश से सैलानियों का तांता लगा रहता है, इसके साथ ही ‘राजसमंद’ में अनेक दर्शनीय स्थल एवं धार्मिक स्थल भी हैं जहां प्रतिवर्ष हजारों दर्शनार्थी आते हैं, यहां सभी समुदाय के लोग आपसी सौहार्द से मिलजुल कर रहते हैं। राष्ट्रभाषा ‘हिंदी’ मेरे रग-रग में बसी हुई है। हिंदी हमारी सभ्यता, संस्कृति और हिंदुस्तान की आन और शान है, इसे पूरा सम्मान प्राप्त हो इसके लिए हम सभी को सतत प्रयास करने होंगे, ‘मेरा राजस्थान’ के सभी प्रबुद्ध पाठकों प्रति आभारपूर्ण शुभेच्छाएं!
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राजेन्द्र मेहता
व्यवसायी व समाजसेवी
राजसमंद निवासी-मुंबई प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९८२०२९८५१३
राजस्थान का राजसमंद जिला मेरी जन्मस्थली है। व्यवसायिक पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण अल्पशिक्षण प्राप्त कर लगभग २२ वर्ष पूर्व मायानगरी मुंबई को अपनी कर्मस्थली बनाया। मैं मुख्यत:
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शांतिलाल कोठारी
अध्यक्ष-राजसमंद ग्रेनाइट संस्थान
भ्रमणध्वनि: ९४१४१७४६७२
मूलत: राजसमंद मेरी जन्मभूमि व कर्मभूमि दोनों ही है, यहां हमारा ‘कृष्ण ग्रेनाइट’ के नाम से मार्बल का कारोबार है। व्यवसाय के साथ सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़ा हूँ व व्यक्तिगत रूप से भी समाज सेवाओं में सलग्न रहता हूँ,
राजसमंद स्थित राजसमंद ग्रेनाईट संस्थान में अध्यक्ष के पद पर भी कार्यरत हूँ। ५ वर्षों तक ‘राजसमंद पंचायत समिती’ में प्रधान के रूप में कार्यरत रहा हूँ व वर्तमान में राजसमंद के जिला ब्लॉक कमिटी में अध्यक्ष के रूप में सेवारत हूँ। राजसमंद मुख्यत: यहां के झील के कारण प्रसिद्ध है जो राजा राजसिंह द्वारा बनवायी गयी थी, संभवत: एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील कही जा सकती है। पर्यटन की दृष्टि से यह झील, इरिगेशन पार्वâ, नौचौकी की पाल छत्रियां आदि दर्शनिय स्थल हैं और भी कई प्रसिद्ध दर्शनिय स्थल हैं, जिन सभी का अपना इतिहास है। ३० अप्रैल १९९१ को राजसमंद को जिला घोषित किया गया था, इसके पूर्व यह तहसील हेड क्वार्टर था। राजसमंद आज पूरे विश्व में विख्यात है, यहां लगभग पूरे जिले में ३०० मार्बल पैâक्ट्रीयां हैं, ४०-४५ वर्ष पूर्व जे.के. टायरस् पैâक्ट्री की स्थापना हुई थी, यहां कई खनन उद्योग चलते हैं, ये सभी यहां के लोगों के लिए रोजगार के मुख्य साधन हैं, इन सभी के कारण ‘राजसमंद’ की विशेषता और भी बढ जाती है। राजसमंद जिले के अंतर्गत ८ तहसील व ४ विधान सभा क्षेत्र आते हैं, इस तरह हर दृष्टि से ‘राजसमंद’ परिपूर्ण है। राजस्थान में लगभग ९५³ कार्य हिंदी में ही होते हैं, हिंदुस्तान में हिंदी को प्रमुखता मिलनी ही चाहिए, हिंदी सभी राज्यों में बोली व अपनाई जाती है, अत: ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का सम्मान अवश्य प्राप्त होना चाहिए।
होता है। फतेहपुर में हमारी पुश्तैनी हवेली है। व्यक्तिगत रूप से सामाजिक सेवाओं से जुड़ा हूँ। कोलकाता स्थित ‘चावो दादी सेवा ट्रस्ट’ में सदस्य के रूप में जुड़ा हूँ। लगभग तीन पिढ़ीयों से हमारा परिवार कोलकाता का प्रवासी है। मेरा जन्म व सम्पूर्ण शिक्षा कोलकाता में ही सम्पन्न हुई है, यहां हमारा पुड ग्रेन का कारोबार है। मूलत: हम राजस्थान के फतेहपुर-शेखावटी के निवासी है, बगड़ स्थित चावो सती देवी हमारी कुलदेवी है, जहां ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका एक बहुत ही उत्तम पत्रिका है, जो हम प्रवासीयों को राजस्थान से जुड़े रहने का एहसास दिलाती है। पत्रिका में प्रकाशित लेख व गांव के विशेषांक बहुत रोचक, ज्ञान वर्धक के साथ ऐतिहासिक होते हैं जो कि संकलनीय हैं। पत्रिका के माध्यम से राजस्थानी लोक की जो जानकारी प्राप्त होती है वह महत्वपूर्ण है, इस उत्तम प्रयास के लिए ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका परिवार को ढेरों शुभकामनाएं। हिंदी व मातृभाषा को सम्मान दिलवाने के लिए सम्पादक बिजय कुमार जैन द्वारा किया जाने वाला प्रयास अवश्य सफल होगा, ‘हिंदी’ सम्पूर्ण राष्ट्र में नागरिकों द्वारा बड़े पैमाने पर अपनायी जा रही है, अत: हिंदी को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक अधिकार अवश्य प्राप्त होना चाहिए।
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संतोष खेतान
व्यवसायी व समाजसेवी
फतेहपुर शेखावटी निवासी-कोलकाता प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९८३०९६७५३१
से हमें विशेष लगाव है, वर्ष में २-३ बार माता के दर्शनार्थ अवश्य जाना
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अशोक डुंगरवाल
व्यवसायी व समाजसेवी
दौलतपुरा निवासी-राजसमंद प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९४१४१७४७१३
मेरा जन्म स्थान राजस्थान के नागोर जिले में स्थित दौलतपुरा गांव है, मेरी सम्पूर्ण शिक्षा ‘डीडवाना’ में सम्पन्न हुई है। शिक्षा के उपरांत व्यवसाय के उद्देश्य से १९८८ से राजसमंद का
निवासी हूँ। राजसमंद मेरी कर्मभूमि है। मेरा पूरा परिवार भी राजसमंद का ही रहवासी है, मेरा यहां मार्बल का कारोबार है, हम सात भाई व चार बहनें हैं, सभी अपना-अपना गृहस्थ जीवन जी रहे हैं। ‘राजसमंद’ स्थित कई सामाजिक संस्थाओं विभिन्न पदों पर व सदस्यों के रूप में कार्यरत हूँ, लायन्स क्लब, महावीर इंटरनेशनल, रेड क्रॉस सोसायटी आदि स्थानों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हूँ। तेरापंथ समाज की एक वेंद्रिय संस्था अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद में संगठन मंत्री का पद भार ग्रहण किया, आचार्यश्री महाश्रमण जी द्वारा मुझे श्रद्धानिष्ठ श्रावक से अलंकृत किया गया। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी द्वारा श्रेष्ठ कार्यकर्ता की उपाधि प्रदान की गई, इसके अतिरिक्त ‘राजसमंद’ में तेरापंथ समाज की संस्थाओं में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हूँ। ९ वर्षों तक मेवाड़ कॉन्प्रेंस में, जो सम्पूर्ण मेवाड़ का प्रतिनिधित्व करती है, उसमें महामंत्री के पद कार्यरत हूँ। ‘राजसमंद’ बहुत अच्छा रमणीय स्थल है, जो पर्यटन की दृष्टि से बहुत ही सुंदर है, यहां का रहनसहन व खान-पान सात्विक है, यहां भारी संख्या में देश-विदेश के पर्यटक घूमने आते हैं, यहां द्वारकाधीश मंदिर, नौचौकी, अणुव्रत विश्व भारती व अन्य कई धार्मिक व सामाजिक संस्थाएं गौरवशाली स्थल हैं, यह हमारा सौभाग्य है कि हमें ‘राजसमंद’ में रहने का गौरव प्राप्त है। हमारे राष्ट्र की भाषा ‘हिंदी’ है, ‘हिंदी’ तो हमारा गौरव है, राष्ट्र में रहनेवाले प्रत्येक नागरिक को ‘हिंदी’ का सम्मान करना चाहिए, ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का सम्मान तो अवश्य ही प्राप्त होना चाहिए।
सभी कारोबार मेरे दोनों पुत्र संभालते हैं। हमारा गाड़ियों के खरीद-फरोख्त व अलसिया फाइनेस प्रा.लि. नामक बैंविंग कारोबार है, राजसमंद व मुंबई की कई सामाजिक संस्थाओं में सेवारत हूँ। पिछले ५५ वर्षों से हमारा परिवार मुंबई का प्रवासी है, मात्र १० वर्ष की उम्र में अपने पिताजी के साथ रोजगार के लिए मुंबई आ गया था, मेरा जन्म व प्रारंभिक शिक्षा राजसमंद में सम्पन्न हुई। मात्र १० वर्ष ‘राजसमंद’ मेरी जन्मभूमि है, यहां हमने भगवान भैरूजी का भव्य शिखर मंदिर का निर्माण करवाया, इसके अतिरिक्त सरकारी स्वूâल जो एकदम जर्जर हालात में था, उसका पूर्ननिर्माण करवा कर सरकार को सुपूर्द किया। राजसमंद की प्रगति का मुख्य माध्यम यहां के मार्बल व ग्रेनाइट के उद्योग, जो आज सम्पूर्ण भारत में विख्यात हैं जो कि यहां के रोजगार का मुख्य साधन है, यहां सिर्प राजसमंद व राजस्थान ही नहीं अन्य राज्यों से लोगों ने आकर अपना कारोबार प्रारंभ किया है व आज एक सफल व्यवसायी का जीवन व्यतित कर रहे हैं, यहां प्रकृति की भी अनुपम कृपा रही है, राजा राजसिंह द्वारा बनाया गया ‘राजसमंद झील’ पूरे भारत का प्रथम सबसे बड़ा कृत्रिम झील है, कई मंदिर व अन्य दर्शनीय स्थल हैं जो लोगों के आकर्षण का मुख्य वेंद्र बने हुए हैं। ‘हिंदी’ तो हमारी राष्ट्रभाषा है, भारत की सम्पर्व भाषा भी है जो दो भिन्न भाषाओं को जोड़ती है, अत: ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का सम्मान अवश्य प्राप्त होना चाहिए।
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कुंदनमल बडोला
व्यवसायी व समाजसेवी
दौलतपुरा निवासी-राजसमंद प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९४१४१७४७१३
की आयु में ही मैंने रोजगार प्रारंभ कर दिया था। जीवन की कठिनाईयों का सामना करते हुए कई मोड़ व परेशानी से लड़ते हुए एक सफल व्यवसायी के रूप में मुकाम प्राप्त किया, आज अपने व्यवसाय से सेवानिवृत्ती ले ली है, अब
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अशोक कावडिया
व्यवसायी व समाजसेवी
राजसमंद निवासी-मुंबई प्रवासी
भ्रमणध्वनि: ९८२११२५९२५
लगभग ३५ वर्षों से सहपरिवार मुंबई का प्रवासी हूँ यहां हमारा सेरामिक टाइल्स व मार्बल का कारोबार है। ‘राजसमंद’ मेरी जन्मभूमी है, मेरी प्रारंभिक शिक्षा ‘राजसमंद’ में ही सम्पन्न हुई है व एस.एम. बिनानी कॉलेज नाथद्वारा से बी.कॉम. की शिक्षा सम्पन्न की, तत्पश्चात व्यवसाय के उद्देश्य से
लगभग ३५ वर्षों से सहपरिवार मुंबई का प्रवासी हूँ यहां हमारा सेरामिक टाइल्स व मार्बल का कारोबार है। ‘राजसमंद’ मेरी जन्मभूमी है, मेरी प्रारंभिक शिक्षा ‘राजसमंद’ में ही सम्पन्न हुई है व एस.एम. बिनानी कॉलेज नाथद्वारा से बी.कॉम. की शिक्षा सम्पन्न की, तत्पश्चात व्यवसाय के उद्देश्य से मुंबई आना हुआ, तभी से मुंबई का रहवासी हूँ। मुंबई स्थित ‘राजनगर जैन मित्र मंडल’ में संगठन व सांस्कृतिक मंत्री के रूप में कार्यरत हूँ तथा व्यक्तिगत रूप से सामाजिक सेवाओं में सलग्न हूँ। ‘राजसमंद’ एक ऐतिहासिक शहर है इस शहर में विभिन्नता स्थापत्य है जिनकी अपनी विशेषता व इतिहास है, जो ‘राजसमंद’ की सुंदरता में बढ़ोत्तरी करते है, यहां सबसे महत्वपूर्ण राजा राजसिंह द्वारा बनवाई गई राजसमंद झील है जो पूर्ण रूप से कृत्रिम झील है, यहां का महत्वपूर्ण दयाल शाह किला, राजसमंद के राजाओं द्वारा निर्मित किला, तुलसी साधना शिखर अन्य कई दर्शनिय व ऐतिहासिक पर्यटन स्थल हैं। व्यवसाय व उद्योग में भी रोजगार के लिए यहां बहुत सी मार्बल कम्पनियां है जो पूरे एशिया में सबसे बड़े मार्बल निर्माण का स्थल है। मार्बल उद्योग के लिए राजसमंद सम्पूर्ण एशिया में विश्वविख्यात है, सबसे बड़ी टायर कम्पनी जे.के. टायर की पैâक्टरी यहां स्थित है, इसके अलावा अनाज व अन्य वस्तुओं की मंडी भी यहां बड़े पैमाने पर स्थित है। आर.के. हॉस्पीटल जो निजी होते हुए भी यहां सभी इलाज मुफ्त होते हैं, हॉ स्पीटल आधुनिक तकनीकी से सुसज्जित हैं जो यहां के लोगों के लिए वरदान है, शिक्षा के क्षेत्र में भी राजसमंद आगे है, ऐसा है हमारा ‘राजसमंद’। ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक सम्मान अवश्य प्राप्त होना चाहिए क्योंकि ‘हिंदी’ हमारे देश में सम्पर्व का मुख्य माध्यम है, हर भारतीय को हिंदी में ही बातचीत करनी चाहिए तभी ‘हिंदी’ भाषा का सम्मान बरकरार रहेगा।
राजसमंद का निवासी हूँ व्यवसाय के निमित्त राजसमंद में आकर बसा हूँ यहां हमारा मार्बल व ग्रेनाईट का कारोबार है, ‘राजसमंद’ ही मेरी कर्मभूमि है। सामाजिक सेवाओं व संस्थाओं में भी सक्रिय भागीदारी के लिए समर्पित रहता हूँ। १९९५ से माहेश्वरी समाज की ‘श्री महेश प्रगति संस्थान’ में विभिन्न विशेष पदों पर रहते हुए वर्तमान कार्यकारी सदस्य के रूप में सेवारत हूँ, अखिल भारतीय मारवाड़ी सेवा में विशेष आमंत्रीत कार्यकारिणी सदस्य भी रहा हूँ। जबसे राजसमन्द जिला माहेश्वरी सभा का गठन हुआ तस से कार्यकारिणी सदस्य व वर्तमान में प्रादेशीक माहेश्वरी सभा में भी कार्यकारिणी सदस्य के रूप में सेवारत हूँ। मेरा सौभाग्य है कि राजसमंद मेरी कर्मभूमि है, जिसे हम देव भूमि व वैष्णव भूमि कहेंगे, जहां एक तरफ द्वारकाधीश जी, श्री नाथजी तो दूसरी तरफ चारभुजा नाथजी व महादेव जी विराजमान हैं। यहां के मार्बल कारोबार व राजसमंद झील ने राजसमंद को विशेष बनाया है, यहां से ३० किमी दूर स्थित वुंभलगढ़ जो ऐतिहासिक धरोहर व महाराणा प्रताप की जन्मभूमि है। राजसमंद झील पर बनी नौचौकी पाल की सुंदरता देखते बनती है, प्राकृतिक रूप से परिपूर्ण है। यहां के मार्बल व्यवसाय के कारण लोगों के जीवन स्तर में बढ़ोत्तरी हुई, यहां के लोग व यहां का वातावरण बहुत ही शांतप्रिय है। ‘हिंदी’ की स्थिति में सुधार लाने के हमारी भारत सरकार को विशेष कदम उठाना चाहिए व सरकारी व निजी क्षेत्रों में अनिवार्य रूप से लागू करना चाहिए, जैसे बैंकिग क्षेत्रों में हिंदी को अनिवार्य किया जा रहा है उसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी ‘हिंदी’ को अनिवार्यता देनी चाहिए तभी सही अर्थों में ‘हिंदी’ का सम्मान बढेगा।
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राम गोपाल सोमाणी
व्यवसायी व समाजसेवी
राजसमंद निवासी
भ्रमणध्वनि: ९४१४१७१६४०
मेरा जन्म १९६९ में भिलवाड़ा राजस्थान में हुआ व १९८९ में वाणिज्य संकाय से स्नातकोत्तर की शिक्षा ग्रहण की, तत्पश्चात १९९२ से
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गणपतलाल चपलोत
व्यापारी व समाजसेवी,
राजसमंद निवासी-मुंबई
भ्रमणध्वनि: ९३२२२२७२३६
लगभग १९७७ से आप सहपरिवार मुंबई के प्रवासी हैं, मूलत: आप राजस्थान के राजसमंद के निवासी हैं जो आपकी जन्मस्थली भी है,
आपकी इंटर तक की शिक्षा राजसमंद से, वाणिज्य संकाय से स्नातक की शिक्षा नाथद्वारा व वाणिज्य से स्नातकोत्तर की शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय भिलवाड़ा से सम्पन्न हुयी है। १९८७ से मुंबई स्थित मरोल में आपका ‘रेनबो प्लायवुड’ नामक प्लावुड का कारोबार है। राजनगर जैन मित्र मंडल, मुंबई में सदस्य स्वरूप सेवारत है व अनेक पदों पर कार्यरत रहे। ‘तेरापंथ युुवक परिषद’ अंधेरी में प्रचार मंत्री व मरोल तेरापंथ सभा में मंत्री पद रहे हैं। अपने जन्मस्थली राजसमंद के संदर्भ में अपने भावों को व्यक्त करते हुए कहते हैं कि राजसमंद आज पर्यटन के लिए पूरे विश्व में विख्यात है। यहां की धरती प्रकृति की अनुपम देन है, जहां सभी धर्म व समाज के लोग आपसी मेल-जोल के साथ शांति पूर्वक निवास करते हैं, राजसमंद शांतिप्रिय क्षेत्र के रूप जाना जाता है, यहां स्थित राजसमंद झील, नौचौकी, दयालशाह किला मार्बल उद्योग, देवस्थान आदि कई दर्शनीय स्थल है। राजसमंद के निवासी देश के अन्य स्थानों में अपने कारोबार को बढाते हुए अपना विशेष स्थान बनाए हुए हैं, अपना व अपने राजसमंद का नाम रौशन कर रहे हैं। अपनी मातृभाषा सर्वोपरी है, इसे सम्मान देना अर्थात् अपनी संस्कृति को सम्मानित करना व राष्ट्रभाषा के संदर्भ में यही कहूूँगा कि ‘िंहदी’ को राष्ट्रभाषा का सम्मान अवश्य प्राप्त होना चाहिए।
इसके अतिरिक्त सामाजिक सेवाओं में भी सक्रिय भागीदारी के लिए तत्पर रहता हूँ, जरूरतमंद व्यक्तियों व बच्चों को स्वास्थ सुविधाएं उपलब्ध कराना व शादि-ब्याह में अनावश्यक खर्च न हो, इसके लिए कोलकाता में हमारा राजस्थानी समाज कार्यरत है। राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में स्थान प्राप्त हो, इसके लिए राजस्थान की विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रयास चल रहा है। हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ‘हिंदी’ ही हो सकती है, जो कि हिंदुस्तान के सभी लोगों द्वारा बोली व अपनायी जाती है, अत: ‘हिंदी’ को संवैधानिक राष्ट्रभाषा का सम्मान अवश्य प्राप्त होना चाहिए, तभी सच्चे अर्थों में हम-सबके भारत का सम्मान विश्व में बढेगा। फतेहपुर, सीकर (राजस्थान) की मूल निवासी स्वर्गीया रूक्मिणी देवी सराफ एवं स्वर्गीय हनुमान प्रसाद सराफ के सुपुत्र श्री संतोष सराफ का जन्म २३ जून १९५२ को बहराइच (उत्तर प्रदेश) में हुआ था, आपने कोलकाता यूनिवर्सिटी से स्नातक (वाणिज्य) की शिक्षा ग्रहण की है। श्री सराफ ने सन् १९७६ में अपने प्रतिष्ठान ‘रोड कार्गो मूवर्स प्रा.लि.’ की स्थापना की और तब से उनके वाणिज्य कौशल, परिश्रम एवं अध्यवसाय के बल उनका प्रतिष्ठान दिनानुदिन प्रगति पथ पर अग्रसर है। अत्यंत कम उम्र से ही श्री सराफ की सामाजिक गतिविधियों में रूचि रही है और आप एक सक्रिय समाजसेवी हैं। आप १९९२ में लायन्स क्लब से जुड़े और लायन्स क्लब ऑफ कोलकाता के प्रेसिडेन्ट रहे। लायन्स क्लब के डिस्ट्रिक्ट स्तर पर आपने डिस्ट्रिक्ट वैâबिनेट ट्रेजरर के महत्वपूर्ण पद का निवर्हन किया है। आप कोलकाता लायन्स नेत्र निकेतन के चेयरमैन रह चुके हैं और वर्तमान में इसके ट्रस्टी हैं। श्री सराफ मर्चेन्ट चैम्बर ऑफ कॉमर्स के पूर्व प्रेसिडेन्ट हैं और अभी इसकी मेम्बरशीप स्टैडिंग कमिटी के चेयरमैन हैं, कोलकाता गुड्स ट्रांसपोर्ट असोसिएशन् के वाइस प्रेसिडेन्ट एवं ऑल इन्डिया ट्रांसपोर्ट वेलपेâयर असोसिएशन् के एडवाईजर (इस्ट जोन) हैं। श्री सराफ कोलकाता के सुप्रसिद्ध हिन्दुस्तान क्लब के प्रेसिडेन्ट रह चुके हैं। आप कोलकाता में फतेहपुर निवासियों की समाजसेवी संस्था ‘फतेहपुर शेखावाटी नागरिक संघ’ के उपाध्यक्ष एवं उद्यन क्लब की कार्यकारिणी समिति के सदस्य हैं। श्री संतोष सराफ लम्बे समय से अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन से जुड़े हैं और सम्मेलन की गतिविधियों में सक्रिय योगदान देते रहे हैं। आप सत्र २०११-१३ में सम्मेलन के राष्ट्रीय महामंत्री थे और वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, आप सम्मेलन के ट्रस्ट, मारवाड़ी सम्मेलन फाउंडेशन के ट्रस्टी हैं और हाल में ही गठित मारवाड़ी सम्मेलन महापंचायत के संयोजक हैं। अर्धांगिनी श्रीमती प्रभा देवी सराफ, एक सुपुत्र और दो सुपुत्रियों के भरे-पूरे परिवार सहित संतोष सराफ अलीपुर, कोलकाता में निवास करते हैं।
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संतोष सराफ
व्यवसायी व समाजसेवी
सीकर निवासी-कोलकाता प्रवासी
अध्यक्ष अखिल भारतीय
मारवाड़ी सम्मेलन
भ्रमणध्वनि: ९८३००२१३१९
हमारा परिवार तीन पिढीयों से कोलकाता का प्रवासी है, मेरा जन्म व शिक्षा कोलकाता में ही सम्पन्न हुयी है। मूलत: हम राजस्थान के सीकर के फतेहपुर शेखावटी के निवासी हैं, कोलकाता में हमारा ट्रांसपोर्ट का कारोबार है। कोलकाता स्थित अग्रवाल समाज व अन्य सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़ा हूँ। हिंदुस्तान क्लब, मर्चेंट चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स, लायन्स क्लब ऑफ कोलकाता में अध्यक्ष पर सेवारत रहे हैं। ‘उदयन क्लब’ में उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहा। वर्तमान में कोलकाता गुड्स ट्रॉसपोर्ट्स असोसियेशन में उपाध्यक्ष व अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन में अध्यक्ष के रूप में सेवारत हूँ,
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दिनेश श्रोत्रिय
पत्रकार, राजसमन्द
भ्रमणध्वनि:९१६६९१५१११
पत्रकरिता क्षेत्र में जाना माना नाम है दिनेश श्रोत्रिय, जिन्होंने अपनी पत्रकरिता के कारण अपना व अपने परिवार का नाम रौशन किया है राजसमंद जिला मुख्यालय पर निवासरत दिनेश जी नगर पंडित श्री जगन्नाथ श्रोत्रिय के सुपौत्र व वरिष्ठ पत्रकार स्नेही राज श्रोत्रिय के पुत्र हैं, आपके बड़े भाई साहब भी
पत्रकरिता क्षेत्र से जुड़े हैं, घर में पत्रकरिता के माहौल के चलते आपकी भी रुचि पत्रकरिता क्षेत्र में बढ़ी। आपने लेखनी कार्य की शुरुवात १९९२ से ही प्रारंभ कर दी थी पर सक्रिय रुप से इस क्षेत्र में सन २००० से अपनी भूमिका निभा रहे हैं। आपने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जोधपुर और बाद में राजसमंद में पूरी की, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से आपने स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात समाजशास्त्र से स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की, इसके साथ ही पत्रकारिता में आपने बीजेएमसी और एमजेएमसी की शिक्षा ग्रहण की, तकनीकी शिक्षा ओ लेवल, डिप्लोमा इन कम्प्यूटर साइंस की भी उपाधि प्राप्त की है। पूर्व में आकाशवाणी, दूरदर्शन, स्टार न्यूज अब एबीपी न्यूज में कार्यरत हैं, साथ ही एएनआई न्यूज एजेंसी, इंडिया न्यूज, समाचार प्लस में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। आप सरल व सहज स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, मीडिया के क्षेत्र में गलत कार्य के खिलाफ सदैव अपनी कलम चलायी है, चाहे इसके लिए कितनी ही कठिनाइयों का सामना करना पड़े इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में आनेवाली हर कठिनाई को बहुत सहजता व सरलता से पार कर आपने अपना विशेष मुकाम प्राप्त किया है। ‘हिंदी लाओ-देश बचाओ’ के तहत श्रीनाथहारा में साहित्य मंडल द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें भाग लेने के साथ-साथ टीवी मीडिया के लिए कई बार कवर कर आपने आपको न केवल गौरवन्वित महसूस किया बल्कि ‘हिंदी’ के प्रति अपने दायित्व का पूरा किया, ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा का सम्मान प्राप्त हो इसके लिए आप अपना पूर्ण समर्थन देते हैं।