Category: श्री बाबा गंगाराम की परम आराधिका

जालोर जिले की विशेषताएं

जालोर जिले की विशेषताएं

जालोर ग्रेनाइट उद्योग पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर, जालोर, बाडमेर, पाली तथा सिरोही जिलों में ग्रेनाइट उद्योग अत्यन्त विकसित अवस्था में है, जिनमें ‘जालोर’ जिला सबसे आगे है, इस पत्थर की आयल्स बनाने का काम सबसे पहले यहीं आरम्भ हुआ। भारत सरकार के भू सर्वेक्षण विभाग की एक रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद राजस्थान सरकार का ध्यान इस ओर गया, इस रिपोर्ट में ग्रेनाइट पत्थर के क्षेत्रों को दर्शाया गया था। वर्ष १९६५ में राजस्थान सरकार ने खान एवं भू विभाग के माध्यम से एक ग्रेनाइट इकाई ‘जालोर’ में स्थापित की, जिसमें समस्त काम हाथ से होता था। वर्ष १९७१ में इसे...

जबालीपुर यानी जालोर

जबालीपुर यानी जालोर

‘जालोर’ राजस्थान राज्य का एक ऐतिहासिक शहर है। यह राजस्थान की सुवर्ण नगरी और ग्रेनाइट सिटी के नाम से प्रसिद्ध है। यह शहर प्राचीनकाल में ‘जबालीपुर’ के नाम से जाना जाता था। ‘जालोर’ जिला का मुख्यालय यहाँ स्थित है। लूनी नदी की उपनदी सुकरी के दक्षिण में स्थित ‘जालोर’ राजस्थान का ऐतिहासिक जिला है। पहले यह बहुत बड़ी रियासतों में एक था। जालोर रियासत, चित्तौड़गढ़ रियासत के बाद अपना स्थान रखता था, पश्चिमी राजस्थान में एक प्रमुख रियासत थी। इतिहास: प्राचीन काल में ‘जालोर’ को जबालीपुर के नाम से जाना जाता था-जिसका नाम हिंदू संत जबालीपुर (एक विद्वान ब्राह्मण पुजारी और...

फल सब्जियां बनाएँ बेहतर स्वास्थ्य

फल सब्जियां बनाएँ बेहतर स्वास्थ्य

दही को चहरे व अन्य हिस्सों की त्वचा पर धीरे-धीरे मलें। करीब १० मिनट बाद शीतल जल से स्नान करें। शहद : यह आपकी त्वचा को नर्म बनाता है। यदि सम्भव हो तो इसे चेहरे पर नियमित तौर पर लगाएं। फिर कुछ देर बाद चेहरा धो लें। इससे आपकी त्वचा मुलायम व कांतिमय बनेगी। गुलाब जल : यह एक बेहतरीन स्किन केयर पदार्थ है। गुलाब जल को रुइ के फाहे की सहायता से न केवल चेहरे और हाथ-पैरों की त्वचा पर ही नहीं बल्कि सिर पर भी लगा सकती हैं जिससे बालों में जमा गंदी साफ हो। केला : उम्र बढाने...

एक और कदम अपनी ओर -सरोज राठी चैन्नई, तामिलनाडु, भारत

एक और कदम अपनी ओर -सरोज राठी चैन्नई, तामिलनाडु, भारत

मैं सरोज राठी चेन्नई प्रवासी हूं। ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका बहुत ही सशक्त साधन है, अपनी बात समाज तक पहुंचाने के लिए… मैं काफी दिनों से विचार कर रही थी एक बात समाज में पहुंचाने को, हमलोग सभी भारत के वासी सनातनी हैं। हमारी सभ्यता संस्कृति विरासत को हम अपने ही हाथों मसल देंगे तो कौन सम्भालने आएगा? इसी कड़ी में एक बात का विचार आ रहा है, हमारी मजबूत कड़ी हमारे त्योहार पर्व आदि हैं। सभी त्यौहार हमलोग धूमधाम से मनाते हैं। सारे त्यौहार हमलोग अपने महीनों की तिथियों के अनुसार ही मनाते हैं, साल के शुरुआत में एक सवाल हमारे...

भगवान महेश की महत्वपूर्ण बातें

भगवान महेश की महत्वपूर्ण बातें

* आदिनाथ शिव : सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें ‘आदिदेव’ भी कहा जाता है। ‘आदि’ का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम ‘आदिश’ भी है। * शिव के अस्त्र-शस्त्र : शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था। * शिव का नाग : शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है। * शिव की अर्द्धांगिनी : शिव की पहली पत्नी सती ने...

टमकोर को ऐतिहासिक बनाने में आर्य समाज का अभूतपूर्व योगदान

टमकोर को ऐतिहासिक बनाने में आर्य समाज का अभूतपूर्व योगदान

शेखावाटी क्षेत्र (बिसाऊ-राजपूताना) का ‘टमकोर’ गांव हमेशा से पिछड़ा रहा है, कारण भूमि की अनुर्वरता, जल का अभाव, १२५-१५० फिट गहराई तक खोदने पर भी अत्यन्त खारा पानी, पीने के लिए सालाना सिर्फ एक श्रावण बरसात का एकत्रित जल (कुण्डों) पर आश्रित जीवन एवं सामान्ती राज्यों (बीकानेर-जयपुर) के बीच सीमा पर पड़ने वाला स्थल होने के कारण विशेष उपेक्षित आदि ने यहां का जन-जीवन अस्त-व्यस्त बना रखा था। धार्मिक स्थलों के नाम पर सिर्फ गोगामैड़ी, भौमियादेव, मालासी-खेरतपाल, भैंरूजी, गुंसाईजी का मठ व शीतला माता का मंदिर आदि ही थे। ईश्वर नियति कहें या ग्रामवासियों का भाग्योदय वि.सं. १९५५ में ‘बिसाऊ’ में...

राजस्थान का एक प्रतिभाशाली धार्मिक गांव टमकोर

उत्तर पूर्वी राजस्थान के झुँझुनूं जिले के उत्तरी कोने पर बसे ‘टमकोर’ कस्बे का इतिहास विविधताओं से भरा हुआ है, जहाँ इस भूमि पर चोरड़िया परिवार में अहिंसा के पुजारी युगप्रधान आचार्यश्री महाप्रज्ञजी जैसी महान विभूति का जन्म हुआ, वहीं इस गांव के जन्म के साथ एक रोंगटे खड़े कर देने वाली किंवदंती भी प्रचलित है: लगभग ४५० वर्ष पूर्व गांव के पूर्वी छोर पर जहाँ आज गोगाजी की मेड़ी स्थित है, वहाँ यह गांव कस्वों (जाट जाति) का ‘टमकोर’ नाम से जाना जाता था। महला परिवार (जाट जाति) जो कि कस्वों के भाणजे थे, समयान्तर पर यहाँ आकर बस गये।...

३० मार्च १९४९ का सूर्योदय लेकर आया एक नया सवेरा

३० मार्च १९४९ का सूर्योदय लेकर आया एक नया सवेरा

राजस्थान यानि कि राजपूतों का स्थान, देश के विकास में राजस्थान और राजस्थानियों का अमूल्य योगदान रहा है। चाहे वह उद्योग धन्धे के क्षेत्र में हो या साहित्य व सांस्कृतिक विकास के क्षेत्र में। जाहिर तौर पर राजस्थान की कुछ खूबियाँ है, अपनी इन्हीं खूबियों के कारण ही हवेलियों का यह प्रदेश पुरे दुनिया में आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। (३० मार्च) राजस्थान दिवस के उपलक्ष्य में राजस्थान की इन्ही खूबियों पर एक बार फिर से प्रकाश डालने की कोशिश में ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका परिवार द्वारा प्रस्तुत राजस्थान परम्पराओं का संक्षिप्त विवरण प्रबुद्ध पाठकों के हाथों में प्रस्तुत: नई किरण...

‘रिंणी’ तारानगर की प्राचीनता

‘रिंणी’ तारानगर की प्राचीनता

‘रिंणी’ तारानगर की प्राचीनता ‘रिंणी’ तारानगर की प्राचीनता १६ मार्च १९४१ ई. को यहाँ के जनहितैषी शासक तारासिंह जी के नाम पर चुरु जिले का कस्बा ‘तारानगर’ बना था, इससे पहले इस परिक्षेत्र का नाम ‘रिंणी’ था। ‘‘रिंणी’’ का नाम आते ही उत्सुकता रहती है कि ‘रिंणी’ नाम कब व क्यों पड़ा था यथा अलवर में रीणी भी है। ‘रिणी’ जियोलोजीकल शब्द है, जिसका अर्थ है कि जल शुष्क होने से बने रेतीले मैदान को ‘रिन’ ‘रिंणी’ ‘रैनी’ ‘रैणी’ (बोली के कारण) कहेंगे, ईसा से लगभग २००० वर्ष पूर्व (जब भी नदियां शुष्क हुई) यानी आज से लगभग ४००० वर्ष पूर्व...

महाराजा डूँगरसिंह बीकानेर

महाराजा डूँगरसिंह बीकानेर

बीकानेर राज्य बीकानेर राज्य की तत्कालीन डूँगरगढ़ तहसील के संबंध में भी राय बहादुर हुक्म सिंह सोढ़ी ने कतिपय मूल्यवान तथ्यात्मक जानकारियां अपनी कृति में समाहित की है। सोढ़ी लिखते हैं कि डूँगरगढ़ तहसील में कुल ७९ गांव हैं जिनमें से तीन गांव खालसा श्रेणी के हैं जबकि शेष सभी गांव पट्टेदारों के जागीरी गांव है। उन्होंने लिखा है कि डूँगरगढ़ तहसील की कुल जनसंख्या ४४००७ है, जिसमें २२०६३ पुरुष तथा २१४०४ महिलाएं है, वे यह भी लिखते हैं कि इस आबादी में ४१०५३ हिंदू तथा ११२१ मुस्लिम हैं जबकि १८३३ लोग अन्य जातियों से हैं, यहां पर स्थित डाकखानों तथा...

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