टमकोर को ऐतिहासिक बनाने में आर्य समाज का अभूतपूर्व योगदान
शेखावाटी क्षेत्र (बिसाऊ-राजपूताना) का ‘टमकोर’ गांव हमेशा से पिछड़ा रहा है, कारण भूमि की अनुर्वरता, जल का अभाव, १२५-१५० फिट गहराई तक खोदने पर भी अत्यन्त खारा पानी, पीने के लिए सालाना सिर्फ एक श्रावण बरसात का एकत्रित जल (कुण्डों) पर आश्रित जीवन एवं सामान्ती राज्यों (बीकानेर-जयपुर) के बीच सीमा पर पड़ने वाला स्थल होने के कारण विशेष उपेक्षित आदि ने यहां का जन-जीवन अस्त-व्यस्त बना रखा था। धार्मिक स्थलों के नाम पर सिर्फ गोगामैड़ी, भौमियादेव, मालासी-खेरतपाल, भैंरूजी, गुंसाईजी का मठ व शीतला माता का मंदिर आदि ही थे। ईश्वर नियति कहें या ग्रामवासियों का भाग्योदय वि.सं. १९५५ में ‘बिसाऊ’ में...