मातृभाषा का महत्त्व
इतिहास के प्रकाण्ड पण्डित डॉ. रघुबीर प्रायः फ्रांस जाया करते थे, वे सदा फ्रांस राजवंश के एक परिवार के यहाँ ठहरा करते थे, उस परिवार में एक ग्यारह साल की सुन्दर लड़की भी थी, वह भी डॉ. रघुबीर की खूब सेवा करती थी। एक बार डॉ. रघुबीर को भारत से एक लिफाफा प्राप्त हुआ, बच्ची को उत्सुकता हुई, देखें तो भारत की भाषा व लिपि कैसी है? उसने कहा-‘अंकल! लिफाफा खोलकर पत्र दिखायें। डॉ. रघुबीर ने टालना चाहा, पर बच्ची जिद पर अड़ गयी। डॉ. रघुबीर को पत्र दिखाना पड़ा। पत्र देखते ही बच्ची का मुँह लटक गया। अरे! यह तो...