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‘होली मार्च-२०२३.pdf
राजस्थान विधान सभा द्वारा 'राजस्थानी' को दिया गया राजभाषा का दर्जा
सिंधी अनमोल रतन
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सम्पादकीय
बिजय कुमार जैन
वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक
हिंदी सेवी-पर्यावरण प्रेमी
भारत को भारत कहा जाए का आव्हान करने वाला एक भारतीय
सम्पादकीय
भारतीय संस्कृति का परिचायक है होली पर्व संगठन, मेल-मिलाप, हंसी ठिठोली, अच्छाई का सिरमौर है होली
मुझे याद है बचपन में जब मेरे मित्र, मेरे संबंधी मेरे गोरे-गोरे गालों पर होली का रंग लगाते थे, उस रंग को उतारने में मुझे मधुर कष्ट भी होता था लेकिन किसी भी प्रकार की शारीरिक हानि नहीं होती थी, बहुत ही आनंद आता था, कई दिनों तक स्मृति शेष रहती थी कि वापस ‘होली’ का त्यौहार कब आएगा, क्या पता था कि जो त्यौहार चला गया वह १ वर्ष के बाद ही आएगा, बचपन तो बचपन ही होता है, स्मरण संस्मरण ही तो बना रहता है, पर त्यौहारिक आनंद स्मरणीय बना रहे इसलिए इंतजार रहता था।
आज ‘होली’ के त्यौहार का रंग-रुप ही बदल गया है, लोगों के चेहरे में जो सामाजिक आनंद होता था वह आनंद बंद कमरे में मोबाइल में सिमट कर रह गया है, सारा का सारा आनंद ६ इंच मोबाइल की स्क्रीन में जो समाया हुआ है, उसे ही देखकर हम आनंदित होते रहते हैं, सामाजिक व संस्कृति का दृष्टिकोण सब कुछ मोबाइल में समा गया है, पहले जब हम छोटे-छोटे थे तब होली का रंग उतारने के बाद, नए कपड़ों के संग अपने परिवारिक स्नेह मित्रों के घर जाकर, बड़े-बुजुर्गों का चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेकर गुजिया खाने का जो आनंद मिलता था, वह मोबाइल के स्क्रीन में कहां से प्राप्त हो सकता हैं, विरल हो गया है वह आनंद।
आज का युवा वर्ग सोशल मीडिया से जरूर जुड़ा रहे क्योंकि सोशल मीडिया से आनन-फानन में विश्व की जानकारी जरूर मिल जाती है पर पारिवारिक आनंद घर व परिवार में ही मिलता है, यह बात भी आज के युवाओं को बतानी चाहिए जो कि हम सभी का कर्तव्य है।
मेरे राजस्थानी भाई-बहनों को बताना चाहता हूं कि हम सबके राजस्थान की स्थापना ३० मार्च १९४९ को हुई थी, विभिन्न जिलों से बने ‘राजस्थान’ को इस वर्ष ७४ वर्ष होने जा रहा है। पहले के राजस्थान में व आज के राजस्थान में विशाल अंतर आया है, हर ओर हरियाली व पानी की सुविधाओं के साथ रास्ते अच्छे बन गए हैं, जो कुछ बचा है वर्तमान की सरकार कर भी रही है, हर ओर जागरूकता है, शासन-प्रशासन की कार्य क्षमता बढ़ी है जो कि हम प्रवासी व निवासी राजस्थानीयों के लिए खुशी की बात है।
मेरी इच्छा बहुत है कि मैं ‘राजस्थान स्थापना दिवस’ हर वर्ष की तरह इस साल भी मनाउँâ प्रवासी राजस्थानीयों के साथ, भारत का एक राज्य महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में…
‘भारत को केवल ‘भारत’ ही बोला जाए’ अभियान की सफलता के लिए भारत सरकार से निवेदन किया गया है कि जिस प्रकार भारत के रुपयों में इंडिया और भारत लिखा गया है उसी प्रकार विश्व के मानचित्र (Globe) में भी इंडिया के साथ ‘भारत’ का भी उल्लेख हो, ताकि विश्व हमारे देश को भारत के नाम से भी पहचान सके।
जय भारत!