सम्पादकीय
बिजय कुमार जैन
वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक
हिंदी सेवी-पर्यावरण प्रेमी
भारत को भारत कहा जाए का आव्हान करने वाला एक भारतीय
सम्पादकीय
(३० मार्च) राजस्थान स्थापना दिवस पर विशेष
त्यौहारों की झप्पी लगी है राजस्थानी परिवारों में
अभी-अभी हमने ढप बजाते ‘होली’ का रंगारंग त्यौहार मनाया। ईसर बाई की पूजा करते ‘गणगौर’ का पावन पर्व मनाया। ‘राजस्थान स्थापना दिवस’ भी पर्व के रूप में मनाने का सौभाग्य राजस्थानी परिवारों ने पाया, इस पर्व पर दुनिया को बताया कि हम राजस्थानी पर्व के साथ कर्मठता का त्यौहार भी पूरे वर्ष मनाते हैं, कार्य करते रहते हैं, स्वयं के साथ अपनी पूजनीय माटी व देश भारत की शौर्यता का बखान करना भी नहीं भूलते, चारों दिशाओं को बताते हैं।
हम राजस्थानियों में है वो बल कि फि़जाओं का भी रुख बदलने का अरमान रखते हैं। बहुत ही जल्द हम ‘महावीर जन्म कल्याणक’ पर्व मनाएंगे, हनुमान जयंति व परशुराम जयंति पर्व भी तो हमारे ही है क्योंकि हनुमान जी या परशुरामजी हमारे पूजनीय जननायक जो रहे हैं, उनके बताए राह पर तो आज भी हम चलने का प्रयास करते रहते हैं।
आज चारों दिशाओं में रहने वाले राजस्थानी परिवारों के कई-कई व्यापारी योद्धाओं ने समाज व राष्ट्र के सेवाओं के परचम गाडे हैं, शिक्षालय हो या औषधालय, मंदिर हो या कोई भी हो दर्शन स्थल हर दिशा में हम सभी राजस्थानी भाईयों ने या यह कहें बहनों ने भी अपनी सोच व कार्य के परचम लहराये हैं, तभी तो हम गर्व से कहते हैं कि हम उस माटी के पूत हैं जहॉ महाराणा प्रताप जैसे-शूरवीरों ने जन्म लिया तो मिराबाई की भक्ति के गीत आज भी गाये जाते हैं। शक्ति हो या भक्ति ‘राजस्थान’ की माटी के सपूतों की मिसाल विश्व के अन्य देशों में कम ही देखने को मिलती है।
मेरे प्रिय राजस्थानी भाई-बहनों से मैं निवेदन करता हूँ कि जिस प्रकार राजस्थानी वीर-वीरांगनाओं ने अपनी शक्ति-भक्ति राजस्थान की माटी को शौर्यता का नाम दिया, उसी प्रकार आज भारत माँ भी कहती है ऐ वीर माटी के सपूत! जिस प्रकार कूरजां विदेशों से आकर हमारी माटी में चहचहाती है उसी प्रकार हमारे प्यारे पक्षी जैसे कबूतर या तोता विदेशों में जाकर कहे कि हम भारतवासी हैं, भारत मॉ के सूपत हैं, भारत माँ की जय बोलते हैं, ‘भारत’ नाम अति प्राचीनतम है, हम तो भारत को ‘भारत’ ही बोलेगें, अंग्रेजों के द्वारा थोपा गया नाम INDIA को भारत भूमि से विलुप्त करवा कर रहेगें तो ही हम गुलामी की मानसिकता से दूर हो सकेगें और माँ भारती को पूर्णतया स्वतंत्रता दिला पायेंगे तभी तो विश्व को माँ भारती कह सकेगी ‘मैं भारत हूँ’।
१ अप्रैल २०२३ को हम भारत का ही एक राज्य मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी शिक्षा की देवी अहिल्या नगरी इंदौर में Principal Conclave का आयोजन कर रहे हैं, मानस यह है कि उपस्थित प्राचार्यों से निवेदन कर सकूं कि युवा पिढी यानी अपने छात्रों को बताएं कि अपने भारत में क्या है ‘भारत’ नाम में ही कितना जोश भरा है जो कि INDIA नाम में नहीं, हम INDIA बोले ही क्यों?
भारत को ‘भारत’ ही बोला जाए अभियान की सफलता में यह बढ़ता कदम सफलता जरूर दिलाएगा ऐसा मुझे विश्वास है, एक दिन माँ भारती विश्व को बता सकेगी ‘मैं भारत हूँ’।
जय-जय राजस्थान, जय-जय राजस्थानी!