पांच पर्वों का पर्व

भारत एक विशाल देश है, यहां की विभिन्न जातियां, समुदाय, भाषा-भाषी, विभिन्न धर्मों की मान्यता वाला देश है, इनके रीति-रिवाजों में थोड़ी-बहुत विभिन्नतायें तो हो सकती हैं लेकिन मूल रुप से हिन्दु संस्कृति, एक-रुपता इनमें समाविष्ठ है, यहां अनेकता में एकता की मिसाल है, यहां कुछ पर्व ऐसे हैं जो सभी सम्प्रदाय व धर्म के लोग एकसाथ मिलकर मनाते हैं, उनमें दीपावली का पर्व मुख्य है। भारत जगत गुरु था, ईश्वर की इच्छा यह पावन जग संस्कृति उपजे इसमें, नव विश्व प्रेम का बरसे सावन वसुधा बने कुटुम्ब यह, हो सुन्दर आदर्श हमारा गुलदस्ता है देश हमारा, रंग-बिरंगा प्यारा-प्यारा ‘‘असतो मा सद्गमय, तमसो मां ज्योतिर्ग्मय, मृत्र्योर्मा अमृत गमय’’ हम असत्य से सत्य की ओर चलें, अंधकार से प्रकाश की ओर चलें, मृत्यु से अमृत की ओर चलें, यही हमारी संस्कृति की वेद-वाणी है, हिन्दु संस्कृति प्रकाश की इच्छा रखने वाली है एवं अंधकार में विश्व को मार्ग दिखाने वाली है। दीप जला कर ज्ञान के दूर करो अंधकार, समता करुणा स्नेह से भरो दिल के भण्डार अंधकार से प्रकाश का पर्व दिवाली एक नहीं बल्कि पांच दिनों का सामुहिक प्रकाश पर्व है, इसे महापर्व भी कहते हैं। कार्तिक कृष्णा १३ से शुरु होकर कार्तिक शुक्ला द्वितीय तक पर्व मनाये जाते हैं, ये पांचों पर्व जीवन में धनधान्य, स्वास्थ्य, यश, आयु और उमंग को प्रदान करने वाले हैं। प्रथम पर्व धनतेरस-धनतेरस यह देवताओं के वैद्य धन्वन्तरी के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है, इसी दिन समुद्र मंथन के समय धनवन्तरी अपने हाथों में अमृत-कलश लेकर प्रकट हुए थे। धनवन्तरी

के साथ-साथ धन के देवता कुबेर व मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। ब्रह्मा जी ने कहा कि इस दिन यमराज को दीप नैवेद्य समर्पित करने से अकाल मृत्यु नहीं होती, इसी दिन सोनाचांदी के आभूषण, बर्तन व नये वाहन आदि खरीदने का शुभ-मुहुर्त होता है। लहराती है उच्च पताका, धनवन्तरी भगवान की आयुर्वेद प्रवर्तक जग में, भारत देश महान की द्वितीय पर्व नरक चतुर्दशी-इसको छोटी दिवाली व रुप चौदस भी कहते हैं, इसी दिन यमराज को दीप-दान किया जाता है, सायंकाल घर के बाहर, तुलसी के स्थान, पूजा घर, रसोई, मंदिर आदि पर भी दीप जलाये जाते हैं। कहते हैं कि भगवान शंकर ने कार्तिक कृष्णा चौदस स्वाति नक्षत्र मेष लग्न में स्वयं ने माता अंजना के घर अवतार लिया था जो हनुमानजी के नाम से जाने जाते हैं, इसलिये इसी दिन हनुमान जयन्ती भी मनाते हैं, ये दिन नरकासुर राक्षस से भी सम्बन्ध रखता है, कहते हैं कि भगवान कृष्ण ने इसी दिन इसका वध किया था, स्त्रियां आटे के उबटन से पाटे के नीचे दीपक जला कर स्नान करती हैं, जिससे इनके रुप में निखार आता है, इसलिये इसको रुप चौदस भी कहते हैं। तृतीय पर्व दीपावलीलक्ष्मी करोतु कल्याणं आरोग्यं सुख सम्पदां मम शत्रु विनाशाय दीप ज्योर्तिनमोस्तुते दीपमालिका का यह मुख्य पर्व है, यह अधिकांशत: कार्तिक की अमावस्या को मनाया जाता है, कभी-कभी काल गणना, नक्षत्र के आधार पर चौदस को भी पूजा होती है, जिस दिन सूर्यास्त के बाद एक

?>