स्वार्थ में अंंधे ना होकर राष्ट्र कल्याण के बारे में भी सोचना चाहिए
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के आने पर दान में विलम्ब हो सकता है, उन्होंने महादान ‘अस्थिदान’ किया जिस अस्थियों द्वारा ८२० राक्षसों का संहार हुआ। श्री सावित्री खानोलकर ने वीरता के लिये पहचाने जाने वाला सर्वोच्च सम्मान ‘परमवीर चक्र’ का प्रारुप बनाते वक्त महर्षि दधीचि से प्रेरणा ली गयी थी। परमवीर चक्र के एक और उन्होंने वङ्का बनाया (वङ्का बनाने के लिये महर्षि ने अस्थिदान किया था) और दूसरी और शिवाजी की तलवार बनाई गई। यह परमवीर चक्र १६ अगस्त १९९९ को अस्तित्व में आया