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सम्पादकीय
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बिजय कुमार जैन
वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक
हिंदी सेवी-पर्यावरण प्रेमी
भारत को भारत कहा जाए का आव्हान करने वाला एक भारतीय
सम्पादकीय
दीपावली पर्व पर एक दीया
‘भारत नाम सम्मान’ के लिए जरूर जलाएं
‘दीपावली’ पर हार्दिक शुभकामनाओं के साथ विश्व में फैले ‘मेरा राजस्थान’ पत्रिका के प्रबुद्ध पाठकों से ‘दीपावली’ के पावन पर्व पर यह निवेदन करता हूॅ कि इस वर्ष एक दीया ‘भारत नाम सम्मान’ के लिए भी जलाएं ताकि विश्व को अपना भारत कह सके कि मैं भारत हूँ।
१६ अक्टूबर को ‘भारत’ का एक राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी ‘रायपुर’ में तो झारखंड की राजधानी ‘रांची’ में अपने सभी सहयोगियों के साथ मैं भी उपस्थित था। छत्तीसगढ़ व रांची के सभी स्थानीय रहवासियों ने मिलकर कहा कि अब हम ‘जय भारत’ ही बोलेंगे INDIA नहीं, क्योंकि ‘भारत’ नाम से ही हमारा गौरव बढ़ता है INDIA नाम में हमें गुलामी की गंध आती है जो कि अब हमें पसंद नहीं।
‘भारत को केवल ‘भारत’ ही बोला जाए’ अभियान की सफलता के लिए जल्द ही बिहार की राजधानी पटना, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में वर्ष २०२३ के अंत तक ‘भारत नाम सम्मान’ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, सभी राजधानियों में ‘मैं भारत हूँ फाउंडेशन’ की समिति बनाई जाएगी, ताकि समिति अपने राज्य के सभी गांव व शहर के स्कूल व कॉलेज, व्यापार संगठन तक ‘भारत नाम सम्मान’ का आव्हान पहुचाएं, हर कोई अपने अभिवादन में ‘जय भारत’ नारे का गूंजायमान करें, हर एक के दिल में ‘भारत’ राष्ट्र के प्रति समर्पण बढ़े और विश्व को ‘भारत’ कह सके कि ‘मैं भारत हूँ’।
हमारे देश की पहचान हजारों सालों से ‘भारत’ नाम से ही रही है, INDIA नाम तो हम पर थोपा गया है, जो कि मैं विगत १५ सालों से कहता चला आ रहा हूॅ, मुझे पूरा विश्वास है कि एक दिन पूरा विश्व मेरे देश को केवल ‘भारत’ कहेगा-लिखेगा और भारत मॉ को खुशी भी होगी और वह भी कह सकेगी कि ‘मैं भारत हूँ’।
चर्चा-चर्चित ‘भारत’ ही रहे, क्योंकि हमारे सभी प्रातः वंदनीयों का जन्म यानी राम, कृष्ण, हनुमान, महर्षि दधीच, परशुराम, महावीर, बुद्ध आदि आदि का जन्म ‘भारत’ में ही हुआ था, अपने सकारात्मक, विभिन्नात्मक, महनतम कार्यों से सभी भगवान बने, प्रातः वंदनीय बने, क्योंकि उन्होंने ‘भारत’ भूमि का शौर्य बढ़ाया था।
आज भले ही सभी प्रातः वंदनीय हमारे बीच नहीं है पर मंदिरों के साथ हम भारतवासियों के दिलों में बसे हैं, कारण यह है कि सभी ने हम सभी को सद्मार्ग दिखाया, ‘भारत’ राष्ट्र का गौरव बढ़ाया। ‘दीपावली’ के पावन पर्व पर हम सभी प्रण लें कि हम भी हमारे राष्ट्र ‘भारत’ नाम का गौरव बढ़ायेंगे, ‘जय भारत’ से ही अभिवादन करेंगे।
जय जय राजस्थान! जय जय राजस्थानी! जय भारत!