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जानें राजस्थान को…

जानें राजस्थान को…

कालीबंगा किस जिले में स्थित है? -हुनमानगढ़ मोहनजोदड़ो, हड़प्पा के समकालीन राजस्थान की प्राचीन सभ्यता कौन सी थी? – कालीबंगा, आहड़ कालीबंगा में उत्खनन, प्रथम चरण का कार्य कब आरभ हुआ? – १९६०- १९६१ में कालीबंगा सभ्यता कितने वर्ष पुरानी है:-५००० कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ क्या है? – काली चुडिया जीवंत स्वामी की धातुमूर्ति, प्रतिहार कालीन जून १९८६ को कहा से प्राप्त हुई? – बरवाला, पाली महाभारत काल के अवशेष कहां प्राप्त हुए? – जयपुर के निकट बैराठ में तथा भरतपुर के नोह में महिषासुर – मर्दिनी की मृणमूर्ति जो इस देवी का प्राचीनतम अंकन है, ये कहा से प्राप्त हुई...

मौसमी-रोग ऐसे निपटें सर्दी-जुकाम से

मौसमी-रोग ऐसे निपटें सर्दी-जुकाम से

सर्दी-जुकाम वायरस की वजह से होता है, ये कई माध्यमों से फैलते हैं। सर्दी लगना राइनोवायरस के कारण होता है। यह वायरस तीन घंटों तक किसी ठोस सतह पर सक्रिय रह सकता है जैसे दरवाजे की कुंडी या टेलीफोन के चोंगे आदि पर। आप सोचते हैं कि सर्दी-जुकाम तो इस मौसम के तोहफे जैसे हैं तो एक बार फिर सोच लीजिए। सर्दियों में करीब २०० वायरस आपको बीमार करने की ताक में बैठे है और एक औसत तक मानव शरीर इन सबसे लड़ने में सक्षम नहीं होता। इसके अलावा सर्दी-जुकाम तो केवल लक्षण मात्र हैं, बीमारी तो और गहरी हो सकती...

भारतीय राष्ट्रभाषा

भारतीय राष्ट्रभाषा

भारतीय भाषा अपनाओ अभियान           गतांक से आगे २५ दिसम्बर को शुरू हुई भारतीय भाषा सम्मान यात्रा विभिन्न पड़ावों को पार करते हुए २९ दिसंबर २०१८ को यात्रा दल सेलम पहुंचे, सेलम में सर्वप्रथम श्री दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जी पाटनी व कार्यभार संभालने वाले श्री अजय जी ने सब का स्वागत किया और एक सभा का आयोजन किया गया, सभा में जब सभी को पता चला कि हमारे देश भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है, सभी को काफी दुख हुआ, मलाल हुआ और अपने विचार व्यक्त किए कि बिजय कुमार जी आप आगे बढ़ें,...

राजस्थान के कण-कण की झलक दिखाता नागपुर का राजस्थानी महोत्सव

राजस्थान के कण-कण की झलक दिखाता नागपुर का राजस्थानी महोत्सव

नागपुर नागपुर: राजस्थानी महोत्सव अपने आप में अनोखा महोत्सव रहा, महोत्सव इस वर्ष नागपुर में २१ से २६ दिसंबर को आयोजित किया गया, जिसका प्रारंभ वर्ष १९९९ में हुआ था, अब ३-४ वर्ष में एक बार आयोजित किए जाते है, इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अपनी पैतृक भूमि राजस्थान के संस्कृति खान-पान, रहन-सहन आदि को अपनी कर्मभूमि नागपुर में बसे राजस्थानियों के समक्ष प्रस्तुत कर उन्हें जोड़ना व युवा पीढ़ि को इससे अवगत कराना, साथ ही महाराष्ट्र के लोगों को भी राजस्थानी सस्कृति की झलक दिखाना, ६ दिनों में ३ घंटों का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, इस वर्ष राजस्थान...

गणतंत्र दिवस भारतीय स्वतंत्रता व स्वाभिमान का प्रतीक

गणतंत्र दिवस भारतीय स्वतंत्रता व स्वाभिमान का प्रतीक

भारतीय स्वतंत्रता व स्वाभिमान का प्रतीक हर २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है क्योंकि यह भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है। हर वर्ष का २६ जनवरी ही एक ऐसा दिन है, जब प्रत्येक भारतीय के मन में देशभक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्नेह भर उठता है। ऐसी अनेक महत्वपूर्ण स्मृतियां हैं, जो इस दिन के साथ जुड़ी हुई हैं।जैसे २६ जनवरी, १९५० को भारत का संविधान लागू हुआ और इस प्रकार यह सरकार के संसदीय रुप के साथ एक संप्रभुताशाली समाजवादी लोकतांत्रिक गणतंत्र के रुप में ‘भारत’ सामने आया। भारतीय संविधान, जिसे देश की सरकार की...

मकर संक्रांति के त्यौहार की विशेष मिठाई घेवर

मकर संक्रांति के त्यौहार की विशेष मिठाई घेवर

मकर संक्रांति हम तो अपने देश में है इसलिये हमें घेवर आसानी से मिल जाता है, लेकिन जो देश से बाहर है, उन्हें घेवर मुश्किल से मिलता है घेवर आप घर पर भी बना सकते हैं, दिखने में ऐसा लगता है कि इसे बनाना मुश्किल होगा लेकिन है बड़ा आसान।हम आज घेवर बनायें, आपने बाजार में घेवर बनते देखा है? घेवर बनाने के लिये स्पेशल कढ़ाई प्रयोग में लाई जाती है|जिसका तला समतल होता है, जो करीब १२ इंच गहराई और ५-६ इंच चौड़ाई की होती है। बाजार में घेवर बनाने के लिये तो समतल तले की बड़ी कढ़ाई होती है...

परोपकार के पूरे हुए २० वर्ष

परोपकार के पूरे हुए २० वर्ष

परोपकार के पूरे हुए २० वर्ष २० वीं वर्षगांठ पर परोपकार का भव्य कार्यक्रम मुंबई की साहित्यिक, समाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था ने अपनी २० वीं वर्षगांठ को ‘एक शाम आपके नाम’ से मनाया। गौरवशाली वर्ष २०१८ का आगाज एक गौशाला तथा वृद्धाश्रम के पूरे साल नि:शुल्क जाँच व दवा वितरण द्वारा किया गया था। सालभर विविध आयोजनों के माध्यम से जनकल्याणकारी कार्यक्रम किए गए।शनिवार को क्रॉस मैदान में समापन समारोह के दौरान रोशनी से जगमगाता विशाल पंडाल और प्रवेश द्वार आने-जाने वालों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना था। भव्य समारोह में मुंबई के अलावां देश के प्रमुख शहरों से गणमान्य...

राजस्थान के कलात्मक पहलू

राजस्थान के कलात्मक पहलू

पधारो म्हारे देश राजस्थान के शेखावटी क्षेत्र की सुंदर एवं कलात्मक हवेलियों को कैनवास पर सजीव करने वाले कलाकार गोपाल स्वामी खेतानची है, जिन्होंने ना केवल कलात्मक पेंटिंग बनाई है, वरन् पूरे राजस्थानी कला को मुंबई महानगर में सजीव कर दिया, मूल रूप से सरदार शहर में जन्में श्री गोपाल स्वामी ने अपने शिक्षा कला स्नातक पाई, अपनी शिक्षा के बाद उन्होंने अपना रूख मुंबई शहर की ओर किया|यहां उन्होंने कई फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर का कार्य किया, किंतु पिता से मिली हुई ड्राइंग एवं कला की विरासत, उन्हें हमेशा कुछ न कुछ नया करने के लिए प्रेरित करती रही, अतः...

देश की विविधता

देश की विविधता

देश की विभिन्न संस्कृतियों आजादी के ७० वर्ष बाद में भी हमारे देश में हिंदी को राष्ट्रभाषा का द़र्जा नहीं दिया गया, हिंदी को राज्य की भाषा माना जा रहा है, राष्ट्रभाषा के सम्मान से ‘हिंदी’ अभी तक वंचित है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि देश के अधिकतर नागरिक हिंदी भाषी लोग, उनको अभी तक इस बात का पता ही नहीं है कि ‘हिंदी’ राष्ट्रभाषा के रूप में मान्य नहीं है, हमारे देश में अलग-अलग राज्यों में विभिन्न क्षेत्रीय भाषा प्रचलित में है, लेकिन पूरे देश को एकीकरण करने के लिए एक भाषा को हम प्राथमिकता दे सकते हैं वह...

सांघवी S3 ग्रुप

सांघवी S3 ग्रुप

संघवी ए३ ग्रुप के शैलेश संघवी ने अपना जन्मदिन वृद्धाश्रम में मनाया संघवी ए३ ग्रुप के चेयरमैन और भाजपा जैन माइनॉरिटी मुंबई प्रभारी शैलेश संघवी ने अपना जन्मदिन वृद्ध माताओं के साथ मनाकर अपने लिए कुछ यादगार लम्हे जोड़ लिए। डॉकयार्ड रोड स्थित वृद्धाश्रम में संघवीजी ने अपने परिवार, भाजपा के सदस्य तथा कंपनी के स्टाफ के साथ पहुंच कर, पुरे हर्षोल्लास के साथ आश्रम के माताओं के साथ समय बिताया, इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आप सभी का आशीर्वाद पाने से सुकून मिला, बुजुर्ग ही होते हैं, जिनकी दुआओं से हमें हासिल होती है यह शोहरत, यह मुकाम, आप...

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