Category: अप्रैल २०२०

श्रीमान सेठ बहादुरमलजी सा. बांठिया

श्रीमान सेठ बहादुरमलजी सा. बांठिया

श्रीमान सेठ बहादुरमलजी सा. बांठिया संक्षिप्त परिचय: स्थानकवासी सम्प्रदाय के पुराने नायकों का स्मरण करने पर भीनासर (बीकानेर) के श्रीमान सेठ बहादुरमलजी सा. बांठिया का नाम अवश्य याद किया जाता है। आपने अपने जीवनकाल में समाज की बहुमूल्य सेवाएँ की हैं। समाज की अनेक प्रसिद्ध संस्थाओं के साथ आपका घनिष्ठ संबंध रहा है। सेठ बहादुरमलजी सा. आदर्श गुणों से युक्त महानुभाव थे। आपके हृदय की उदारता, सदाचारिता, सरलता और सेवा प्रेम अणुकरणीय रहे हैं। भीनासर के बांठिया-वंश में उदारता तो परम्परागत वस्तु बन गई है। सेठ बहादुरमलजी सा. को भी वसीयत में मिली थी। सेठजी के पितामह श्री हजारीमलजी बांठिया ने...

आदर्श शिक्षालय श्री जवाहर विद्यापीठ

आदर्श शिक्षालय श्री जवाहर विद्यापीठ

आदर्श शिक्षालय श्री जवाहर विद्यापीठ भीनासर: हुक्म संघ के षष्ठम आचार्य ज्योर्तिधर श्री जवाहरलाल जी महाराज एक महान क्रांतिकारी क्रांतद्रष्टा युगपुरुष हुए थे। अपने जीवन के अन्तिम दो वर्ष स्वास्थ्य अनुकूल न होने से सेठ हमीरमल जी बाँठिया स्थानकवासी जैन पौषधशाला में विराजे और आषाढ़ शुक्ला अष्ठमी संवत् २००० को इसी पौषधशाला के हॉल में उन्होंने संथारा पूर्वक अपनी देह का त्याग किया। उनकी महाप्रयाण यात्रा के बाद चतुर्विध संघ द्वारा एक श्रद्धांजलि सभा सेठिया कोटड़ी बीकानेर में आयोजित की गई थी जिसमें उनके भक्त भीनासर के सेठ चम्पालालजी बाँंठिया ने उनकी स्मृति में ज्ञान दर्शन चरित्र की आराधना हेतू एक...

संयम साधना के शिखर पुरूषअवधुत श्री पूर्णानन्दजी

संयम साधना के शिखर पुरूषअवधुत श्री पूर्णानन्दजी

संयम साधना के शिखर पुरूषअवधुत श्री पूर्णानन्दजी वह परम चिन्मयी सत्ता जिसने यह उपलब्ध कर लिया न मैं नामरूप हूँ, न ये नामरूप मेरे हैं, मैं अखण्ड, अद्वैत सच्चिदानन्द ब्रह्म हूँ' ऐसी चिन्मयी सत्ता इस संसार से चले जाने पर भी ज्यों-की-त्यों अखण्ड रह जाती है। घड़े के फूटने से आकाश नहीं फूट जाता, वह न तो घड़े का बन्दी था न उसका मुखापेक्षी। नाम और रूप की मिथ्या ग्रन्थियों से छूट कर वह अपने अखण्डानन्द स्वरूप में स्थित हो जाता है। यही उस ब्रह्मविद्‌-निष्ठ के लिए भी सत्य है जिसे जगत संत शिरोमणि पूर्णानन्दजी महाराज ‘बापजी' के नाम से जानते...

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