गणतंत्र दिवस भारतीय स्वतंत्रता व स्वाभिमान का प्रतीक
भारतीय स्वतंत्रता व स्वाभिमान का प्रतीक हर २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है क्योंकि यह भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है। हर वर्ष का २६ जनवरी ही एक ऐसा दिन है, जब प्रत्येक भारतीय के मन में देशभक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्नेह भर उठता है। ऐसी अनेक महत्वपूर्ण स्मृतियां हैं, जो इस दिन के साथ जुड़ी हुई हैं।जैसे २६ जनवरी, १९५० को भारत का संविधान लागू हुआ और इस प्रकार यह सरकार के संसदीय रुप के साथ एक संप्रभुताशाली समाजवादी लोकतांत्रिक गणतंत्र के रुप में ‘भारत’ सामने आया। भारतीय संविधान, जिसे देश की सरकार की......
मकर संक्रांति के त्यौहार की विशेष मिठाई घेवर
मकर संक्रांति हम तो अपने देश में है इसलिये हमें घेवर आसानी से मिल जाता है, लेकिन जो देश से बाहर है, उन्हें घेवर मुश्किल से मिलता है घेवर आप घर पर भी बना सकते हैं, दिखने में ऐसा लगता है कि इसे बनाना मुश्किल होगा लेकिन है बड़ा आसान।हम आज घेवर बनायें, आपने बाजार में घेवर बनते देखा है? घेवर बनाने के लिये स्पेशल कढ़ाई प्रयोग में लाई जाती है|जिसका तला समतल होता है, जो करीब १२ इंच गहराई और ५-६ इंच चौड़ाई की होती है। बाजार में घेवर बनाने के लिये तो समतल तले की बड़ी कढ़ाई होती है......
परोपकार के पूरे हुए २० वर्ष
परोपकार के पूरे हुए २० वर्ष २० वीं वर्षगांठ पर परोपकार का भव्य कार्यक्रम मुंबई की साहित्यिक, समाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था ने अपनी २० वीं वर्षगांठ को ‘एक शाम आपके नाम’ से मनाया। गौरवशाली वर्ष २०१८ का आगाज एक गौशाला तथा वृद्धाश्रम के पूरे साल नि:शुल्क जाँच व दवा वितरण द्वारा किया गया था। सालभर विविध आयोजनों के माध्यम से जनकल्याणकारी कार्यक्रम किए गए।शनिवार को क्रॉस मैदान में समापन समारोह के दौरान रोशनी से जगमगाता विशाल पंडाल और प्रवेश द्वार आने-जाने वालों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना था। भव्य समारोह में मुंबई के अलावां देश के प्रमुख शहरों से गणमान्य......
राजस्थान के कलात्मक पहलू
पधारो म्हारे देश राजस्थान के शेखावटी क्षेत्र की सुंदर एवं कलात्मक हवेलियों को कैनवास पर सजीव करने वाले कलाकार गोपाल स्वामी खेतानची है, जिन्होंने ना केवल कलात्मक पेंटिंग बनाई है, वरन् पूरे राजस्थानी कला को मुंबई महानगर में सजीव कर दिया, मूल रूप से सरदार शहर में जन्में श्री गोपाल स्वामी ने अपने शिक्षा कला स्नातक पाई, अपनी शिक्षा के बाद उन्होंने अपना रूख मुंबई शहर की ओर किया|यहां उन्होंने कई फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर का कार्य किया, किंतु पिता से मिली हुई ड्राइंग एवं कला की विरासत, उन्हें हमेशा कुछ न कुछ नया करने के लिए प्रेरित करती रही, अतः......
देश की विविधता
देश की विभिन्न संस्कृतियों आजादी के ७० वर्ष बाद में भी हमारे देश में हिंदी को राष्ट्रभाषा का द़र्जा नहीं दिया गया, हिंदी को राज्य की भाषा माना जा रहा है, राष्ट्रभाषा के सम्मान से ‘हिंदी’ अभी तक वंचित है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि देश के अधिकतर नागरिक हिंदी भाषी लोग, उनको अभी तक इस बात का पता ही नहीं है कि ‘हिंदी’ राष्ट्रभाषा के रूप में मान्य नहीं है, हमारे देश में अलग-अलग राज्यों में विभिन्न क्षेत्रीय भाषा प्रचलित में है, लेकिन पूरे देश को एकीकरण करने के लिए एक भाषा को हम प्राथमिकता दे सकते हैं वह......