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भगवान परशुराम

भगवान परशुराम

एक बार कुछ किसान महाराजा अग्रसेन के पास पहुँचे, उन्होंने जंगली पशुओं द्वारा उपज को हानि से बचाने का महाराजा अग्रसेन से अनुरोध किया। महाराजा अग्रसेन ने कहा कि वह इस समस्या का निराकरण करेंगे, वह अपने कुछ सैनिकों के साथ जंगल में गए और वहां पर कृषि उपज को हानि पहुँचाना वाले मृगों व अन्य पशुओं को मार गिराया। जंगल से लौटते समय उनका सामना भगवान परशुराम से हुआ। परशुराम. जंगल से लौटते समय उनका सामना भगवान परशुराम से हुआ। परशुराम महाराजा अग्रसेन को आशीर्वाद देने के पश्चात जंगल में आने का कारण पूछा। अग्रसेन ने उन्हें कृषकों की समस्याओं... ...
महाराजा अग्रसेन

महाराजा अग्रसेन

अग्रसेन ने जब युवा अवस्था में प्रवेश किया तब नागलोक के राजा कुमुद के यहां से राजकुमारी माधवी के स्वयंवर का समाचार आया महाराजा ने अपने दोनों पुत्रों अग्रसेन और शूरसेन को इस स्वयंवर में भाग लेने के लिए भेजा, इस स्वयंवर में भू-लोक के ही नहीं अपितु देवलोक से भी अनेक राजकुमार भाग लेने आए थे, इन्द्र भी उनमें से एक थे। राजकुमारी माधवी ने जब स्वयंवर भवन में प्रवेश किया तो उसकी रूप-राशी को देखकर इन्द्र स्तब्ध रह  में जहाँ राजस्थान व हरियाणा राज्य है इन राज्यों के बीच सरस्वती नदी बहती थी, इसी सरस्वती नदी के किनारे प्रतापनगर... ...
दधीचि तीर्थ (मिश्रीत) के विकास के लिए

दधीचि तीर्थ (मिश्रीत) के विकास के लिए

ऋषिश्रेष्ठ त्यागमूर्ति महर्षि दधीचि की तपोभूमि देहदान स्थल एवम् महामुनि पिप्लाद की जन्मभूमि ‘‘मिश्रीत’’ के सर्वांगीण विकास हेतु सनातन धर्म संसद नैमिषारण्य की पावन भूमि पर अष्टोत्तर शत श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव का आयोजन मिश्रीत श्रीमद् भागवत कथा आयोजन समिति द्वारा १२ सितम्बर से १८ सितम्बर २०१८ हनुमानगढ़ी नैमिषारण्य (उत्तर प्रदेश) में सानन्द सम्पन्न हुआ। राष्ट्रसंत परमपूज्य विद्यावाचस्पति आचार्य स्वामी श्री गोविन्द देव गिरीजी महाराज ने अपनी मधुर वाणी में ज्ञान, भक्ति एवम् वैराग्य स्वरूप त्रिवेणी में श्रीमद् भागवत कथा का रसपान हजारों श्रद्धालु भक्तों को करवाया। भारत के विभिन्न प्रान्तों से पधारे श्रद्धालु भक्तजनों ने भगवान की पावन कथा... ...
श्री बाबा गंगाराम की परम आराधिका

श्री बाबा गंगाराम की परम आराधिका

श्री बाबा गंगाराम की परम आराधिका बाबा गंगाराम की अनन्य साधिका एवं भक्त शिरोमणि श्री देवकीनंदन की सहधर्मिणी और श्री पंचदेव मंदिर झुंझुनू की संस्थापिका माता गायत्री देवी अपने लाखों-लाखों भक्तों से विदा लेते हुए मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी दिनांक 29 नवम्बर 2017 को अपने नश्वर शरीर को त्यागकर बाबा के धाम के लिए महाप्रयाण कर गयी. मंदिर में एक ओर जहाँ भक्तवृंद घंटे,नगाड़े और शंख की ध्वनि के साथ बाबा की आरती में मग्न थे,वहीं माँ गायत्री बाबा गंगाराम का नाम उच्चारित करते हुए इस मृत्युलोक को छोड़कर परम ज्योति में लीन हो गयी. लाखों भक्तों की जीवन प्रेरणा आध्यात्म शक्ति... ...
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